'मैं सरेंडर से कुछ कम नहीं चाहता...' ट्रंप ने ईरान को दी खुली धमकी, इजरायल के साथ मिलकर लड़ेंगे जंग!

    इजरायल और ईरान के बीच जारी संघर्ष अब एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है. अब अमेरिका की स्पष्ट चेतावनी ने इस तनाव को और गहरा कर दिया है.

    Trumps open threat to Iran wants Khameneis surrender
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली: इजरायल और ईरान के बीच जारी संघर्ष अब एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है. इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) द्वारा ईरान के कई रणनीतिक ठिकानों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं. इन हमलों का जवाब देने के प्रयास में ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई भी आक्रामक तेवर अपनाए हुए हैं, लेकिन अब अमेरिका की स्पष्ट चेतावनी ने इस तनाव को और गहरा कर दिया है.

    अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ताजा बयान में ईरान के सामने एक बेहद सख्त शर्त रख दी है. ट्रंप ने कहा है कि ईरान के पास अब केवल "पूर्ण समर्पण" का विकल्प बचा है. उनके अनुसार, ईरान को बिना किसी शर्त के हथियार डालने होंगे, तभी पश्चिम एशिया में स्थायी शांति संभव है.

    'बातचीत का सवाल ही नहीं, समर्पण चाहिए'

    डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया कि ईरान से किसी भी प्रकार की बातचीत में उनकी कोई रुचि नहीं है. उन्होंने कहा, "मैं ईरान से बातचीत नहीं करना चाहता. मुझे उनसे कुछ कम नहीं चाहिए, केवल सम्पूर्ण समर्पण ही स्वीकार्य है."

    यह बयान ऐसे समय में आया है जब पश्चिमी देशों के राजनयिक तनाव को कम करने के प्रयास जारी हैं. ट्रंप के इस रुख से यह संकेत मिल रहा है कि अमेरिका और इजरायल अब ईरान को कूटनीतिक या सैन्य रूप से पूरी तरह से झुकाने के एजेंडे पर काम कर रहे हैं.

    'अगर बात करना चाहता है, तो रास्ता खुला है'

    हालांकि, ट्रंप ने एक दिलचस्प लेकिन रणनीतिक रूप से उलझा हुआ संकेत भी दिया. उन्होंने कहा कि अगर ईरान उनके साथ बातचीत करना चाहता है तो उसे पता है कि संपर्क कैसे करना है. ट्रंप ने कहा, "मैंने पहले ही उन्हें एक प्रस्ताव दिया था, जिसे स्वीकार कर लिया जाता तो कई जिंदगियां बच सकती थीं. अब देर हो चुकी है, लेकिन दरवाजा पूरी तरह बंद भी नहीं है."

    ट्रंप के इस दोहरे संदेश ने वैश्विक विश्लेषकों को असमंजस में डाल दिया है. एक तरफ वे ईरान पर पूरी तरह से दबाव बना रहे हैं, दूसरी ओर वे कूटनीतिक संपर्क के लिए सीमित अवसर खुला छोड़ रहे हैं.

    क्या इतिहास दोहराया जा रहा है?

    यह ट्रंप का वही रणनीतिक स्टाइल है, जो उन्होंने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल (2017-2021) में ईरान न्यूक्लियर डील के दौरान भी दिखाया था. 2018 में ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका को संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) से बाहर कर दिया था, जो ओबामा प्रशासन की सबसे बड़ी कूटनीतिक सफलता मानी जाती थी. तब भी ट्रंप ने ‘अधिकतम दबाव’ की नीति अपनाई थी.

    अब मौजूदा संकट में ट्रंप फिर से वही तेवर दिखा रहे हैं, हालांकि इस बार क्षेत्रीय हालात कहीं ज्यादा विस्फोटक हैं. इजरायल द्वारा ईरान के सैन्य ठिकानों पर बार-बार किए जा रहे सटीक हमले और अमेरिका की कूटनीतिक और खुफिया सहायता के चलते ईरान खुद को घिरा हुआ महसूस कर रहा है.

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