मॉस्को: रूस ने अपनी रक्षा क्षमताओं को एक बार फिर वैश्विक मंच पर प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया है. हाल ही में रूसी एयरोस्पेस फोर्सेज ने अपनी पाँचवीं पीढ़ी की स्टील्थ लड़ाकू विमान Su-57 से हाइपरसोनिक मिसाइल जिरकॉन का परीक्षण सफलतापूर्वक किया है. यह परीक्षण न केवल रूस की वायुसेना की क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि रूस हाइपरसोनिक तकनीक को अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में किस तेजी से एकीकृत कर रहा है.
रूसी एयरोस्पेस फोर्सेज के चीफ ऑफ द मेन स्टाफ और फर्स्ट डिप्टी कमांडर-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अलेक्जेंडर मकसिमत्सेव ने इस परीक्षण की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि Su-57 अब आधुनिकतम हाइपरसोनिक हथियारों से लैस है और इस दिशा में डिलीवरी और तैनाती की प्रक्रिया भी तेज़ी से आगे बढ़ रही है.
Su-57 और जिरकॉन का संगम
Su-57 को रूस ने एक बहुउद्देश्यीय, स्टील्थ क्षमता युक्त और अत्याधुनिक एवियोनिक्स सिस्टम वाले फाइटर जेट के रूप में विकसित किया है. यह विमान कई तरह के युद्ध अभियानों को अंजाम देने में सक्षम है, फिर चाहे वह एयर डॉमिनेंस हो, ग्राउंड अटैक या इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर. लेकिन अब, इसमें जब से जिरकॉन हाइपरसोनिक मिसाइल को एकीकृत किया गया है, इसकी मारक क्षमता और भी अधिक बढ़ गई है.
जिरकॉन मिसाइल की बात करें तो यह हवा से सतह पर मार करने वाली क्रूज मिसाइल है, जिसकी अधिकतम रफ्तार Mach 9 (लगभग 11,000 किलोमीटर प्रति घंटा) है और यह करीब 1000 किलोमीटर तक सटीक स्ट्राइक करने में सक्षम है. इतनी अधिक गति और दूरी के साथ, यह मिसाइल किसी भी आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में पूरी तरह सक्षम मानी जाती है.
स्टील्थ और हाइपरसोनिक का संयोजन
Su-57 का डिज़ाइन ही इसे रडार से बचने में मदद करता है, और जब इसके इंटरनल वेपन बे में जिरकॉन जैसे हथियार को लगाया जाता है, तो यह संयोजन और भी घातक हो जाता है. रडार पर इसकी उपस्थिति लगभग न के बराबर होती है, और जब यह हाइपरसोनिक हथियार के साथ हमला करता है तो दुश्मन के पास प्रतिक्रिया देने का समय ही नहीं होता.
इससे पहले रूस ने जिरकॉन को अपनी पनडुब्बियों और युद्धपोतों में शामिल किया था, लेकिन अब इसे एयर-लॉन्च प्लेटफॉर्म के रूप में Su-57 में समायोजित कर लेना एक बड़ा तकनीकी मील का पत्थर है.
अमेरिका और चीन कहां ठहरते हैं?
जहां रूस Su-57 जैसे फाइटर जेट्स में जिरकॉन जैसी मिसाइलें इंटीग्रेट कर रहा है, वहीं अमेरिका और चीन भी अपनी-अपनी हाइपरसोनिक परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं. अमेरिका की SM-6 मिसाइल की गति अधिकतम Mach 3.5 है और इसकी रेंज 450 किलोमीटर के आसपास है. चीन भी अपनी YJ-21 हाइपरसोनिक मिसाइल के लिए दावा करता है कि इसकी स्पीड भी Mach 9 और रेंज 1000 किलोमीटर है, लेकिन इसके तकनीकी परीक्षण और प्रभावशीलता अभी पूरी तरह से विश्वसनीय रूप में सामने नहीं आए हैं.
यूरोपीय देशों के पास फिलहाल इस तरह की कोई हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली नहीं है, जिससे रूस को इस क्षेत्र में तकनीकी बढ़त मिलती है.
क्या यह भारत के लिए संदेश है?
भारत और रूस के रक्षा संबंध लंबे समय से गहरे और रणनीतिक रहे हैं. भारत पहले से ही Su-30MKI, ब्रह्मोस, S-400 एयर डिफेंस सिस्टम जैसे रूस निर्मित प्लेटफॉर्म्स पर भरोसा करता रहा है. ऐसे में जब भारत ने अमेरिका के F-35 फाइटर जेट को खरीदने में रुचि नहीं दिखाई, तो क्या Su-57 उसके लिए एक व्यवहारिक और सामरिक रूप से उपयुक्त विकल्प बन सकता है?
भारत के सामने कुछ स्पष्ट सवाल खड़े होते हैं:
इन सभी सवालों के जवाब आने वाले समय में भारत और रूस के बीच होने वाली बातचीतों में स्पष्ट हो सकते हैं. लेकिन एक बात तय है, यदि भारत को भविष्य में अत्याधुनिक स्टील्थ और हाइपरसोनिक क्षमताओं से लैस फाइटर जेट की ज़रूरत है, तो Su-57 एक ऐसा विकल्प है जिसे गंभीरता से परखा जा सकता है.
ये भी पढ़ें- F35 या SU 57 नहीं... किम जोंग उन के दुश्मन देश से भारत खरीदेगा KF-21 फाइटर जेट? जानें खासियत