वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित नए टैरिफ नियमों ने वैश्विक व्यापार के साथ-साथ घरेलू बाजार में भी हलचल मचा दी है. 1 अगस्त से लागू हुए इन शुल्कों के बाद 80 से अधिक देशों से आयात होने वाले सामानों पर शुल्क बढ़ा दिया गया है. अमेरिका पहले से ही 71 प्रतिशत आयातित वस्तुओं पर औसतन 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ लागू करता रहा है. अब इस अतिरिक्त शुल्क के चलते अमेरिकी उपभोक्ताओं को रोजमर्रा की चीज़ों विशेषकर खाद्य पदार्थों के लिए जेब ढीली करनी होगी.
यह कदम ट्रंप प्रशासन के उस एजेंडे का हिस्सा है जो ‘अमेरिकन मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने’ और ‘विदेशी निर्भरता कम करने’ के इरादे से शुरू किया गया है. लेकिन विश्लेषकों की मानें तो यह नीति अमेरिका के खुद के ही खाने की थाली पर सबसे गहरा असर डाल सकती है.
क्या अमेरिका में महंगाई की नई लहर आएगी?
ट्रंप सरकार की नई टैरिफ नीति का सबसे बड़ा झटका खाद्य उद्योग को लगने वाला है, खासकर उन चीज़ों को जो अमेरिका में उत्पादन की सीमाओं के कारण बड़ी मात्रा में विदेशों से आयात की जाती हैं.
उदाहरण के लिए, अमेरिका में केला बेहद लोकप्रिय फल है, बनाना ब्रेड, स्मूदी, चिप्स, और कई हेल्दी स्नैक्स में इसका इस्तेमाल आम है. लेकिन अमेरिका खुद केले का बहुत कम उत्पादन करता है. 2023 में अमेरिका ने 2 अरब डॉलर से अधिक के केले आयात किए, जिनमें अधिकांश ग्वाटेमाला और मध्य अमेरिकी देशों से आए. अब इन देशों से आने वाले केलों पर टैरिफ बढ़ने से अमेरिकी उपभोक्ताओं को केले की हर बाइट महंगी पड़ सकती है.
कनाडा और मैक्सिको: करीबी पड़ोसी, महंगे सप्लायर
अमेरिका की फूड सप्लाई का बड़ा हिस्सा उसके उत्तरी और दक्षिणी पड़ोसियों कनाडा और मैक्सिको से आता है. लेकिन अब इन दोनों देशों पर भी ट्रंप प्रशासन ने भारी टैरिफ लाद दिया है. कनाडा पर 35 प्रतिशत और मैक्सिको पर 25 प्रतिशत का शुल्क लागू किया गया है.
🇺🇸 Where the U.S. imports its food from:
— World of Statistics (@stats_feed) August 27, 2024
🇦🇺 Australia: sheep meat 🥩
🇧🇷 Brazil: orange juice 🥤
🇨🇦 Canada: mushrooms, potatoes 🥔, bovine cuts 🥩 , swine hams 🥩 , fresh fish 🐟, lobsters 🦞, crabs 🦀, canola oil, wheat 🌾, maize, oats, barley, maple syrup 🍁
🇨🇳 China: apple…
कनाडा से अमेरिका गेहूं, मक्का, ओट्स, लॉबस्टर, मीट, मछली और कैनोला ऑयल जैसी चीज़ें आयात करता है. वहीं, मैक्सिको से आने वाले टमाटर, शिमला मिर्च, प्याज, स्ट्रॉबेरी, नींबू, एवाकाडो, लेट्यूस, पालक, चीनी और अखरोट जैसे ताजे फल और सब्जियों पर भी अब टैरिफ की तलवार लटक गई है.
नतीजा ये होगा कि सुपरमार्केट की शेल्फ़ में रखी ये सारी चीजें अब उपभोक्ताओं की पहुंच से बाहर होती जाएंगी.
2024 में 221 अरब डॉलर का खाद्य आयात
2024 में अमेरिका ने कुल 221 अरब डॉलर मूल्य के फूड प्रोडक्ट्स का आयात किया. लेकिन ट्रंप की टैरिफ नीति के बाद इनमें से लगभग 74% आयातित वस्तुएं अब महंगी हो जाएंगी. इसका सीधा असर अमेरिका की आम जनता पर पड़ेगा, जो इन जरूरी वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी से प्रभावित होगी.
मेक्सिको, कनाडा, यूरोपीय यूनियन, ब्राजील और चीन अमेरिका के टॉप-5 फूड एक्सपोर्टिंग देश हैं. इन देशों की कुल हिस्सेदारी अमेरिका के खाद्य आयात में 62 प्रतिशत है. अब जब इन पर भारी टैरिफ लागू हो गया है, तो महंगाई की आंधी को रोक पाना मुश्किल होगा.
चीन, भारत, ब्राजील- सबके लिए मुश्किल वक्त
ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी सिर्फ उत्तरी अमेरिका तक सीमित नहीं रही. एशिया और लैटिन अमेरिका के प्रमुख देशों पर भी इसका असर पड़ा है. चीन पर 30 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया है, जबकि वहां से अमेरिका में बड़ी मात्रा में ऐप्पल जूस और फ्रोजन फिश का आयात होता है.
भारत पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगा है, जबकि अमेरिका भारत से खास तौर पर झींगा मछली (फ्रोजन श्रिम्प्स) मंगाता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में भारत ने अमेरिका को 17.8 लाख मीट्रिक टन सीफूड (लगभग ₹60,500 करोड़ मूल्य) निर्यात किया था, जिनमें करीब 3 लाख मीट्रिक टन झींगे थे. यह उद्योग अब अमेरिका में महंगे दामों से जूझने वाला है.
ब्राजील पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है, जो अमेरिका को मीट, संतरे का रस और कॉफी भेजता है. खासकर ब्राजीलियन कॉफी की मांग अमेरिका में बेहद ज्यादा है. लेकिन अब कॉफी प्रेमियों को अपनी सुबह की कॉफी के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी.
यूरोप और एशिया से आने वाले प्रोडक्ट्स महंगे
ट्रंप की टैरिफ तलवार ने यूरोप और एशिया से आने वाले लोकप्रिय खाद्य उत्पादों को भी नहीं छोड़ा है. उदाहरणस्वरूप:
इन सभी वस्तुओं पर भी अब भारी शुल्क लागू हो गया है, जिससे इनकी अमेरिकी बाजारों में कीमतें निश्चित रूप से ऊपर जाएंगी.
क्या ट्रंप की नीति से अमेरिका को लाभ होगा?
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इस टैरिफ नीति से घरेलू उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और अमेरिकी किसानों और उत्पादकों को संरक्षण मिलेगा. लेकिन अर्थशास्त्रियों और बाजार विश्लेषकों की राय इससे भिन्न है. उनका मानना है कि अमेरिका जितना खाद्य उत्पादन करता है, वह उसकी कुल मांग का एक छोटा हिस्सा ही पूरा करता है. इसके अलावा, जलवायु, भौगोलिक सीमाएं और संसाधनों की उपलब्धता जैसे कारणों से कई खाद्य उत्पादों के लिए उसे विदेशों पर निर्भर रहना ही पड़ेगा.
ये भी पढ़ें- 'पाकिस्तान को जंग के लिए हथियार दिए...' 1971 का अखबार शेयर कर भारतीय सेना ने अमेरिका पर साधा निशाना