Temjen Imna Along Warning: पूर्वोत्तर भारत का एक रणनीतिक रूप से बेहद अहम क्षेत्र, जिसे अक्सर मीडिया में ‘चिकन नेक’ कॉरिडोर के नाम से जाना जाता है, इन दिनों अंतरराष्ट्रीय राजनीति और क्षेत्रीय सुरक्षा के केंद्र में है. बांग्लादेश के कुछ कट्टरपंथी तत्वों की ओर से provocative बयानबाजी के बाद नागालैंड के मंत्री और राज्य भाजपा अध्यक्ष तेमजेन इम्ना अलोंग ने स्पष्ट और सख़्त संदेश दिया है.
तेमजेन इम्ना अलोंग ने कहा कि पूर्वोत्तर के लोग अपनी भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों को किसी भी बाहरी व्यक्ति से कहीं बेहतर समझते हैं. उन्होंने कहा, “जहां तक ‘गला काटने’ जैसी बातों का सवाल है, इन वास्तविकताओं को हमसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता. हमारी शक्ति और हमारी अस्मिता को कम आंकना किसी की सबसे बड़ी भूल होगी.”
उन्होंने पूर्वोत्तर के जनजातीय समुदायों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक ताकत को रेखांकित करते हुए चेतावनी दी कि जो लोग भारत की क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं, उन्होंने अभी तक पूर्वोत्तर की वास्तविक शक्ति देखी ही नहीं है.
घटोत्कच और हिडिम्बा से किया उदाहरण
तेमजेन ने महाभारत के पात्र घटोत्कच और उनकी माता हिडिम्बा का ज़िक्र करते हुए यह दिखाया कि पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक जड़ें कितनी मजबूत हैं. उन्होंने कहा कि हिडिम्बा असम-नागालैंड क्षेत्र की दिमासा जनजाति से थीं, जबकि घटोत्कच भी इसी धरती की पहचान हैं. मंत्री ने स्पष्ट किया, “अगर किसी ने भारत की अखंडता को कमजोर करने की कोशिश की, तो यह उनकी सबसे बड़ी गलती होगी. हमारे पूर्वजों की ताकत और हमारी संस्कृति इस क्षेत्र की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रही है.”
‘चिकन नेक’ सिर्फ मीडिया टर्म
तेमजेन ने यह भी कहा कि ‘चिकन नेक’ शब्द सिर्फ मीडिया में इस्तेमाल होने वाला टर्म है, लेकिन पूर्वोत्तर के लोग खुद को भारत से पूरी मजबूती से जुड़ा हुआ मानते हैं. उन्होंने कहा, “उन्होंने हमारी ताकत नहीं देखी है. अगर उन्होंने घटोत्कच और हिडिम्बा नहीं देखे हैं, तो हम उन्हें दिखाएंगे कि हम क्या कर सकते हैं. हम गर्व से कहते हैं कि हम भारतीय हैं और भारत का अभिन्न हिस्सा हैं.”
हेडहंटिंग का ऐतिहासिक संदर्भ
मंत्री की चेतावनी में प्रयुक्त “गला काटने” शब्द का सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ है. इतिहासकार तुइसेम नगाकांग के अनुसार, हेडहंटिंग 1960 के दशक तक नागा जीवनशैली का एक अहम हिस्सा रही, जिसमें युद्ध के दौरान दुश्मनों के सिर काटने का मतलब था कि युद्ध में विजय और सम्मान प्राप्त हुआ. तुइसेम ने कहा, “हेडहंटिंग कोई खेल नहीं था बल्कि धार्मिक विश्वासों और समुदाय की रक्षा का एक तरीका था.”
बांग्लादेश को चेतावनी
तेमजेन इम्ना अलोंग पूर्वोत्तर के दूसरे बड़े नेताओं के बाद बांग्लादेश को सख़्त चेतावनी देने वाले प्रमुख नेता बन गए हैं. इससे पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी साफ किया था कि यदि भारत के ‘चिकन नेक’ पर हमला होता है, तो बांग्लादेश के दोनों ‘चिकन नेक्स’ इसके जवाबी कार्रवाई की चपेट में आएंगे.
विवाद की शुरुआत
यह पूरा विवाद तब तेज़ हुआ जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस और कुछ छात्र नेताओं ने भारत के पूर्वोत्तर को लेकर उकसाऊ बयान दिए. इसके बाद हसनात अब्दुल्ला जैसे छात्र नेताओं ने बयानबाजी तेज़ कर दी. इसी महीने की शुरुआत में बांग्लादेश की नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के नेता अब्दुल्ला ने धमकी दी थी कि अगर देश में अस्थिरता फैली तो वे ‘सेवन सिस्टर्स’ को अलग-थलग कर देंगे और पूर्वोत्तर के अलगाववादियों को शरण देंगे.
आगे की चुनौती
पूर्वोत्तर की भौगोलिक संवेदनशीलता और ऐतिहासिक महत्व के चलते भारत सरकार और राज्य नेतृत्व इस मामले पर लगातार निगरानी बनाए हुए हैं. ऐसे में नागालैंड के नेता का यह कड़ा रुख़ एक स्पष्ट संदेश है कि भारत की अखंडता और रणनीतिक स्थलों की रक्षा के लिए पूर्वोत्तर हमेशा तैयार है.
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