नई दिल्ली: यह एक ऐसे रिश्ते की कहानी है जो एक आधुनिक, आत्मनिर्भर और सपनों से भरी युवती के लिए एक नई शुरुआत जैसा था, लेकिन अंत बेहद दर्दनाक और डरावना साबित हुआ. श्रद्धा वालकर, मुंबई की एक युवा लड़की, जिसने अपने भविष्य को लेकर सपने संजोए थे, 2022 में अपने जीवन के सबसे कठिन मोड़ से गुज़री.
श्रद्धा की मुलाकात आफताब अमीन पूनावाला से एक डेटिंग ऐप के माध्यम से हुई थी. दोनों के बीच संबंध धीरे-धीरे गहराते गए और इसके बाद उन्होंने मुंबई से दिल्ली जाकर लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का फैसला किया, जो उनके परिवार की मर्जी के खिलाफ था.
18 मई 2022: एक बहस, एक हत्या
18 मई 2022 की रात, एक बहस ने हिंसक रूप ले लिया और इसी दौरान श्रद्धा की हत्या कर दी गई. पुलिस के अनुसार, गला घोंटकर उसकी जान ली गई. इस दुखद घटना के बाद जो हुआ, वह और भी ज्यादा विचलित करने वाला था.
हत्या के बाद आरोपी ने शव को छिपाने की योजना बनाई. उसने एक बड़ा फ्रीजर खरीदा और शव के टुकड़े कर उसमें रख दिए. पुलिस की जांच के अनुसार, अगले 18 दिनों तक हर रात आरोपी दिल्ली के छतरपुर इलाके में उन टुकड़ों को अलग-अलग स्थानों पर ले जाकर फेंकता रहा.
सोशल मीडिया के ज़रिए भ्रम बनाए रखा
हत्या के बाद भी आरोपी ने श्रद्धा के सोशल मीडिया अकाउंट्स को सक्रिय रखा, जिससे ऐसा प्रतीत हो कि वह जीवित है. वह सामान्य जीवन जीता रहा और यहां तक कि एक अन्य युवती को डेट करने लगा.
जांच और खुलासा
श्रद्धा के परिजनों ने जब कई महीनों तक उसकी कोई खबर नहीं सुनी, तो उन्होंने पुलिस में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई. जांच के दौरान आफताब के बयानों में विरोधाभास सामने आए और कड़ाई से पूछताछ करने पर उसने अपराध स्वीकार कर लिया. 12 नवंबर 2022 को उसे गिरफ्तार कर लिया गया.
तैयारी और मानसिक स्थिति पर सवाल
जांच में यह भी सामने आया कि आफताब ने हत्या से पहले और बाद में कई बार इंटरनेट पर संबंधित जानकारी सर्च की थी. उसने टीवी सीरीज ‘Dexter’ से प्रेरणा ली और शव को ठिकाने लगाने के तरीके सीखे.
परिवार और समाज का दर्द
श्रद्धा के पिता, विकास वालकर, ने अदालत में अपनी बेटी को न्याय दिलाने की पुरज़ोर अपील की थी. उन्होंने यह भी कहा कि इस जघन्य अपराध के लिए आरोपी को कठोरतम सजा मिलनी चाहिए. दुर्भाग्यवश, वे अब इस दुनिया में नहीं हैं.
यह केवल एक हत्या नहीं थी...
यह मामला सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि उस सामाजिक और मानसिक असंतुलन को भी उजागर करता है, जो रिश्तों में अंधे विश्वास और असहमति को सही संवाद में बदलने में असफल हो जाता है. श्रद्धा की मौत एक चेतावनी है – युवाओं के लिए, परिवारों के लिए और पूरे समाज के लिए – कि रिश्तों में पारदर्शिता, समर्थन और सुरक्षा कितनी आवश्यक है.
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