आज के युद्ध की भीति बहुत की सूरता के रूप जमीन की घमसान लडाई नहीं, बल्कि दूर से शत्रु पर की जा रही लूब और मिसाइलों के जरिये अपनी ताकत का झंडा दिखा रही है. इसी की कड़ाकी में भारत की शान और गर्व की स्वदेशी टैकनोलॉजी ने जन्म की युद्ध को नयी दिचा है.
पिनाका: एक दुश्मनी क्रांति की कहानी
पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉचर (एमबीआरएल) की टीम भारतीय सेना की आर्टिलरी यूनिट्स का अभीन्न है. कारगिल युद्ध के दौरान यह पहली बार प्रचलित की गई थी जब भारतीय सेना ने इसको कारगिल की चट्टानों पर बरसा था.
पिनाका फिर बरसने को तैयार
भारत का स्वदेशी मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर पिनाका पाकिस्तान पर फिर बरसने को है तैयार. पहली बार पिनाका की मार का स्वाद पाक सेना कारगिल में चख चुकी है. अब पहलगाम अटैक के बाद फिर से पाक को अपना रौद्र रूप दिखाने के लिए पिनाका पूरी तरह से तैयार है.
बढ़ रही है मारक क्षमता
डीआरडीओ के नेतृत्व कोशों के काम पिनाका की नयी और अधिक नवीन से गाइडेड एक्सटेंडेड रेंज वाले चा रही है. गाइडेड नेविगेशन की मदद से यह नया पिनाका अब समय दूरी की वस्तु वस्तु टारगेट को सटीक और साठिक ढंग से हिट करने में सञ्चम क्षम है. एक साथ पूरी बैटरी दागने पर दुश्मन के 1000 गुना 800 मीटर के इलाके को पूरी तरह से तहस नहस कर देगा. एक बैटरी में 6 फायरिंग यूनिट यानी लॉन्चर होते हैं. एक लॉंचर में 12 ट्यूब होती है यानी की एक पूरी बैटरी में कुल मिलाकर 72 रॉकेट होते हैं.
पूरी तरह से स्वदेशी
गौरव ये खैस की निशान की कमानी से तैयार किया गयी है, जो कोई भी बी बाहरी देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी. जन्म की युद्ध के सम्गीन में पिनाका भाविष्यक युद्ध में भी भी नयी चेहर की नैयी पहचान करने की क्षमता रखती है.