फिर फिसली ट्रंप की जुबान, अब ईरान में मोसाद एजेंट की लगा दी लंका! NATO समिट में ये क्या बोल गए?

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं. इस बार मामला बेहद संवेदनशील है.

    Trump destroyed Mossad agent in Iran at NATO summit
    डोनाल्ड ट्रंप | Photo: ANI

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं. इस बार मामला बेहद संवेदनशील है—नाटो समिट 2025 के दौरान दिए गए उनके एक बयान ने अमेरिका की कूटनीति और खुफिया तंत्र को मुश्किल में डाल दिया है. ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से यह कहकर सनसनी फैला दी कि ईरान की फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी पर अमेरिकी हमले के बाद इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के एजेंट वहां पहुंचे थे और अब इजरायल से रिपोर्ट आने का इंतज़ार है.

    बयान से खुला खुफिया ऑपरेशन का राज

    ट्रंप के इस बयान ने कई सवालों को जन्म दे दिया है. क्या उन्होंने अनजाने में इजरायली ऑपरेशन की पोल खोल दी? उन्होंने कहा, "इसे (फोर्डो फैसिलिटी को) बुरी तरह मारा गया और यह पूरी तरह तबाह हो चुका है... इजरायल रिपोर्ट तैयार कर रहा है. उनके लोग वहां जाते हैं जब हमला हो चुका होता है."

    यह कथन केवल एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं है, बल्कि खुफिया एजेंट्स की जान जोखिम में डालने वाला कदम माना जा रहा है. अगर वाकई मोसाद के एजेंट वहां ऑपरेशन कर रहे थे, तो अब उनकी पहचान उजागर होने का खतरा बढ़ गया है.

    इतिहास रहा है ट्रंप के लीक का

    यह पहली बार नहीं है जब डोनाल्ड ट्रंप ने संवेदनशील जानकारी सार्वजनिक की है. 2017 में उन्होंने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात के दौरान इजरायल से मिली अत्यंत गोपनीय जानकारी साझा कर दी थी. इसका नतीजा ये हुआ कि ISIS में घुसे एक एजेंट की जान खतरे में पड़ गई और अमेरिका की खुफिया एजेंसियों के साथ-साथ Five Eyes नेटवर्क (अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड) के बीच विश्वास की दीवार दरक गई थी.

    ईरान के भीतर मोसाद की सक्रियता कोई नई बात नहीं

    ईरान लंबे समय से संदेह करता रहा है कि मोसाद उसके न्यूक्लियर प्रोग्राम की निगरानी कर रहा है, लेकिन अब तक इसकी ठोस पुष्टि नहीं थी कि एजेंट कहां और कैसे काम कर रहे हैं. इजरायल पहले ही ईरान के कई वैज्ञानिकों को निशाना बना चुका है और हाल ही में तेहरान में ड्रोन हमलों तथा मिसाइल लॉन्च साइट्स की जासूसी से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक की है.

    लेकिन ट्रंप का यह सीधा और बिना फिल्टर वाला बयान अब इन खुफिया गतिविधियों की पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है, जिससे न केवल इजरायल के मिशनों को खतरा है, बल्कि अमेरिका और उसके सहयोगियों की खुफिया नीतियों की साख पर भी सवाल उठ रहे हैं.

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