मॉस्को: रूस की वायुसेना दशकों से सैन्य शक्ति और अत्याधुनिक तकनीक का प्रतीक रही है. सोवियत संघ के जमाने से लेकर आज तक, रूस ने ऐसे लड़ाकू विमान तैयार किए हैं जो युद्ध का रुख पलटने की ताकत रखते हैं. ये विमान सिर्फ रफ्तार और मारक क्षमता में ही नहीं, बल्कि रणनीतिक सोच में भी अग्रणी रहे हैं.
रूस ने कई जेट ऐसे बनाए हैं जिन्हें दुनिया भर में अपनाया गया—Su-25, Su-35S, Su-57, MiG-31 और MiG-35 जैसे फाइटर जेट आज भी कई देशों की वायुसेना की रीढ़ हैं. लेकिन इनमें से Su-57 को लेकर सवाल बढ़ते जा रहे हैं. आइए जानें रूस के इन पांच सबसे अहम फाइटर जेट्स के बारे में और क्यों Su-57 को लेकर भारत जैसे देशों के सामने दुविधा खड़ी हो रही है.
1. Su-25: ग्राउंड अटैक का भरोसेमंद वॉरहॉर्स
1981 में पहली बार उड़ान भरने वाला Su-25 जमीनी हमलों के लिए डिज़ाइन किया गया एक ताकतवर एयरक्राफ्ट है. इसका मुख्य उद्देश्य फ्रंटलाइन सैनिकों को हवाई सुरक्षा देना और दुश्मन की जमीनी ताकत को खत्म करना है.
इसने अफगान युद्ध से लेकर खाड़ी युद्ध तक अपनी ताकत दिखाई. इसकी मजबूत बनावट, सरल डिजाइन और कम मेंटेनेंस जरूरत इसे युद्ध के कठिन हालात में भी ऑपरेशनल बनाए रखती है.
2. Su-35S: स्टील्थ के बिना भी खतरनाक
Su-35S को Su-27 का अपग्रेडेड वर्जन माना जाता है, लेकिन इसकी क्षमताएं उसे एक अलग ही श्रेणी में ले जाती हैं. 4.5 जेनरेशन के इस फाइटर जेट में लगे AL-41F1S इंजन इसे Mach 2.25 की रफ्तार और 3,600 किमी की रेंज देते हैं.
ये जेट 8,000 किलो तक हथियार लेकर उड़ सकता है, और हवा से हवा व जमीन दोनों लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम है. यह पारंपरिक वायु युद्ध में रूस की रीढ़ बन चुका है.
3. Su-57: स्टील्थ फाइटर या असफल प्रयोग?
Su-57 रूस का पहला पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट है, जिसे स्टील्थ और सुपरसोनिक क्रूज क्षमता के साथ डिज़ाइन किया गया. इसका N036 Belka AESA रडार सिस्टम और इंटरनल वेपन बे इसे रडार की पकड़ से बचने में मदद करते हैं.
लेकिन इसी विमान को लेकर आज सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे हैं — इसकी स्टील्थ क्षमता को लेकर विशेषज्ञों में मतभेद हैं, और इसका उत्पादन भी बेहद सीमित रहा है.
रूस इसे भारत जैसे देशों को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और सोर्स कोड के साथ बेचने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इसके तकनीकी प्रदर्शन और अंतरराष्ट्रीय रुचि की कमी इसे संभावित ग्राहक की नजर में कमजोर बनाती है.
4. MiG-31: स्काई शील्ड जो डर पैदा करता है
1981 में वायुसेना में शामिल हुआ MiG-31 आज भी दुनिया के सबसे तेज इंटरसेप्टर जेट्स में से एक है. इसकी स्पीड Mach 2.83 तक जा सकती है, जो इसे हाई-ऑल्टिट्यूड इंटरसेप्शन के लिए आदर्श बनाती है.
यह दुश्मन के बमवर्षकों या क्रूज मिसाइलों को लंबी दूरी से ट्रैक कर सकता है. इसकी भूमिका मुख्य रूप से स्ट्रैटजिक डिफेंस है और रूस इसे 2030 तक सेवा में बनाए रखने की योजना बना रहा है.
5. MiG-35: कम खर्च में आधुनिक ताकत
MiG-35, MiG-29 का अत्याधुनिक और मल्टीरोल अपग्रेडेड वर्जन है. इसमें AESA रडार, डिजिटल कॉकपिट और लेटेस्ट हथियार प्रणाली शामिल हैं. यह दो RD-33MK इंजनों से चलता है, जिन्हें FADEC सिस्टम कंट्रोल करता है.
हालांकि इसकी तकनीक और डिज़ाइन उन्नत हैं, लेकिन इसे अब तक बड़े युद्धों में इस्तेमाल नहीं किया गया है. यही वजह है कि इसे लेकर अब भी कई देशों में संकोच है. रूस इसे कम लागत वाला विकल्प बनाकर पेश कर रहा है, लेकिन फिलहाल इसके खरीदार सीमित हैं.
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