UP Triveni Van Abhiyan: उत्तर प्रदेश की ज़मीन अब केवल विकास की नहीं, बल्कि हरियाली और आध्यात्मिकता के संगम की कहानी कहेगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में प्रदेश सरकार ने पर्यावरण सुरक्षा और सांस्कृतिक विरासत को एक सूत्र में पिरोने की अनूठी पहल की है. यह पहल त्रिवेणी वन योजना के रूप में हुई है. यह योजना न सिर्फ पर्यावरणीय सुधार की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि महाकुंभ की आस्था और परंपरा को भी जीवंत बनाए रखने की एक सुंदर कोशिश है.
5 जून को पर्यावरण दिवस के अवसर पर अयोध्या की पावन भूमि से त्रिवेणी वन का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री ने इस योजना का विस्तार प्रदेश के सभी 75 जिलों तक करने का संकल्प लिया. यह वन विशेष रूप से नदियों के किनारे विकसित किए जाएंगे और इनमें नीम, पीपल और बरगद जैसे पवित्र और पर्यावरण के लिए उपयोगी वृक्ष लगाए जाएंगे. इन पेड़ों का धार्मिक महत्व भी है और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी ये वायुमंडल को शुद्ध करने, छाया देने और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में बेहद प्रभावी हैं.
क्या है त्रिवेणी वन योजना?
त्रिवेणी वन योजना को पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ महाभियान–2025 के तहत लागू किया जा रहा है. इस वर्ष राज्य सरकार ने 35 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए वन विभाग ने 52.33 करोड़ पौधे तैयार किए हैं, जिनमें 5.75 करोड़ औषधीय पौधे भी शामिल हैं. नीम, पीपल और बरगद के पौधों की संख्या लाखों में है, जो त्रिवेणी वन की आत्मा बनेंगे.
आध्यात्मिकता से जुड़ा हरियाली का अभियान
त्रिवेणी वन सिर्फ पेड़ों का समूह नहीं होगा, बल्कि यह एक आध्यात्मिक प्रतीक होगा ठीक वैसे ही जैसे प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है. नीम, पीपल और बरगद को आयुर्वेद और सनातन संस्कृति में अत्यंत शुभ और रोगनाशक माना गया है. मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि यह पहल लोगों को न केवल पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करेगी, बल्कि उन्हें प्रकृति से गहरे स्तर पर जोड़ने का माध्यम भी बनेगी.
हरियाली के साथ रोजगार भी
वन विभाग के प्रमुख सुनील कुमार चौधरी के अनुसार, हर साल एक खास वन बसाने की परंपरा को इस बार ‘त्रिवेणी वन’ के रूप में आगे बढ़ाया जा रहा है. यह अभियान न सिर्फ पर्यावरण को सहेजेगा, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार का अवसर भी देगा. पौधों की देखभाल, सिंचाई और संरक्षण में ग्रामीण समुदाय की भागीदारी बढ़ेगी, जिससे आर्थिक लाभ भी मिलेगा.
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