बैंकॉक: बांग्लादेश के अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस के हालिया बयान पर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ठोस तथ्यों के साथ जवाब देते हुए भारत की क्षेत्रीय भूमिका को स्पष्ट किया. उन्होंने थाईलैंड में छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान कहा कि बंगाल की खाड़ी में भारत की सबसे लंबी तटरेखा है और यह क्षेत्रीय संपर्क का प्रमुख केंद्र है.
भारत की मजबूत स्थिति पर जयशंकर का जोर
जयशंकर ने कहा, "भारत की बंगाल की खाड़ी से लगी तटरेखा लगभग 6,500 किलोमीटर लंबी है. हम न केवल बिम्सटेक के पांच देशों के साथ सीमा साझा करते हैं, बल्कि संपूर्ण क्षेत्र को जोड़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. हमारे पूर्वोत्तर क्षेत्र में कनेक्टिविटी का जबरदस्त विस्तार हो रहा है, जिसमें सड़कों, रेलवे, जलमार्गों और पाइपलाइनों का व्यापक नेटवर्क शामिल है."
यूनुस के बयान पर भारत की स्पष्ट प्रतिक्रिया
जयशंकर की यह टिप्पणी मोहम्मद यूनुस के हालिया बयान के जवाब में आई है, जिसमें उन्होंने बांग्लादेश को बंगाल की खाड़ी का एकमात्र प्रमुख संरक्षक बताया था और चीन से अपने आर्थिक प्रभाव को मजबूत करने का आग्रह किया था. यूनुस ने दावा किया था कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य समुद्री पहुंच के अभाव में अलग-थलग हो सकते हैं, लेकिन जयशंकर ने इसे स्पष्ट रूप से नकार दिया.
पूर्वोत्तर भारत को बताया 'कनेक्टिविटी हब'
जयशंकर ने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को 'कनेक्टिविटी हब' बताते हुए कहा कि यह क्षेत्र दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच महत्वपूर्ण संपर्क का केंद्र बन रहा है. उन्होंने कहा कि त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना के पूरा होने से पूर्वोत्तर भारत को सीधे प्रशांत महासागर से जोड़ा जा सकेगा.
राजनीतिक गलियारों में तेज हुई प्रतिक्रियाएं
यूनुस के बयान पर भारत में भी तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसे 'तथ्यहीन और भ्रामक' करार दिया, जबकि मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर क्षेत्रीय कूटनीति को प्रभावित करने का आरोप लगाया.
भारत का स्पष्ट संदेश
जयशंकर ने बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका को और मजबूत करने पर जोर देते हुए कहा, "सहयोग केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं होता, बल्कि यह पूरे क्षेत्र की प्रगति के लिए आवश्यक है. हम क्षेत्रीय स्थिरता और आपसी सहयोग के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं."
भारत की इस स्पष्ट और ठोस प्रतिक्रिया से यह साफ हो गया है कि क्षेत्रीय मामलों में उसकी भूमिका को कम आंकने की कोई भी कोशिश सफल नहीं होगी.
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