America Attack on Iran: ईरान के परमाणु ठिकानों पर बमबारी के बाद अमेरिका अब आधिकारिक रूप से इजरायल-ईरान संघर्ष का हिस्सा बन गया है. इस हमले की जानकारी स्वयं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर साझा की, जिसमें उन्होंने नतांज, फोर्डो और इस्फहान के परमाणु ठिकानों पर हमले का दावा किया. अब सवाल उठ रहा है कि क्या ट्रंप ने यह हमला कांग्रेस और पेंटागन की मंजूरी के बिना किया? और यदि हां, तो क्या उनके पास ऐसा करने का अधिकार था?
अमेरिकी संविधान क्या कहता है?
अमेरिकी संविधान के अनुसार, किसी भी देश पर युद्ध की आधिकारिक घोषणा करने का अधिकार केवल कांग्रेस के पास होता है. आर्टिकल 1, सेक्शन 8 और सेक्शन 11 के मुताबिक, कांग्रेस को युद्ध की घोषणा, प्रतिशोध के पत्र, और सैन्य कार्रवाई के नियम तय करने की पूरी शक्ति प्राप्त है. इसका सीधा अर्थ है कि राष्ट्रपति को युद्ध छेड़ने से पहले कांग्रेस की अनुमति लेनी होती है.
कांग्रेस ने 80 साल में कभी युद्ध घोषित नहीं किया
हालांकि संविधान में भले ही स्पष्ट निर्देश हो, दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अमेरिकी कांग्रेस ने कभी भी आधिकारिक रूप से युद्ध की घोषणा नहीं की है. इसके बावजूद अमेरिका ने अफगानिस्तान, इराक, सीरिया जैसे देशों में सैन्य अभियान चलाए हैं. उदाहरण के तौर पर, 2001 में शुरू हुआ "ऑपरेशन एंड्यूरिंग फ्रीडम" अमेरिका का सबसे लंबा युद्ध था, लेकिन इसके लिए कोई औपचारिक युद्ध घोषणा नहीं हुई थी.
ये है राष्ट्रपति की सबसे बड़ी ताकत
2001 के आतंकी हमलों के बाद अमेरिकी कांग्रेस ने एक कानून पारित किया था जिसे AUMF (Authorization for Use of Military Force) कहा जाता है. यह कानून राष्ट्रपति को आतंकवाद से जुड़े तत्वों के खिलाफ दुनिया के किसी भी कोने में सैन्य कार्रवाई करने की अनुमति देता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इसी एक प्रस्ताव के आधार पर अमेरिका ने 15 से ज्यादा देशों में सैन्य अभियान चलाए हैं.