ये तो हद हो गई! पटना के NMCH में चूहों का आतंक, मरीज के पैर की पांचों उंगलियां कुतर डाली

    अवधेश के परिजनों ने बताया कि अस्पताल के अंदर चूहे खुलेआम घूमते हैं. मरीज की देखभाल में लगे लोग भी इन चूहों से परेशान हैं, क्योंकि वे दिन-रात वार्डों में दौड़ते रहते हैं. अस्पताल के सुरक्षाकर्मी शंभु प्रसाद ने बताया, “चूहे ने मरीज के बैंडेज को काटकर उसकी अंगुलियों को जख्मी कर दिया.”

    terror of mice in nmch The patient s five toes were gnawed off Patna News
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    Patna News: पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (NMCH) से एक बार फिर चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है. अस्पताल में मरीज अब सिर्फ बीमारियों से नहीं, चूहों के हमलों से भी जूझ रहे हैं. हड्डी रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. ओम प्रकाश ने अस्पताल अधीक्षक को पत्र लिखकर चूहों के आतंक पर कड़ी चिंता जाहिर की है. उन्होंने चूहा नियंत्रण और वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर तत्काल कदम उठाने की मांग की है.

    मरीज के घायल पैर की उंगलियां चूहों ने कुतरीं

    ताजा मामला बिहारशरीफ के छोटकी हाट निवासी 55 वर्षीय अवधेश कुमार का है, जो दिव्यांग हैं और फिलहाल NMCH के हड्डी विभाग में भर्ती हैं. उनका एक पैर पहले से ही कटा हुआ है और दूसरे पैर का ऑपरेशन हाल में हुआ था. शनिवार की रात चूहों ने उनके घायल पैर की सभी पांचों उंगलियों को कुतर दिया. नींद में सोए मरीज की आंखें तब खुलीं जब उन्होंने महसूस किया कि बिस्तर खून से सना हुआ है.

    परिजन और गार्ड ने बताई अस्पताल की सच्चाई

    अवधेश के परिजनों ने बताया कि अस्पताल के अंदर चूहे खुलेआम घूमते हैं. मरीज की देखभाल में लगे लोग भी इन चूहों से परेशान हैं, क्योंकि वे दिन-रात वार्डों में दौड़ते रहते हैं. अस्पताल के सुरक्षाकर्मी शंभु प्रसाद ने बताया, “चूहे ने मरीज के बैंडेज को काटकर उसकी अंगुलियों को जख्मी कर दिया.”

    आपको बता दें कि यह पहला मामला नहीं है. 15 नवंबर को नालंदा हिंसा के दौरान घायल हुए फंटूश की मौत के बाद, परिजनों ने आरोप लगाया था कि NMCH में भर्ती के दौरान मृत्यु के पश्चात चूहों ने उनके शव की आंख कुतर दी थी. ये घटनाएं सवाल खड़ा करती हैं कि क्या अस्पताल की व्यवस्था सिर्फ नाम की है?

    "गंभीर नुकसान हुआ, इसलिए कार्रवाई जरूरी"

    हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ओम प्रकाश ने मीडिया को बताया, "चूहे पहले भी मौजूद थे, लेकिन जब तक कोई सीधा नुकसान नहीं हो रहा था, तब तक हमने नजरअंदाज़ किया. अब जब मरीज को नुकसान पहुंचा है, हमने अधीक्षक को पत्र भेज दिया है." हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मरीज की जान को कोई बड़ा खतरा नहीं है, फिर भी स्थिति चिंताजनक है और जल्द हल जरूरी है.

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