नई दिल्ली: जब दो देशों के बीच तनाव चरम पर हो, तो तीसरे की टांग अड़ाना अक्सर खुद के लिए मुश्किलें खड़ी कर देता है – और तुर्किये ने यही गलती की है. कश्मीर घाटी में हुए हालिया आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पहले से उबाल पर था, ऐसे में तुर्किये ने पाकिस्तान को हथियार और ड्रोन सप्लाई कर आग में घी डालने का काम किया. अब यही तुर्की भारत के गुस्से का शिकार बनता नजर आ रहा है.
भारत ने साफ कर दिया है कि तुर्किये को अब पक्ष चुनना होगा — या तो वह पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क से दूरी बनाकर शांति का साथ देगा, या भारत से रिश्ते खत्म कर वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ने का जोखिम उठाएगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह स्पष्ट संदेश देते हुए कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि तुर्किये पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद करेगा और आतंक के खिलाफ विश्वसनीय कार्रवाई करेगा. संबंध संवेदनशीलता और पारस्परिक सम्मान से चलते हैं, न कि पक्षपात से.”
तुर्किये की पाकिस्तानपरस्ती अब खुद उस पर भारी
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से मिली सटीक खुफिया जानकारी ने यह साफ कर दिया कि पाकिस्तान को मिले ड्रोन और हथियार तुर्किये की आपूर्ति का नतीजा हैं. इन ड्रोन हमलों को भारत की एयर डिफेंस ने नाकाम किया, लेकिन तुर्किये की भूमिका ने एक बार फिर उसके पुराने एजेंडे को उजागर कर दिया.
यह पहली बार नहीं है जब तुर्किये ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ पाकिस्तान का पक्ष लिया हो. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अंकारा बार-बार इस्लामी भाईचारे के नाम पर भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता रहा है. लेकिन अब सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey ट्रेंड कर रहा है और भारतीय टूरिज्म और ट्रेड सेक्टर में तुर्की को लेकर आक्रोश चरम पर है.
भारत का स्पष्ट रुख – "दूसरा मौका अंतिम होगा"
भारत सरकार ने एक अंतिम मौका देते हुए तुर्किये से अपेक्षा जताई है कि वह पाकिस्तान की आतंक समर्थक नीतियों पर चुप्पी तोड़े और आतंक के खिलाफ वैश्विक समुदाय के साथ खड़ा हो. अगर तुर्किये ने अब भी होश नहीं संभाला, तो भारत-तुर्की संबंधों में वर्षों तक आई दरार गहरी हो सकती है.
ये भी पढ़ेंः मोसाद, CIA, रॉ... क्या सब हो जाएंगे फेल? चीन ने बनाया 'खतरनाक' जासूसी नेटवर्क, कौन बनेगा निशाना?