Shipkila Pass: हिमाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा पर स्थित शिपकी-ला दर्रे से एक बार फिर व्यापारिक गतिविधियां शुरू होने जा रही हैं. केंद्रीय विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में आधिकारिक मंजूरी दे दी है, जिसके बाद किन्नौर जिला प्रशासन ने तैयारियां तेज कर दी हैं. नए साल 2026 में प्रस्तावित व्यापार सत्र के दौरान शिपकी-ला के रास्ते दोनों देशों के बीच सीमित लेकिन नियंत्रित व्यापार फिर से शुरू किया जाएगा.
किन्नौर के उपायुक्त और सह-व्यापार प्राधिकरण अमित ने बताया कि शिपकी-ला से भारत-चीन व्यापार कोविड-19 महामारी के कारण पिछले करीब छह वर्षों से बंद था. अब परिस्थितियों के अनुकूल होने और केंद्र से अनुमति मिलने के बाद इसे दोबारा शुरू करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है. प्रशासन का लक्ष्य जून 2026 से व्यापारिक गतिविधियों को औपचारिक रूप से शुरू करना है.
प्रशासन ने शुरू की तैयारियों की समीक्षा
व्यापार को सुचारु रूप से शुरू करने के लिए जिला प्रशासन ने सभी संबंधित विभागों और हितधारकों के साथ एक विस्तृत समीक्षा बैठक आयोजित की. इस बैठक में शिपकी-ला और नमगिया क्षेत्र में सड़क संपर्क की स्थिति, लॉजिस्टिक सुविधाएं, सुरक्षा इंतजाम, सीमा शुल्क व्यवस्था, चिकित्सा सुविधाएं और आपातकालीन सेवाओं की उपलब्धता जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की गई.
प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि व्यापार शुरू होने से पहले बुनियादी ढांचे में किसी भी तरह की कमी न रहे, ताकि व्यापारियों और सुरक्षाबलों को किसी तरह की परेशानी न हो.
ITBP और स्थानीय पुलिस संभालेंगी सुरक्षा
सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है. उपायुक्त ने स्पष्ट किया कि शिपकी-ला क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और स्थानीय पुलिस संयुक्त रूप से करेगी. व्यापारिक गतिविधियां पूरी तरह निगरानी में होंगी और तय प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराया जाएगा.
व्यापार में भाग लेने के लिए स्थानीय व्यापारियों का पंजीकरण जरूरी होगा. यह प्रक्रिया पूह तहसीलदार कार्यालय के माध्यम से की जाएगी. केवल वे व्यापारी ही सीमापार व्यापार कर सकेंगे, जिन्हें प्रशासन की ओर से आधिकारिक मंजूरी मिलेगी. पंजीकरण के लिए व्यापारियों को पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र, पूर्व व्यापार से संबंधित रिकॉर्ड (यदि उपलब्ध हो) और पासपोर्ट साइज फोटो जमा करना अनिवार्य होगा.
केवल अधिसूचित वस्तुओं का होगा लेन-देन
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि भारत सरकार की ओर से अधिसूचित वस्तुओं का ही आयात और निर्यात किया जाएगा. किसी भी गैर-अनुमोदित वस्तु के व्यापार की अनुमति नहीं होगी. सीमा शुल्क विभाग शिपकी-ला पर आवश्यक स्टाफ की तैनाती करेगा, ताकि कस्टम क्लियरेंस और जांच की प्रक्रिया सुचारु रूप से पूरी की जा सके.
इस फैसले को मौजूदा अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों से भी जोड़कर देखा जा रहा है. हाल के महीनों में भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर तनाव बढ़ा है, खासकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के बाद. ऐसे में माना जा रहा है कि भारत और चीन के बीच सीमित व्यापार को दोबारा शुरू करने की मंजूरी इसी बदलते वैश्विक समीकरण का हिस्सा हो सकती है. हालांकि, आधिकारिक तौर पर इस कारण की कोई पुष्टि नहीं की गई है.
शिपकी-ला पहले ही पर्यटकों के लिए खुल चुका है
गौरतलब है कि शिपकी-ला दर्रे को 78 साल बाद 10 जून 2025 को पर्यटकों के लिए भी खोला गया था. यह दर्रा हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित है और इसके सामने तिब्बत का क्षेत्र पड़ता है, जो वर्तमान में चीन के नियंत्रण में है. यहां भारतीय सेना की स्थायी तैनाती रहती है.
पर्यटकों को अब विशेष अनुमति के बाद शिपकी-ला तक जाने की इजाजत दी जाती है, हालांकि रात में ठहरने की अनुमति नहीं है. इसी मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा का एक पारंपरिक ट्रैक भी गुजरता है, लेकिन उस यात्रा के लिए चीन की अनुमति आवश्यक होती है.
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा
शिपकी-ला से व्यापार शुरू होने से किन्नौर और आसपास के सीमावर्ती इलाकों की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलने की उम्मीद है. स्थानीय व्यापारियों, ट्रांसपोर्टर्स और सेवा क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए यह एक बड़ा अवसर माना जा रहा है. प्रशासन का मानना है कि सीमित और नियंत्रित व्यापार से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और क्षेत्रीय विकास को बल मिलेगा.
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