नई दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय वायुसेना के पायलट और एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने अपने अंतरिक्ष मिशन से जुड़े अनुभव साझा किए. वे हाल ही में अमेरिका की निजी स्पेस कंपनी Axiom Space के सहयोग से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर गए थे. इस मिशन के दौरान उन्होंने बतौर मिशन पायलट और सिस्टम कमांडर की भूमिका निभाई और करीब दो सप्ताह अंतरिक्ष में बिताए.
शुक्ला ने बताया कि इस मिशन में वैज्ञानिक अनुसंधानों और प्रयोगों पर विशेष ध्यान दिया गया. उन्होंने कहा, "हमने कई प्रयोग किए, कुछ अहम डेटा एकत्रित किया और अंतरिक्ष से तस्वीरें लीं. इन सबके लिए महीनों की कठोर ट्रेनिंग ली गई थी."
जब उनसे पूछा गया कि क्या स्पेस मिशन में डर लगता है, तो उनका जवाब बेहद स्पष्ट था – "अगर कोई कहता है कि डर नहीं लगता, तो वह झूठ बोल रहा है. डर एक स्वाभाविक भावना है, लेकिन जब आपके पीछे एक भरोसेमंद टीम हो, तो आप उन्हें अपनी जिंदगी सौंप सकते हैं."
प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईं दो अहम बातें सामने:
स्पेस मिशन का लाभ सिर्फ प्रशिक्षण तक सीमित नहीं:
शुभांशु ने बताया कि जो अनुभव उन्होंने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर रहकर हासिल किया, वह अमूल्य है. "वहां जो सीखा, वह सिर्फ किताबों या सिमुलेटर से नहीं सीखा जा सकता. यह अनुभव गगनयान और भविष्य के भारतीय अंतरिक्ष मिशनों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा."
भारत जल्द ही अंतरिक्ष में भेजेगा इंसान:
उन्होंने बताया कि भारत अब उस मोड़ पर है जहां अपने संसाधनों से, अपनी धरती से और अपनी तकनीक से इंसानों को अंतरिक्ष में भेजना संभव होगा. उन्होंने कहा, "जब आप अंतरिक्ष से लौटते हैं तो शरीर को दोबारा पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण से सामंजस्य बिठाने में समय लगता है. यह अनुभव बहुत कुछ सिखाता है."
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शुभांशु से पूछे गए 5 प्रमुख सवाल-
1. सवाल: आपने जो वैज्ञानिक प्रयोग किए हैं, उनकी स्थिति क्या है?
जवाब: सभी प्रयोगों का विश्लेषण जारी है. जब तक डेटा एनालिसिस पूरा नहीं होता, तब तक कुछ भी अंतिम रूप से नहीं कहा जा सकता. आने वाले महीनों में नतीजे सामने आएंगे.
2. सवाल: गगनयान और एक्सियम मिशन की ट्रेनिंग में क्या फर्क था?
जवाब: हमने भारत, अमेरिका और रूस तीनों देशों में ट्रेनिंग ली है. सभी का ट्रेनिंग स्टाइल अलग था, लेकिन उद्देश्य एक ही था - इंसानों को सुरक्षित अंतरिक्ष में भेजना.
3. सवाल: क्या खास सीखा जो गगनयान में मदद करेगा?
जवाब: असली अंतरिक्ष मिशन में वही होता है जो किताबों से नहीं सिखाया जा सकता. यह मिशन हकीकत की दुनिया से रूबरू कराता है. यह समझने का मौका मिला कि असल में अंतरिक्ष में रहना कैसा होता है.
4. सवाल: रॉकेट लॉन्च के समय क्या महसूस हुआ?
जवाब: उस पल को शब्दों में बयान करना मुश्किल है. मैं बहुत उत्साहित था. हालांकि यह एक जोखिम भरा काम है, लेकिन जिंदगी में हर कदम पर जोखिम होता है. मैंने इसे उसी नजरिए से देखा.
(डॉ. जितेंद्र सिंह, भारत सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, ने यह भी जोड़ा कि "अगर आंकड़ों की तुलना करें तो रोड एक्सीडेंट की तुलना में स्पेस मिशन की विफलता की दर बहुत ही कम है.")
5. सवाल: कठिन समय में किसे याद करते हैं?
जवाब: ऐसे क्षणों में आपके मन में वे सारी ट्रेनिंग घूमने लगती है. लॉन्चिंग से पहले हर पल बेहद अहम होता है और तब भावनाएं शब्दों में नहीं ढाली जा सकतीं.
गगनयान मिशन: भारत का ऐतिहासिक कदम
अब शुभांशु शुक्ला की नजरें भारत के अपने मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान पर टिकी हैं. इसरो (ISRO) द्वारा संचालित इस मिशन के तहत 2027 में तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की कक्षा में तीन दिन के लिए भेजा जाएगा. मिशन के अंत में स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग हिंद महासागर में कराई जाएगी.
मिशन की अनुमानित लागत 20,193 करोड़ रुपये है. इसके लिए भारतीय वायुसेना के चार पायलटों को चुना गया है, जिनमें ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भी शामिल हैं.
इससे पहले गगनयान के तहत दो मानवरहित मिशन और एक रोबोटिक मिशन लॉन्च किया जाएगा, ताकि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. पहली मानवरहित उड़ान 2025 के अंत तक हो सकती है.
गगनयान मिशन से भारत को क्या लाभ होगा?
स्पेस इकोनॉमी में भारत की भागीदारी बढ़ेगी, जो अनुमानित तौर पर 2035 तक 1.8 ट्रिलियन डॉलर की हो सकती है.
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