Rajasthan Street Dogs Guidelines: राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आवारा कुत्तों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक नई गाइडलाइन जारी की है. यह गाइडलाइन कुत्तों की सुरक्षा के साथ-साथ उनके सही प्रबंधन पर केंद्रित है, ताकि उनकी देखभाल के साथ ही मानव-जानवर दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. इस दिशा-निर्देश को तुरंत लागू कर दिया गया है, जिससे आवारा कुत्तों के प्रति किसी भी प्रकार की क्रूरता पर रोक लग सके.
मादा कुत्तों की नसबंदी को लेकर विशेष प्रावधान
नई गाइडलाइन में यह स्पष्ट किया गया है कि छह महीने से कम उम्र के मादा कुत्तों की नसबंदी नहीं की जाएगी. साथ ही, जिन मादा कुत्तों के पिल्ले हों, उन्हें तब तक पकड़ना व नसबंदी करना प्रतिबंधित होगा जब तक उनके पिल्ले खुद से दूध पीना बंद न कर दें. यह प्रावधान कुत्तों के स्वाभाविक विकास और उनके स्वास्थ्य की रक्षा के लिए बनाया गया है.
भोजन स्थल और आवारा कुत्तों का प्रबंधन
गाइडलाइन में यह भी निर्देश दिया गया है कि हर सड़क, क्षेत्र और वार्ड में आवारा कुत्तों के लिए भोजन स्थल बनाए जाएंगे. इन स्थलों की पहचान स्थानीय फीडरों की सलाह से की जाएगी, ताकि कुत्तों के व्यवहार और आवास का सही अंदाजा लगाया जा सके. प्रत्येक भोजन स्थल पर एक बोर्ड लगाकर उसे स्पष्ट रूप से चिह्नित करना अनिवार्य होगा. यह व्यवस्था कुत्तों के संरक्षण और उनके भोजन की निरंतर आपूर्ति के लिए की गई है.
प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा ही किया जाएगा रेस्क्यू
आवारा कुत्तों को पकड़ने और नसबंदी जैसे कार्य केवल प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा ही किए जाएंगे. अब किसी भी कुत्ते को पकड़ने के लिए टोंग्स, तार, फंदे या कोई भी क्रूर उपकरण इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. यह निर्देश कुत्तों के प्रति सहानुभूति और मानवता की भावना को मजबूत करने के लिए है.
निगरानी समिति का गठन और नियमित समीक्षा
प्रत्येक नगर निकाय में आवारा कुत्तों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए निगरानी समिति गठित की जाएगी. इस समिति में कम से कम एक पशु अधिकारी या पशु कल्याण कार्यकर्ता को शामिल करना अनिवार्य होगा. समिति की बैठक में नसबंदी, टीकाकरण और आवारा कुत्तों की रिहाई से संबंधित कार्यक्रमों की समीक्षा की जाएगी.
वैक्सीनेशन, नसबंदी और रिकॉर्ड की व्यवस्था
राजस्थान सरकार ने आवारा कुत्तों की नसबंदी, वैक्सीनेशन और डीवॉर्मिंग के लिए नगर निकायों में केंद्र स्थापित करने का भी निर्देश दिया है. इन केंद्रों में नसबंदी, वैक्सीन और दवाओं की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी. साथ ही, कुत्तों के मेडिकल रिकॉर्ड, उपचार, दवा, भोजन और मृत्यु दर का रिकार्ड भी रखा जाएगा. प्रत्येक ऑपरेशन थिएटर और पशु संरक्षण केंद्र में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य होगा, जिससे पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और सुरक्षित बनी रहे.
पशु कल्याण के लिए सख्त नियम और कार्रवाई
यदि किसी कर्मचारी द्वारा आवारा कुत्तों के साथ क्रूरता की शिकायत आती है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा, बार-बार काटने वाले या आक्रामक कुत्तों को ही पकड़कर पंजीकृत पशु कल्याण संगठनों को सौंपा जाएगा. ऐसे कुत्तों को जब तक आक्रामक या रोगग्रस्त न पाया जाए, तब तक उन्हें उनके मूल स्थान पर वापस छोड़ दिया जाएगा.
वेटरनरी डॉक्टरों की निगरानी में विशेष प्रावधान
रेबीज संदिग्ध आवारा कुत्तों को पकड़ने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. इन्हें वेटरनरी डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा और डॉग बाइट के मामलों की भी उचित जांच होगी. इस तरह से मानव स्वास्थ्य और जानवरों की सुरक्षा दोनों को प्राथमिकता दी गई है.
स्थानीय समुदाय की भागीदारी जरूरी
आवारा कुत्तों को पकड़ने से पहले स्थानीय लोगों को सूचना देना अनिवार्य होगा. इससे समुदाय की सहमति और समझ भी बनेगी, जिससे पशु कल्याण कार्यक्रम प्रभावी रूप से लागू हो सकेगा.
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