ट्रंप ने एल्यूमीनियम और स्टील इंपोर्ट पर टैरिफ बढ़ाई, 25% से 50% किया, भारतीय एक्सपोर्ट पर संकट

    अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर आयात शुल्क को दोगुना करने के प्रस्ताव ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला, विशेषकर भारतीय निर्यातकों के लिए चिंता की लहर पैदा कर दी है.

    Trump increases tariffs on steel and aluminum
    डोनाल्ड ट्रम्प/Photo- ANI

    नई दिल्ली: अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर आयात शुल्क को दोगुना करने के प्रस्ताव ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला, विशेषकर भारतीय निर्यातकों के लिए चिंता की लहर पैदा कर दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा की गई यह घोषणा भारतीय धातु उद्योग के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत हर वर्ष अमेरिका को अरबों डॉलर के मेटल उत्पाद निर्यात करता है.

    ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की नवीनतम रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है कि प्रस्तावित टैरिफ दरों में वृद्धि से भारत के लगभग ₹39,000 करोड़ (4.56 अरब डॉलर) के स्टील और एल्युमीनियम निर्यात पर सीधा असर पड़ सकता है.

    नई टैरिफ नीति का प्रभाव: 

    4 जून 2025 से लागू होने जा रही नई दरों के अनुसार, अमेरिका स्टील और एल्युमीनियम आयात पर मौजूदा 25% टैरिफ को बढ़ाकर 50% कर देगा. यह बदलाव यूएस ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट, 1962 की धारा 232 के तहत किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर राष्ट्रपति व्यापार प्रतिबंध लगा सकते हैं.

    GTRI के अनुसार, भारतीय निर्यातकों के लिए यह नीति तीन प्रमुख मोर्चों पर असर डाल सकती है:

    लागत में वृद्धि: अमेरिकी बाजार में भारतीय मेटल उत्पादों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे उनका मूल्य लाभ खत्म हो सकता है.

    प्रतिस्पर्धा में कमी: अमेरिका में स्थानीय उत्पादकों को अप्रत्यक्ष लाभ मिलेगा, जिससे भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होगी.

    बाजार हिस्सेदारी में गिरावट: अमेरिका भारत के लिए एक प्रमुख बाजार है. टैरिफ बढ़ने से भारत की वहां की हिस्सेदारी कमजोर हो सकती है.

    कौन-कौन से उत्पाद प्रभावित होंगे?

    वित्त वर्ष 2025 के दौरान, भारत ने अमेरिका को विभिन्न प्रकार के मेटल उत्पाद निर्यात किए:

    • लोहा और स्टील: $587.5 मिलियन
    • लोहा और स्टील उत्पाद: $3.1 बिलियन
    • एल्युमीनियम और संबंधित वस्तुएं: $860 मिलियन

    इन सभी श्रेणियों पर बढ़ा हुआ शुल्क सीधे लागत और लाभप्रदता को प्रभावित करेगा.

    भारत की प्रतिक्रिया और WTO में रुख

    भारत सरकार ने इस फैसले पर कूटनीतिक प्रतिक्रिया देते हुए वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) को औपचारिक सूचना दी है और संभावित "प्रतिकारात्मक उपायों (retaliatory measures)" पर भी विचार कर रही है. विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के पास WTO में चुनौती देने और व्यापार वार्ताओं के ज़रिये राहत की संभावना मौजूद है.

    टैरिफ वृद्धि का घरेलू अमेरिकी असर

    GTRI का विश्लेषण बताता है कि यह टैरिफ वृद्धि सिर्फ निर्यातकों को ही नहीं, बल्कि अमेरिकी बाजार को भी प्रभावित करेगी:

    • अमेरिकी स्टील की कीमतें $1,180 प्रति टन (लगभग ₹1 लाख) से अधिक हो सकती हैं.
    • इससे ऑटोमोबाइल, कंस्ट्रक्शन और मैन्युफैक्चरिंग जैसे प्रमुख उद्योगों की लागत में तेज़ी आएगी.
    • छोटे और मंझोले अमेरिकी निर्माताओं पर इसका विशेष दबाव पड़ सकता है, जिन्हें सस्ते आयात पर निर्भर रहना पड़ता है.

    पर्यावरणीय चिंताएं भी उठीं

    GTRI ने अमेरिका की नई नीति पर पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी सवाल खड़े किए हैं. रिपोर्ट के अनुसार:

    "जबकि अधिकांश देश स्टील और एल्युमीनियम निर्माण में हरित तकनीकों में निवेश कर रहे हैं, अमेरिकी नीति में पर्यावरणीय पहलुओं की उपेक्षा स्पष्ट है."

    यह दृष्टिकोण अमेरिका के ग्लोबल क्लाइमेट गोल्स और सस्टेनेबल इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के प्रति प्रतिबद्धता पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है.

    ये भी पढ़ें- होवित्जर, आकाश, पिनाका... भारत क्यों दे रहा है आर्मेनिया को हथियार? पाकिस्तान-तुर्की से है कनेक्शन