रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के ऊँचे पहाड़ों के बीच बसा केदारनाथ धाम इस वर्ष एक बार फिर श्रद्धा और आस्था का केंद्र बना रहा. प्रशासन द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2025 के यात्रा सीजन में कुल 17 लाख 68 हजार 795 श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए.
इनमें से 14 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने पैदल यात्रा कर कठिन और दुर्गम मार्गों को पार करते हुए धाम तक पहुंचने का साहस दिखाया. यह संख्या न केवल इस वर्ष का रिकॉर्ड है, बल्कि 2013 की भीषण आपदा के बाद दूसरी बार इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का संकेत देती है.
175 दिन चला यात्रा सीजन
इस वर्ष केदारनाथ यात्रा 2 मई से प्रारंभ होकर 23 अक्टूबर तक, पूरे 175 दिनों तक चली. इतनी लंबी अवधि में लाखों श्रद्धालुओं ने उत्तराखंड के ऊँचे पर्वतीय रास्तों, कठिन मौसम और सीमित संसाधनों के बावजूद यात्रा पूरी की.
प्रशासन के अनुसार, मई और जून के महीनों में ही यात्रियों की संख्या सबसे अधिक रही. केवल इन दो महीनों में 13 लाख से ज्यादा श्रद्धालु केदारनाथ पहुंचे, जो अब तक के यात्रा इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ता है.
वहीं, बरसात और भूस्खलन के कारण जुलाई और अगस्त के महीनों में यात्रा धीमी पड़ी. अगस्त में केवल 31,000 से अधिक तीर्थयात्री ही धाम पहुंच पाए. लेकिन सितंबर और अक्टूबर में मौसम के सुधरते ही यात्रियों की भीड़ फिर से बढ़ गई, जिससे यात्रा ने साल के अंत तक रफ्तार बनाए रखी.
82 हजार श्रद्धालु हेलिकॉप्टर से पहुंचे
इस यात्रा में पर्वतीय मार्गों के अलावा वैकल्पिक परिवहन साधनों का भी बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया.
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार के अनुसार:
यह आंकड़े दिखाते हैं कि आधुनिक तकनीक और पारंपरिक साधनों, दोनों के संतुलन के साथ यात्रा व्यवस्थाएं सफलतापूर्वक संचालित की गईं.
14 लाख यात्री पैदल मार्ग से पहुंचे
केदारनाथ यात्रा का सबसे चुनौतीपूर्ण पहलू इसका 16 से 21 किलोमीटर लंबा पैदल मार्ग है, जो गौरीकुंड से शुरू होकर मंदिर तक जाता है.
इस वर्ष 14 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने इस पूरे रास्ते को पैदल तय किया. इस मार्ग पर चढ़ाई, बर्फ, बारिश और कम ऑक्सीजन जैसी परिस्थितियां यात्रियों की परीक्षा लेती हैं. इसके बावजूद, लाखों श्रद्धालुओं का उत्साह और विश्वास अटूट रहा.
स्थानीय प्रशासन ने बताया कि मार्ग पर रिफ्रेशमेंट सेंटर, प्राथमिक चिकित्सा शिविर, और ऑक्सीजन सपोर्ट पॉइंट की विशेष व्यवस्था की गई थी, जिससे पैदल चलने वाले श्रद्धालुओं को राहत मिल सके.
2013 की आपदा के बाद सबसे सुरक्षित सीजन
जून 2013 की आपदा ने उत्तराखंड के इतिहास में एक दर्दनाक अध्याय लिखा था, जब बाढ़ और भूस्खलन से हजारों लोगों की जान गई थी और केदारनाथ मंदिर क्षेत्र पूरी तरह तबाह हो गया था.
तब से राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने चारधाम यात्रा मार्ग को सुरक्षित और बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू कीं. उन प्रयासों का परिणाम इस वर्ष स्पष्ट रूप से देखा गया. पूरी यात्रा के दौरान कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, और यह सीजन अब तक का सबसे सुरक्षित और सुव्यवस्थित माना जा रहा है.
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