बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने अदालत की अवमानना का दोषी ठहराते हुए छह महीने की सजा सुनाई है. बुधवार को तीन सदस्यीय पीठ ने यह निर्णय सुनाया, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदार ने की. यह पहली बार है जब शेख हसीना को किसी मामले में जेल की सजा मिली है.
भ्रष्टाचार, हत्या, यातना और साजिश जैसे गंभीर आरोप
हसीना पर यह कार्रवाई उस वक्त हुई है जब वह पिछले साल के तख्तापलट के बाद से भारत में शरण लिए हुए हैं. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसे मोहम्मद यूनुस चला रहे हैं, लगातार भारत से उनकी वापसी की मांग कर रही है. यूनुस सरकार का दावा है कि शेख हसीना केवल अदालत की अवमानना ही नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार, हत्या, यातना और साजिश जैसे गंभीर अपराधों में भी लिप्त रही हैं.
अभियोजक ताजुल इस्लाम के अनुसार, 2009 से 2024 तक के कार्यकाल में शेख हसीना ने सत्ता का दुरुपयोग करते हुए लोकतंत्र को बार-बार कुचला. उन्होंने आरोप लगाया कि हसीना ने सत्ता में बने रहने के लिए सरकारी मशीनरी को झुकाकर रखा और बांग्लादेश को एक वंशवादी शासन में ढालने की कोशिश की.
सरकारी खजाने से हजारों करोड़ खर्च करवाए
सुनवाई के दौरान बताया गया कि हसीना ने अपने पिता शेख मुजीब की महिमा गान के नाम पर सरकारी खजाने से हजारों करोड़ खर्च करवाए, और संविधान में संशोधन कराकर सरकारी दफ्तरों में अपनी तस्वीरें लगवाने का आदेश जारी किया. इसके अलावा, उन पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का भी आरोप है—विशेष रूप से 14 जुलाई की प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला दिया गया, जहां उन्होंने कथित रूप से जनविरोध को धमकी भरे स्वर में दबाने की कोशिश की. यूनुस सरकार का कहना है कि अगर भारत शेख हसीना को वापस नहीं करता, तो यह कानून और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का सीधा उल्लंघन होगा.
ये भी पढ़ेंः 'पानी पर पहरा': भारत के फैसले के बाद पाकिस्तान में बढ़ी चिंता, शहबाज ने जल संकट से निपटने के लिए चली ये चाल