ईरान की परमाणु गतिविधियों को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंता के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच एक अहम फोन वार्ता हुई. यह बातचीत करीब 1 घंटे 15 मिनट तक चली, जिसमें ट्रंप ने ईरान पर गंभीर चिंता जताई और रूस से सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की.
ट्रंप की स्पष्ट चेतावनी: ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देंगे
ट्रंप ने बातचीत में पुतिन से साफ कहा कि अमेरिका किसी भी हालत में ईरान को परमाणु हथियार बनाने की इजाजत नहीं देगा. उन्होंने आरोप लगाया कि ईरान जानबूझकर परमाणु वार्ता को टाल रहा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भ्रमित कर रहा है. ट्रंप ने पुतिन से आग्रह किया कि वह ईरान पर दबाव बनाएं और उसे एक निश्चित समयसीमा में समाधान के लिए मजबूर करें.
पुतिन का जवाब: संयम और संवाद पर जोर
पुतिन ने ट्रंप को भरोसा दिलाया कि रूस पश्चिम एशिया में तनाव नहीं बढ़ने देगा और वह ईरान से रचनात्मक बातचीत करने की कोशिश करेगा. उन्होंने कहा कि मॉस्को कूटनीतिक रास्ते से समस्या का हल निकालने के पक्ष में है और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील करेगा.
ट्रंप को क्यों चाहिए रूस की मदद?
ईरान और अमेरिका के बीच लंबे समय से तनाव है और अब तो सीधे संवाद के रास्ते लगभग बंद हो चुके हैं. ऐसे में रूस एकमात्र ऐसा देश है जिसके ईरान से घनिष्ठ संबंध हैं और वह अब भी तेहरान पर किसी हद तक असर डाल सकता है. यही वजह है कि ट्रंप ने पुतिन से आग्रह किया कि वे इस विवाद को कूटनीति के जरिए सुलझाने में मदद करें.
बढ़ता संकट: क्या ईरान अब ब्रेकआउट पॉइंट पर है?
पश्चिमी खुफिया एजेंसियों के अनुसार, ईरान ने यूरेनियम संवर्धन की प्रक्रिया को तेज कर दिया है, और अब वह उस स्तर के बेहद करीब है जहां से परमाणु हथियार बनाना संभव हो सकता है. इस स्थिति में अमेरिका और इजराइल दोनों की चिंता गहराती जा रही है. विशेषकर इजराइल, जो ईरान के खिलाफ सैन्य विकल्प को खुला रखने की बात करता रहा है.
कूटनीति बनाम टकराव
इस पूरी स्थिति में दो तरह के दृष्टिकोण सामने आए हैं. ट्रंप की आक्रामक रणनीति और पुतिन की शांतिपूर्ण बातचीत की नीति. लेकिन सवाल यह है कि अगर ईरान झुकने को तैयार नहीं होता, तो क्या कूटनीति काम करेगी, या फिर मामला सैन्य टकराव तक पहुंच जाएगा?
क्या रूस बना सकता है फर्क?
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वह ईरान पर कितना दबाव बना सकता है. रूस, चीन और ईरान के बीच बढ़ता सामरिक सहयोग अमेरिका के लिए एक नई चुनौती बनकर उभरा है. आने वाले हफ्तों में ईरान का रुख और अमेरिका की प्रतिक्रिया यह तय करेंगे कि यह संकट नियंत्रण में आता है या फिर दुनिया एक और परमाणु टकराव की ओर बढ़ती है.
यह भी पढ़ें: J-35A जेट की डील कर रहा पाकिस्तान, PL-17 मिसाइल से होगा लैस; भारत भी देगा रूसी कंटेनर-S OTH रडार से जवाब