चीन-पाकिस्तान को घेरने के लिए भारत को मिला ईरान का साथ, चाबहार पोर्ट के लिए बनाया बड़ा प्लान

    भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह के विकास की दिशा में एक महत्वाकांक्षी रणनीति पर काम तेज कर दिया है. इस परियोजना के तहत बंदरगाह के विस्तार के साथ-साथ उसे रेल नेटवर्क के माध्यम से ईरान के आंतरिक क्षेत्रों से जोड़ने की योजना है.

    India got support from Iran to surround China-Pakistan made a big plan for Chabahar Port
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    तेहरान/नई दिल्ली: भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह के विकास की दिशा में एक महत्वाकांक्षी रणनीति पर काम तेज कर दिया है. इस परियोजना के तहत बंदरगाह के विस्तार के साथ-साथ उसे रेल नेटवर्क के माध्यम से ईरान के आंतरिक क्षेत्रों से जोड़ने की योजना है. यह कदम न केवल भारत की क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूती देगा, बल्कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के प्रभाव को संतुलित करने की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है.

    विशेषज्ञों का मानना है कि चाबहार के विकास से भारत को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और यूरेशिया तक एक स्वतंत्र व्यापार मार्ग प्राप्त होगा, जिसमें पाकिस्तान की सीमाओं पर निर्भरता नहीं होगी. हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के संबंधों में बढ़ती तल्खी ने इस रणनीतिक परियोजना को और भी अहम बना दिया है.

    रेल कनेक्टिविटी से बढ़ेगा महत्व

    भारत और ईरान के बीच सहमति के अनुसार, चाबहार से जाहेदान तक एक नई रेलवे लाइन बिछाई जाएगी. इस रेल संपर्क के साथ चाबहार पोर्ट को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) से जोड़ा जाएगा, जिससे यह गलियारा कैस्पियन सागर, अफगानिस्तान और यूरेशिया के व्यापारिक केंद्रों तक पहुँच का मुख्य मार्ग बन जाएगा.

    भारत पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) के प्रबंध निदेशक सुनील मुकुंदन ने जानकारी दी कि चाबहार पोर्ट की वर्तमान क्षमता को अगले एक वर्ष में पांच गुना बढ़ाकर 5 लाख TEU तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. रेलवे परियोजना पर कार्य भी तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसकी पूर्णता से बंदरगाह की रणनीतिक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी.

    रणनीतिक मोर्चे पर भारत का आधार

    चाबहार पोर्ट का भौगोलिक स्थान इसे विशेष महत्व प्रदान करता है. यह अरब सागर के किनारे स्थित है और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से मात्र 170 किलोमीटर दूर है. गुजरात का कांडला बंदरगाह चाबहार से लगभग 550 नॉटिकल मील की दूरी पर स्थित है, जिससे भारत के पश्चिमी तट से इसकी सुगम पहुँच सुनिश्चित होती है.

    भारत के लिए चाबहार केवल व्यापारिक अवसर ही नहीं, बल्कि सामरिक बढ़त का भी प्रतीक है. इससे भारत न केवल पाकिस्तान के रणनीतिक दायरे से बाहर अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सीधे पहुँच बना सकता है, बल्कि चीन के बढ़ते प्रभाव के सामने भी एक सशक्त विकल्प पेश कर सकता है.

    INSTC में चाबहार की भूमिका

    अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) भारत, ईरान, रूस और अन्य देशों के बीच माल परिवहन का एक विकल्प प्रदान करता है. चाबहार को इस नेटवर्क में एक प्रमुख प्रवेश द्वार के रूप में तैयार किया जा रहा है, जो पारंपरिक समुद्री मार्गों की तुलना में लागत और समय दोनों में उल्लेखनीय बचत करेगा. इससे भारत-यूरेशिया व्यापार संबंधों को एक नया आयाम मिलेगा.

    ये भी पढ़ें- भारत ने तैनात किया मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर पिनाका, पाकिस्तान को पलक झपकते कर देगा तबाह, जानें ताकत