अमेरिका और रूस के बीच तल्ख़ियां एक बार फिर नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई हैं. राष्ट्रपति और अब रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव की तीखी टिप्पणी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सख्त प्रतिक्रिया दी है. ट्रंप ने शुक्रवार को यह एलान किया कि अमेरिका "उपयुक्त क्षेत्रों" में परमाणु हथियारों से लैस पनडुब्बियां तैनात करेगा.
इस कूटनीतिक खींचतान की शुरुआत उस समय हुई जब मेदवेदेव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ट्रंप के खिलाफ तीखा बयान देते हुए उन्हें 'अल्टीमेटम गेम' खेलने वाला करार दिया. मेदवेदेव ने चेतावनी भरे लहजे में लिखा, हम न तो इज़राइल हैं और न ही ईरान. ट्रंप का कोई भी नया अल्टीमेटम हमारे लिए युद्ध की धमकी के समान होगा. उन्हें 'स्लीपी जो' (जो बाइडन) बनने से बचना चाहिए.
ट्रंप का पलटवार
मेदवेदेव की इन टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर तीखा जवाब दिया. उन्होंने लिखा मेदवेदेव- जो कभी राष्ट्रपति रहा है और अब भी खुद को राष्ट्रपति समझता है - उसे अपने शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए. वह बहुत खतरनाक जमीन पर कदम रख रहा है.
ट्रंप ने आगे कहा कि इस प्रकार की "मूर्खतापूर्ण और उकसाने वाली बयानबाजी" के जवाब में उन्होंने दो परमाणु पनडुब्बियों को उपयुक्त समुद्री इलाकों में तैनात करने का आदेश दे दिया है. “शब्दों की कीमत चुकानी पड़ सकती है” ट्रंप ने अपनी चेतावनी में यह भी कहा, शब्दों का असर बहुत गहरा होता है. कई बार ये बिना सोचे-समझे कहे गए बयान बड़ी तबाही का कारण बन सकते हैं. उम्मीद है कि इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा."
बढ़ता तनाव, और गहराती आशंकाएं
मेदवेदेव को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का सबसे करीबी और आक्रामक प्रवक्ता माना जाता है. ऐसे में उनके बयान को हल्के में नहीं लिया जा सकता. वहीं ट्रंप के इस कदम से साफ है कि अमेरिका अब खुलकर शक्ति प्रदर्शन के रास्ते पर है.जहां एक ओर दोनों नेताओं की बयानबाज़ी वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा रही है, वहीं परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती का यह फैसला कूटनीतिक स्तर पर किसी नए टकराव की भूमिका बना सकता है.
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