'भारत को भी अमेरिका पर 50% टैरिफ लगाना चाहिए और NRI लोगों को...' ट्रंप की धमकी पर क्या बोले शशि थरूर?

    भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में बढ़ते तनाव के बीच डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले ने भूचाल ला दिया है.

    Shashi Tharoor response to Trump Tariff threat
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में बढ़ते तनाव के बीच डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले ने भूचाल ला दिया है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले उत्पादों पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया है. इस फैसले ने भारतीय उद्योग जगत के साथ-साथ राजनीतिक गलियारों में भी गहरी हलचल मचा दी है.

    इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद डॉ. शशि थरूर ने इस मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखी और ट्रंप के फैसले पर सख्त प्रतिक्रिया दी है. थरूर ने अमेरिका के इस ‘एकतरफा और धमकीभरे रवैये’ पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि अगर अमेरिका हमें आर्थिक रूप से झुकाना चाहता है, तो भारत को भी उसी भाषा में जवाब देना आना चाहिए.

    भारत को भी जवाब देना चाहिए- शशि थरूर

    शशि थरूर ने कहा, "अगर अमेरिका हम पर 50% टैरिफ लगाता है, तो भारत को भी अमेरिकी उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाना चाहिए. हम कोई कमजोर देश नहीं हैं कि कोई भी हमें धमका ले. हम समान स्तर पर बातचीत करने में विश्वास रखते हैं, ना कि दबाव में आने में."

    थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत कभी भी पहले रिश्ते नहीं बिगाड़ता. उनका कहना था कि "हमारी ओर से तो संबंध खराब नहीं हो रहे हैं, बल्कि अमेरिका की तरफ से ये पहल हो रही है. अगर वे हमारे साथ बराबरी का व्यवहार नहीं करेंगे, तो हम भी क्यों करें?"

    व्यापार के नाम पर रिश्तों का बलिदान क्यों?

    शशि थरूर ने व्यापार के नाम पर रिश्तों को गिरवी रखने की मानसिकता पर भी सवाल उठाए. उन्होंने आगे कहा, "सिर्फ व्यापार के लिए हम अपने रणनीतिक और दीर्घकालिक संबंध क्यों कमजोर करें? अगर अमेरिका भारत से 50% टैरिफ वसूलने की नीति अपनाता है, तो इससे व्यापार ही नहीं, भरोसे का रिश्ता भी कमजोर होगा."

    उन्होंने आगे कहा कि यह केवल कारोबारी लड़ाई नहीं है, बल्कि संबंधों की स्थिरता और पारस्परिक सम्मान का भी मामला है.

    भारतवंशियों से की अपील: आपकी भी जिम्मेदारी है

    थरूर ने अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय से भी अपील की. उन्होंने कहा, "आप वहां एक मजबूत और सम्मानित वर्ग हैं. आप अमेरिका की राजनीति को भी प्रभावित कर सकते हैं. ऐसे में जब भारत के साथ अन्याय हो रहा हो, तो आपकी आवाज़ उठना ज़रूरी है."

    उनका मानना है कि अमेरिका में बसे प्रभावशाली भारतीयों और NRI समुदाय को इस मुद्दे पर मुखर होना चाहिए और वहां की सरकार को यह संदेश देना चाहिए कि भारत को नीचा दिखाना अब आसान नहीं.

    ट्रेड बैलेंस पर बड़ा असर पड़ सकता है

    थरूर ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस तरह के भारी-भरकम टैरिफ का असर सिर्फ भारतीय निर्यातकों पर नहीं, बल्कि अमेरिकी उपभोक्ताओं और कंपनियों पर भी पड़ेगा. उन्होंने कहा, "भारत और अमेरिका के बीच हर साल करीब 90 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है. अगर उस पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लग जाएगा, तो इसका असर यह होगा कि अमेरिकी नागरिक भारतीय सामानों को खरीदने से कतराएंगे. इससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा, न कि सिर्फ भारत को."

    विदेश मंत्रालय ने भी जताई कड़ी नाराजगी

    भारत सरकार ने इस मुद्दे को लेकर राजनयिक स्तर पर भी सख्त रुख अपनाया है. विदेश मंत्रालय ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को "अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण", "अनुचित", और "अव्यावहारिक" करार दिया है.

    एक बयान में मंत्रालय ने कहा, "भारत ने ये फैसले अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए लिए हैं, जैसे अन्य देश भी करते हैं. अमेरिका की तरफ से टैरिफ बढ़ाने का कदम अनुचित दबाव बनाने का प्रयास है, जिसे हम स्वीकार नहीं करेंगे."

    भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा और अमेरिका को इस नीति पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है.

    क्या भारत अमेरिका को जवाब देगा?

    अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है क्या भारत ट्रंप की इस टैरिफ चुनौती का जवाबी हमला करेगा? थरूर जैसे नेताओं की ओर से आवाज़ें उठ रही हैं कि भारत को कूटनीति से ज्यादा ठोस व्यापारिक जवाब देना चाहिए.

    संभावित जवाबों में ये विकल्प हो सकते हैं:

    • अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाना, जैसे सोया, बादाम, स्मार्टफोन, कारें, और मेडिकल इक्विपमेंट
    • WTO में औपचारिक शिकायत दर्ज करना
    • बिलेटरल ट्रेड डील्स को अस्थायी रूप से रोक देना
    • आत्मनिर्भर भारत अभियान को तेज़ करते हुए घरेलू उत्पादों को प्राथमिकता देना

    राजनीतिक नजरिए से भी एक टेस्ट केस

    ट्रंप का यह फैसला न केवल एक आर्थिक कदम है, बल्कि एक तरह से भारत की विदेश नीति और आत्मनिर्भरता की परीक्षा भी है. 2025 में भारत वैश्विक मंच पर जिस ताकत के साथ उभरा है, ऐसे समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत इस चुनौती का मुकाबला कैसे करता है.

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