भारत के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना ‘मासूमियत’ का मुखौटा पहनकर पहुंचा, लेकिन इस बार उसकी चाल उलटी पड़ गई. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में बुलाई गई क्लोज-डोर मीटिंग में पाकिस्तान की योजना थी भारत पर आरोप लगाकर अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति हासिल करने की, लेकिन उल्टा उसे कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी.
पाकिस्तान की ‘शिकायत सभा’ बनी बेनकाब
पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने मीटिंग के बाद दावा किया कि बैठक सफल रही और कश्मीर मुद्दे पर चर्चा हुई. लेकिन सूत्रों की मानें तो असल तस्वीर कुछ और ही थी. मीटिंग में पाकिस्तान से सख्त सवाल किए गए—खासतौर पर पहलगाम हमले और उसमें लश्कर-ए-तैयबा की संदिग्ध भूमिका को लेकर. UNSC के सदस्य देशों ने पाकिस्तान के फैलाए गए False Flag Operation के झूठे नैरेटिव को सिरे से नकार दिया.
‘मददगार’ चीन ने भी किया किनारा
UNSC के स्थायी सदस्य अमेरिका, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन पहले ही पाकिस्तान के रुख को लेकर स्पष्ट थे, लेकिन सबसे बड़ा झटका तब लगा जब पाकिस्तान के करीबी चीन ने भी उसका साथ नहीं दिया. पाकिस्तान ने अस्थायी सदस्य होने के नाते बैठक बुलाई थी, लेकिन उसे किसी देश से वैसी प्रतिक्रिया नहीं मिली, जैसी वह उम्मीद कर रहा था.
धर्म पूछकर हमला, मिसाइल टेस्ट पर भी सवाल
बैठक के दौरान सदस्य देशों ने न केवल पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाए जाने की आलोचना की, बल्कि पाकिस्तान द्वारा बार-बार किए जा रहे मिसाइल परीक्षणों और परमाणु हमलों की धमकियों पर भी आपत्ति जताई. यह पूरी कार्रवाई उकसावे वाली मानी गई, जिसे किसी भी रूप में जायज़ नहीं ठहराया गया.
ना प्रस्ताव, ना बयान—सिर्फ खामोशी
इस पूरी क्लोज-डोर बैठक के बाद किसी भी देश ने पाकिस्तान के समर्थन में कोई प्रस्ताव नहीं रखा, न ही कोई आधिकारिक बयान दिया गया. इससे स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान की कोशिशें नाकाम रहीं और वह एक बार फिर वैश्विक मंच पर खुद ही अपना मज़ाक बनवा बैठा.
भारत के जवाबी कदम का डर सताने लगा है पाकिस्तान को
दरअसल, पाकिस्तान इस समय गहरे डर में है. उसे आशंका है कि भारत कभी भी सख्त सैन्य कार्रवाई कर सकता है. इसी डर में और खुद को “पीड़ित” दिखाने के प्रयास में उसने UNSC की बैठक बुलाई थी ताकि भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डलवाया जा सके. लेकिन नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान की मंशा भी उजागर हो गई और वैश्विक समुदाय ने उसे ही कठघरे में खड़ा कर दिया.
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