नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद सुरक्षा बलों द्वारा ऑपरेशन महादेव के तहत 28 जुलाई को मारे गए तीन आतंकियों की पहचान स्थानीय नहीं बल्कि पाकिस्तानी नागरिकों के रूप में की गई है. यह जानकारी एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने न्यूज एजेंसी PTI को दी है. अधिकारी ने बताया कि आतंकी और एनकाउंटर स्थल से मिले विभिन्न सबूतों की जांच के बाद यह साफ हो गया है कि वे भारत के स्थानीय नागरिक नहीं, बल्कि पाकिस्तान से थे.
पाकिस्तान के नेशनल डेटाबेस से मिले सबूत
सुरक्षा एजेंसी ने आतंकियों के कब्जे से प्राप्त दस्तावेजों और तकनीकी साक्ष्यों को पाकिस्तान की राष्ट्रीय डेटाबेस और रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी (NADRA) से मिलान किया. इसमें आतंकियों के वोटर आईडी कार्ड, बायोमेट्रिक डेटा जैसे फिंगरप्रिंट, चेहरे की पहचान, और परिवारिक जानकारियां शामिल थीं. इस पूरी प्रक्रिया में प्राप्त डाटा पाकिस्तान की आधिकारिक रिकॉर्ड से मेल खाता पाया गया.
इसके अलावा आतंकियों के पास पाए गए सैटेलाइट फोन से उनकी कॉल रिकॉर्ड और जीपीएस लोकेशन की जानकारी भी हासिल की गई, जो सीधे तौर पर उनके पाकिस्तानी मूल की पुष्टि करती है.
आतंकियों के पाकिस्तानी होने के 6 ठोस सबूत
बायोमेट्रिक रिकॉर्ड: आतंकियों के फिंगरप्रिंट, चेहरे की पहचान और पारिवारिक विवरण पाकिस्तान के NADRA डेटाबेस से मेल खाते हैं.
वोटर आईडी कार्ड: आतंकियों के पास मिले वोटर ID पाकिस्तान चुनाव आयोग की लाहौर और गुजरांवाला की वोटर लिस्ट से पूरी तरह मेल खाते हैं.
सैटेलाइट फोन: इनके कॉल रिकॉर्ड और जीपीएस लोकेशन ने आतंकियों के पाकिस्तान में मौजूद होने की पुष्टि की.
चॉकलेट के रैपर: आतंकियों के पास पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद (PoK) से मई 2024 में भेजे गए चॉकलेट के रैपर मिले.
गोली के खोखे: पहलगाम एनकाउंटर के दौरान चली गोलियों के खोखे बरामद हुए, जो उन राइफलों से मेल खाते हैं जो आतंकियों के पास मिली थीं.
DNA मिलान: खून से सनी हुई शर्ट से प्राप्त DNA आतंकियों के DNA प्रोफाइल से पूरी तरह मैच करता है.
ऑपरेशन महादेव में तीन आतंकवादी ढेर
28 जुलाई को श्रीनगर के दाचीगाम नेशनल पार्क के हरवान इलाके में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए. यह कार्रवाई ऑपरेशन महादेव के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य आतंकवादी गतिविधियों को खत्म करना था.
मारे गए आतंकियों में से दो की पहचान जिबरान और हमजा अफगानी के रूप में हुई है. जिबरान 2024 में सोनमर्ग सुरंग प्रोजेक्ट पर हुए हमले में शामिल था और सुरक्षा एजेंसियों के लिए उसकी मौजूदगी चिंताजनक थी. आतंकियों के पास से भारी मात्रा में हथियार जैसे अमेरिकी M4 कार्बाइन, AK-47, 17 राइफलें और ग्रेनेड बरामद किए गए हैं.
सुरक्षा एजेंसियों के लिए मिली बड़ी कामयाबी
यह जानकारी इस बात को दर्शाती है कि सीमा पार से आतंकी संगठन लगातार भारत के अंदर घुसपैठ कर हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. एनकाउंटर और जांच के दौरान मिली इस ठोस जानकारी से न केवल इस हमले के पीछे की गहराई को समझने में मदद मिली है, बल्कि भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के लिए भी सुरक्षा एजेंसियों को मजबूत हथियार मिले हैं.
पाकिस्तान के आधिकारिक डेटाबेस से इन सबूतों का मिलना सुरक्षा एजेंसाओं के लिए बड़ी सफलता है, क्योंकि इससे आतंकियों की पहचान पर किसी प्रकार का संदेह खत्म हो गया है. यह साबित करता है कि इन हमलों में सीधे तौर पर पड़ोसी देश की संलिप्तता है.
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