भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की दिशा में एक बड़ा कदम तब देखने को मिला जब तेजस MK-1A, भारतीय वायुसेना के लिए तैयार किया जा रहा उन्नत लड़ाकू विमान, अपने वेपन और रडार सिस्टम के ट्रायल में पूरी तरह सफल रहा. यह विमान न केवल भारत की स्वदेशी एयरोस्पेस तकनीक की मजबूती को दर्शाता है, बल्कि आने वाले समय में यह भारतीय वायुसेना की युद्ध क्षमता में महत्वपूर्ण इजाफा करने जा रहा है.
अत्याधुनिक तकनीक से लैस तेजस MK-1A
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित यह विमान लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस का उन्नत संस्करण है, जिसमें 40 से अधिक सुधार और आधुनिक तकनीकों का समावेश किया गया है. इन सुधारों में आधुनिक एवियोनिक्स, शक्तिशाली रडार सिस्टम, बेहतर इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर क्षमताएं, और उन्नत हथियार प्रणालियां शामिल हैं.
तेजस MK-1A को मल्टी-रोल फाइटर जेट के रूप में विकसित किया गया है, जो हवा में दुश्मन पर हावी होने के साथ-साथ जमीन पर हमले और टोही अभियानों में भी दक्ष है.
अस्त्र और ASRAAM मिसाइलों का सफल परीक्षण
HAL ने तेजस MK-1A के वेपन इंटीग्रेशन टेस्ट्स को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. इन परीक्षणों में खासकर दो प्रमुख मिसाइल प्रणालियों का ध्यान रखा गया:
अस्त्र मिसाइल: यह भारत में विकसित Beyond Visual Range Air-to-Air Missile (BVRAAM) है, जिसे DRDO ने तैयार किया है. इसका सफल परीक्षण यह साबित करता है कि तेजस अब दुश्मन के विमानों को लंबी दूरी से भी नष्ट करने में सक्षम है.
ASRAAM मिसाइल: यह एक शॉर्ट-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल है, जो खासकर करीबी हवाई लड़ाई में अपनी तेजी और सटीकता के लिए जानी जाती है. इस मिसाइल को भी तेजस MK-1A के साथ सफलतापूर्वक इंटीग्रेट किया गया है.
इन दोनों मिसाइलों का इंटीग्रेशन यह सुनिश्चित करता है कि तेजस अब हर प्रकार की हवाई चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है.
AESA रडार से मिलेगा रणनीतिक बढ़त
तेजस MK-1A में अब ELTA ELM-2052 AESA रडार को जोड़ा गया है, जो कि इज़राइली तकनीक पर आधारित है. यह रडार विमान को:
AESA (Active Electronically Scanned Array) रडार सिस्टम आधुनिक लड़ाकू विमानों के लिए एक अनिवार्य तकनीक बन चुकी है और तेजस MK-1A में इसका होना इसे तकनीकी रूप से और अधिक सक्षम बनाता है.
रडार और फायर कंट्रोल सिस्टम का तालमेल
परीक्षणों के दौरान रडार सिस्टम और फायर कंट्रोल कंप्यूटर के बीच संपूर्ण समन्वय देखा गया. यह महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि युद्ध की परिस्थितियों में रडार से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर मिसाइल गाइडेंस और लक्ष्य साधने की प्रक्रिया पूरी होती है. इन दोनों प्रणालियों का तालमेल यह सुनिश्चित करता है कि विमान किसी भी स्थिति में तेजी से और सटीक प्रतिक्रिया दे सके.
भारतीय वायुसेना को मिलने वाला साथी
तेजस MK-1A के ये सफल परीक्षण ऐसे समय में हुए हैं जब भारतीय वायुसेना अपने स्क्वाड्रन स्ट्रेंथ को फिर से मजबूत करने और रक्षा ढांचे के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में जुटी है. वायुसेना के पास पुराने हो चुके विमानों की संख्या ज्यादा है, और उन्हें बदलने के लिए ऐसे मल्टी-रोल, एडवांस्ड फाइटर जेट्स की आवश्यकता है. तेजस MK-1A इसी जरूरत को पूरा करेगा.
वैश्विक स्तर पर मुकाबला करने में सक्षम
तेजस MK-1A को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यह कई विदेशी लड़ाकू विमानों, विशेष रूप से पाकिस्तान के पास मौजूद अमेरिकी F-16 जेट से बेहतर है. तेजस में जहां:
वहीं F-16 अपनी पुरानी डिजाइन और सीमित अपग्रेड्स के साथ पीछे छूटता नजर आता है.
तेजस को 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान माना जा रहा है, जो किसी भी आधुनिक युद्ध क्षेत्र में मजबूती से टिक सकता है.
भविष्य की उड़ान: AMCA की ओर कदम
तेजस MK-1A की सफलता से उत्साहित होकर भारत ने अब 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट प्रोजेक्ट AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) की ओर भी कदम बढ़ा दिया है. हाल ही में इसके प्रोटोटाइप डिजाइन के लिए 15,000 करोड़ रुपये का फंड जारी किया गया है. यह बताता है कि भारत अब केवल रक्षा उपकरण खरीदने वाला नहीं, बल्कि उन्हें डिजाइन और विकसित करने वाला देश बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है.
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