Year Ender 2025: केजरीवाल से तेजस्वी तक.. 2025 में इन विपक्षी नेताओं को मिली करारी शिकस्त

    Year Ender 2025: साल 2025 भारतीय राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा है. एक ओर जहां भाजपा के नेतृत्व में एनडीए ने लगातार सफलता का झंडा गाड़ा, वहीं दूसरी ओर विपक्ष के बड़े नेता जो कभी सत्ता की उम्मीद लगाए हुए थे, उन्हें गहरा झटका लगा है.

    year ender Arvind Kejriwal Prashant Kishor leaders suffered losses in 2025
    Image Source: ANI/ File

    Year Ender 2025: साल 2025 भारतीय राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा है. एक ओर जहां भाजपा के नेतृत्व में एनडीए ने लगातार सफलता का झंडा गाड़ा, वहीं दूसरी ओर विपक्ष के बड़े नेता जो कभी सत्ता की उम्मीद लगाए हुए थे, उन्हें गहरा झटका लगा है. इन नेताओं की राजनीति की मजबूत नींव कहीं न कहीं ढहती हुई नजर आई. इस लेख में हम उन प्रमुख नेताओं और घटनाओं पर चर्चा करेंगे, जिन्होंने इस साल अपनी राजनीतिक जमीन खो दी.

    अरविंद केजरीवाल

    आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल का नाम उन नेताओं में शामिल है, जिन्होंने दिल्ली में अपनी जबरदस्त पकड़ बनाई थी. 2020 तक, केजरीवाल ने दिल्ली में विपक्ष को पूरी तरह से हरा दिया था और दिल्ली की सत्ता पर मजबूत क़ब्ज़ा किया था. हालांकि, 2025 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे ने एक बड़ा उलटफेर किया. दिल्ली में कांग्रेस की पुनरावृत्ति और केजरीवाल की अपनी सीट हारने के बाद यह साफ हो गया कि उनकी राजनीति अब उतनी मजबूत नहीं रही. एक समय में दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने वाले अरविंद केजरीवाल को अब चुनावी हार का सामना करना पड़ा, जिससे उनके राजनीतिक प्रभाव में कमी आई.

    तेजस्वी यादव

    तेजस्वी यादव ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में अपना पूरा दमखम झोंक दिया था. यह माना जा रहा था कि वे नीतीश कुमार और बीजेपी के गठबंधन को तगड़ा मुकाबला देंगे. तेजस्वी की उम्मीदें उस वक्त और मजबूत हुईं जब उन्होंने दावा किया कि 2025 में वह बिहार में एनडीए का किला तोड़ सकते हैं. लेकिन चुनावी नतीजे तेजस्वी के लिए निराशाजनक रहे. एनडीए ने फिर से भारी जीत दर्ज की, जबकि आरजेडी और कांग्रेस का गठबंधन महज 25 सीटों पर सिमट कर रह गया. तेजस्वी का वो पुराना जोश और जोश अब कहीं दिखाई नहीं दिया.

    प्रशांत किशोर

    चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने 2025 के बिहार चुनाव में अपनी नई पार्टी "जन सुराज" को खड़ा किया था. उनकी पार्टी ने चुनावों में काफी जोर लगाया, और प्रशांत किशोर ने भी अपनी राजनीतिक पदयात्रा के जरिए जनता से सीधे संपर्क बनाने की कोशिश की. लेकिन जब चुनावी नतीजे आए, तो यह साफ हो गया कि बिहार की जनता ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया. उनकी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली और उनकी चुनावी रणनीतियों का प्रभाव पूरी तरह से नाकाम साबित हुआ.

    तेज प्रताप यादव

    बिहार की राजनीति में आरजेडी प्रमुख लालू यादव के बेटे तेज प्रताप यादव का भी साल 2025 काफी निराशाजनक रहा. पारिवारिक विवाद के चलते तेज प्रताप यादव को अपने पिता के राजनीतिक संगठन से बाहर कर दिया गया था. इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी बनाई और विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई. हालांकि, उनका राजनीतिक असर और पार्टी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा. तेज प्रताप महुआ सीट से चुनाव लड़े, लेकिन वह इस चुनाव में अपने राजनीतिक प्रभाव को साबित करने में पूरी तरह से विफल रहे.

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