TEJAS MK-2 Fighter Jet: भारत की स्वदेशी डिफेंस तकनीक एक नए मुकाम की ओर बढ़ रही है. आने वाले वर्षों में भारतीय वायुसेना को मिलने जा रहा है तेजस MK-2, एक उन्नत 4.5 पीढ़ी का मल्टीरोल फाइटर जेट, जिसे DRDO की निगरानी में विकसित किया जा रहा है. इसकी सबसे बड़ी ताकत होगी, यूरोप की घातक Meteor Beyond Visual Range Air-to-Air Missile (BVRAAM), जो हवा से हवा में लंबी दूरी तक मार करने की अपनी क्षमताओं के लिए जानी जाती है.
Meteor मिसाइल को तेजस MK-2 में इंटीग्रेट करने की योजना भारत की एयर-टू-एयर युद्ध क्षमता को पूरी तरह से बदल देने वाली है. इस मिसाइल का थ्रॉटलेबल रैमजेट इंजन, एक्टिव रडार सीकर और टू-वे डाटा लिंक इसे दुनिया की सबसे खतरनाक BVRAAMs में शुमार करता है.
क्यों खास है Meteor?
Meteor मिसाइल साधारण नहीं है. जहां पारंपरिक एयर-टू-एयर मिसाइलें एक तय गति और रेंज पर सीमित होती हैं, वहीं Meteor उड़ान के अंतिम चरण तक लगातार Mach 4 से ज्यादा की गति बनाए रखती है. इसका throttleable ramjet propulsion system इसे जरूरत के अनुसार गति और थ्रस्ट कंट्रोल करने की क्षमता देता है – जिससे लक्ष्य को चकमा देना लगभग नामुमकिन हो जाता है.
Meteor की No Escape Zone (NEZ), यानी वह रेंज जिसमें दुश्मन विमान चाहकर भी नहीं बच सकता, पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में कहीं ज्यादा है. यानि तेजस MK-2 दुश्मन को बिना खुद खतरे में आए बहुत पहले ही निशाना बना सकता है.
हवा में ही बदल सकता है लक्ष्य
Meteor में लगे एडवांस्ड टू-वे डाटा लिंक से मिसाइल रियल-टाइम में लक्ष्य की लोकेशन अपडेट कर सकती है. ये डेटा सीधे तेजस MK-2 के स्वदेशी Uttam AESA रडार या अन्य नेटवर्क-सेंट्रिक स्रोतों से आता है, जिससे लड़ाकू विमान को युद्ध के दौरान टारगेट बदलने और दुश्मन की चाल को मात देने की जबरदस्त क्षमता मिलती है.
तेजस का आंख और दिमाग
तेजस MK-2 में फिट किया जाने वाला Uttam AESA रडार पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है और गैलियम नाइट्राइड (GaN) आधारित सिस्टम के साथ तैयार किया जा रहा है. इसकी रेंज 200 किमी या उससे अधिक होगी, जो तेजस को दूर-दराज के लक्ष्यों को ट्रैक और लॉक करने में सक्षम बनाएगा. इसके साथ-साथ यह रडार इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के खिलाफ भी बेहतर प्रतिरोधकता रखता है.
अब राफेल को दे सकता है टक्कर
अब जब तेजस MK-2 में Meteor मिसाइल और अत्याधुनिक AESA रडार सिस्टम की बात हो रही है, तो यह लड़ाकू विमान किसी भी मामले में राफेल, ग्रिपेन या यहां तक कि यूरोफाइटर टाइफून जैसे जेट्स से कम नहीं होगा. उल्टा, यह भारत के लिए "First Launch Advantage" और "Shoot First, Kill First" जैसी क्षमताएं सुनिश्चित करेगा.
भविष्य की हवाई जंग के लिए तैयार भारत
Meteor और Uttam AESA रडार का यह कॉम्बिनेशन भारतीय वायुसेना को न सिर्फ तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगा, बल्कि हवाई संघर्षों में रणनीतिक बढ़त भी देगा. तेजस MK-2 एक सच्चे अर्थों में स्वदेशी जवाब होगा विदेशी फाइटर जेट्स को – और भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति में यह एक मजबूत कदम साबित होगा.
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