वॉशिंगटन/सियोल/बीजिंग: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के केंद्र में आ गए हैं. एक ओर उन्होंने हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना "करीबी मित्र" बताकर भारत-अमेरिका संबंधों में सुधार का संकेत दिया है, वहीं दूसरी ओर खबर है कि वे दक्षिण कोरिया में होने वाले APEC शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात कर सकते हैं.
यह मुलाकात ऐसे समय पर प्रस्तावित हो रही है जब चीन-अमेरिका संबंधों में तनाव चरम पर हैं और हालिया SCO समिट (शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन) के दौरान ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट रूप से चीन, रूस और भारत की नीतियों पर अप्रसन्नता जताई थी.
चुपचाप हो रही है ट्रंप की एशिया यात्रा की तैयारी
सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप और उनके वरिष्ठ सलाहकारों की एक टीम अक्टूबर के अंत में दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू शहर में होने वाले एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) सम्मेलन में भाग लेने की योजना पर काम कर रही है. इस यात्रा की तैयारियां फिलहाल "लो-प्रोफाइल" तरीके से चल रही हैं और इसे सार्वजनिक रूप से अधिक प्रचारित नहीं किया जा रहा.
हालांकि अभी तक आधिकारिक तौर पर ट्रंप और जिनपिंग की मुलाकात की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि दोनों नेता सम्मेलन के इतर एक द्विपक्षीय बैठक कर सकते हैं. यह बैठक एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में व्यापार, सुरक्षा और सामरिक संतुलन के लिहाज से काफी अहम मानी जा रही है.
ग्योंगजू: कूटनीतिक समीकरणों का नया केंद्र
दक्षिण कोरिया का ऐतिहासिक शहर ग्योंगजू, जो कभी प्राचीन सिल्ला साम्राज्य की राजधानी था, अब आधुनिक अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का मंच बनने जा रहा है. 31 अक्टूबर से 1 नवंबर 2025 के बीच यहां APEC समिट आयोजित होगा, जिसमें अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अन्य एशिया-पैसिफिक देशों के नेता शामिल होंगे.
इस समिट में जहां बहुपक्षीय आर्थिक सहयोग, आपूर्ति श्रृंखला, ऊर्जा सुरक्षा और डिजिटल व्यापार पर चर्चा होगी, वहीं समिट के इतर होने वाली संभावित मुलाकातें भी उतनी ही महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं.
ट्रंप-जिनपिंग की संभावित मुलाकात: तनाव कम करने की कोशिश
यदि डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच बैठक होती है, तो इसका मुख्य फोकस ट्रेड वॉर को नियंत्रित करने और दोनों देशों के बीच बढ़ती टेक्नोलॉजी व प्रतिस्पर्धा आधारित शीत युद्ध को रोकने पर हो सकता है.
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सीएनएन को बताया कि दक्षिण कोरिया यात्रा की योजना "अर्थव्यवस्था-केंद्रित" होगी, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया कि चीन के राष्ट्रपति से मुलाकात पर विचार हो रहा है.
ट्रंप पहले भी चीन पर अत्यधिक आयात शुल्क, तकनीकी चोरी, मानवाधिकार उल्लंघन और दक्षिण चीन सागर में सैन्य विस्तार को लेकर तीखी आलोचना करते रहे हैं. हालांकि, राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई बार जिनपिंग से मुलाकात कर सहयोग के संकेत भी दिए थे.
भारत को 'दोस्त' बताने की रणनीति का क्या अर्थ है?
भारत के साथ संबंधों को लेकर ट्रंप ने हाल ही में कहा कि "भारत और अमेरिका के रिश्ते बहुत खास हैं", और उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को "मेरा व्यक्तिगत मित्र" बताया. ऐसे समय में जब भारत-रूस के बीच तेल व्यापार को लेकर अमेरिका की आलोचना सामने आई थी, ट्रंप का यह नरम बयान नई कूटनीतिक रणनीति का संकेत हो सकता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप चुनावी रणनीति के तहत भारतीय-अमेरिकी समुदाय को साधने और भारत को चीन के खिलाफ एक संतुलन के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहे हैं.
क्या किम जोंग उन से भी हो सकती है मुलाकात?
ट्रंप की दक्षिण कोरिया यात्रा में एक और दिलचस्प मोड़ यह हो सकता है कि वे उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन से भी मुलाकात करें. APEC समिट के लिए किम को भी आमंत्रित किया गया है, और ट्रंप-किम की मुलाकात पहले भी सिंगापुर और हनोई में हो चुकी है.
यह तीसरी ऐतिहासिक मुलाकात हो सकती है, जो उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्रीय स्थिरता के लिहाज से निर्णायक मानी जाएगी.
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