Swiggy Zomato Strike: जब देश 31 दिसंबर की रात जश्न और पार्टियों की तैयारी में जुटा है, उसी वक्त ऑनलाइन डिलीवरी सेक्टर में एक बड़ा तूफान खड़ा हो गया है. Zomato, Swiggy, Blinkit, Zepto, Amazon, Flipkart और BigBasket जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स से जुड़े गिग वर्कर्स ने ठीक न्यू ईयर ईव पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान कर दिया है.
यह हड़ताल ऐसे समय में हो रही है जब फूड और ग्रॉसरी डिलीवरी की मांग साल के सबसे ऊंचे स्तर पर होती है. यूनियनों का दावा है कि इस आंदोलन में लाखों डिलीवरी पार्टनर्स शामिल हो सकते हैं, जिससे मेट्रो शहरों समेत कई इलाकों में सेवाएं बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है.
जश्न के पीछे छुपी मेहनत की कीमत
गिग वर्कर्स का कहना है कि चमकदार ऐप्स और तेज डिलीवरी के पीछे उनकी मेहनत, जोखिम और असुरक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है. 10 मिनट और 20 मिनट डिलीवरी मॉडल को वे न सिर्फ अव्यावहारिक, बल्कि जानलेवा भी बता रहे हैं. वर्कर्स का आरोप है कि देर होने पर पूरा दोष उन्हीं पर डाल दिया जाता है, जबकि ट्रैफिक, मौसम और सिस्टम की खामियों का कोई हिसाब नहीं लिया जाता. एल्गोरिदम आधारित फैसले, बिना चेतावनी ID ब्लॉक होना और रेटिंग सिस्टम के जरिए सजा उनकी रोजी-रोटी पर सीधा असर डालते हैं.
श्रम मंत्री से की गई हस्तक्षेप की मांग
देश की पहली महिला-नेतृत्व वाली राष्ट्रीय गिग यूनियन गिग एंड प्लेटफॉर्म सर्विसेज वर्कर्स यूनियन (GIPSWU) ने इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र लिखा है.यूनियन ने आरोप लगाया है कि गिग वर्कर्स को जानबूझकर श्रम अधिकारों, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और सुरक्षा उपायों से बाहर रखा गया है और सरकार को इसमें तुरंत दखल देना चाहिए.
गिग वर्कर्स की 10 अहम मांगें
वर्कर्स की मांगें सिर्फ वेतन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पूरे गिग मॉडल पर सवाल खड़े करती हैं. उनकी प्रमुख मांगों में शामिल हैं.तेज डिलीवरी की अनिवार्यता खत्म करना, हर किलोमीटर के लिए न्यूनतम भुगतान तय करना, मासिक सुनिश्चित आय की गारंटी, मनमाने एल्गोरिदम दंड और ID ब्लॉकिंग पर रोक, महिला वर्कर्स के लिए विशेष सुरक्षा और अवकाश, पीक-आवर और स्लॉट सिस्टम से राहत, प्लेटफॉर्म कटौती की सीमा तय करना,कस्टमर कैंसिलेशन पर मुआवजा, मानव आधारित शिकायत निवारण व्यवस्था, और ‘पार्टनर’ नहीं बल्कि ‘वर्कर’ के रूप में कानूनी पहचान.
यूनियन का कहना: यह सिर्फ हड़ताल नहीं, चेतावनी है
यूनियन का साफ कहना है कि यह आंदोलन किसी एक दिन की लड़ाई नहीं है, बल्कि गिग इकॉनमी की बुनियादी खामियों को उजागर करने की कोशिश है.GIPSWU ने केंद्र सरकार से अपील की है कि इस मुद्दे को औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत त्रिपक्षीय बातचीत के जरिए सुलझाया जाए.यूनियन का दावा है कि यदि गिग वर्कर्स का शोषण ऐसे ही चलता रहा, तो इसका असर सिर्फ डिलीवरी सेवाओं पर नहीं, बल्कि देश की आर्थिक स्थिरता और रोजगार मॉडल पर भी पड़ेगा.
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