US-China Relations: अमेरिकी राजनीति में अप्रत्याशित निर्णय लेने के लिए पहचाने जाने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी नीतियों में बड़ा बदलाव करते हुए छह लाख चीनी छात्रों को अमेरिका आने की अनुमति देने का ऐलान किया है. यह फैसला उस समय आया है जब हाल ही के वर्षों में अमेरिका और चीन के बीच रिश्ते लगातार तनावपूर्ण रहे हैं, खासकर व्यापारिक टैरिफ और वीजा प्रतिबंधों के कारण.
ट्रंप ने मंगलवार, 26 अगस्त 2025 को मीडिया से बातचीत में कहा कि यह अमेरिका के लिए बेहद ज़रूरी है कि चीनी छात्र अमेरिकी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में आएं. उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्होंने कई ऐसी खबरें सुनीं जिनमें कहा गया कि चीनी छात्रों को अमेरिका में प्रवेश नहीं मिल रहा है, जो अब बदलेगा.
शी जिनपिंग से आमंत्रण
ट्रंप ने यह भी खुलासा किया कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें बीजिंग आने का आमंत्रण दिया है. ट्रंप ने इसे सकारात्मक संकेत मानते हुए कहा कि अमेरिका-चीन संबंध उनके लिए विशेष हैं और दोनों देशों के बीच आर्थिक भागीदारी को और मज़बूत किया जाएगा.
ट्रंप का कहना था, “जैसा कि आप जानते हैं, टैरिफ और अन्य उपायों के ज़रिए चीन से अमेरिका में भारी मात्रा में राजस्व आता है. लेकिन इसके बावजूद हम दोनों देशों के बीच एक बेहतर और सम्मानजनक संबंध बनाए रखने के पक्षधर हैं.”
अब शिक्षा के ज़रिए समीपता
इस कदम ने विश्लेषकों का ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि कुछ महीनों पहले तक ट्रंप प्रशासन का रुख बेहद सख्त था. वर्ष 2025 की शुरुआत में अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले सामानों पर भारी टैरिफ लगा दिए थे, जो बढ़ते-बढ़ते 145 प्रतिशत तक पहुंच गए. जवाबी कार्रवाई में चीन ने भी 125 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की थी.
इतना ही नहीं, मई में ट्रंप सरकार ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े और रिसर्च फील्ड के चीनी नागरिकों के वीज़ा रद्द कर दिए थे. यह संकेत था कि द्विपक्षीय संबंध काफी निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं. लेकिन अब जून से ट्रंप ने अपने बयान और नीतियों में नरमी लानी शुरू की और स्पष्ट कर दिया कि वे शिक्षा और स्टूडेंट एक्सचेंज को राजनीति से अलग मानते हैं.
अमेरिका में पहले से पढ़ रहे हैं हजारों चीनी छात्र
वर्तमान में अमेरिका में करीब 2,70,000 चीनी छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. अब इस नई नीति के बाद यह संख्या 6 लाख तक पहुंच सकती है. यह केवल छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि अमेरिकी शिक्षा संस्थानों और वहां की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
चीन की मैगनेट मार्केट पर ट्रंप का वार
ट्रंप ने यह भी दोहराया कि भले ही शिक्षा के मोर्चे पर नरमी दिखाई गई हो, लेकिन अमेरिका चीन की आर्थिक मोनोपोली को चुनौती देता रहेगा. उन्होंने चीनी मैगनेट्स पर 200 प्रतिशत टैरिफ प्रस्तावित करते हुए कहा कि चीन ने इस क्षेत्र में वैश्विक बाजार पर एकाधिकार बना लिया है, जिसे तोड़ना ज़रूरी है.
यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर के डोडा में बादल फटने से भारी तबाही, हालात गंभीर; मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी