नई दिल्ली: भारत में क्लीन एनर्जी और आधुनिक कृषि उपकरणों की बढ़ती मांग को देखते हुए, बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप मूनराइडर ने स्टार्टअप महाकुंभ में अपने दो नई पीढ़ी के इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर पेश किए हैं. ये दोनों मॉडल— मूनराइडर T27 और मूनराइडर T75, आधुनिक बैटरी तकनीक और उच्च प्रदर्शन क्षमता के साथ आते हैं.
तेज चार्जिंग, लंबा बैकअप
मूनराइडर का दावा है कि इन ट्रैक्टरों को सिर्फ 8 घंटे में फुल चार्ज किया जा सकता है और अगर फास्ट चार्जिंग तकनीक का उपयोग किया जाए, तो ये महज 45 मिनट में पूरी तरह चार्ज हो जाते हैं. एक बार चार्ज होने के बाद ये लगातार 5 घंटे तक काम करने में सक्षम हैं, जिससे किसानों की उत्पादकता बढ़ेगी और ऑपरेशनल लागत कम होगी.
डीजल ट्रैक्टरों के बराबर कीमत, कम खर्च
कंपनी के अनुसार, इन इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों की कीमत पारंपरिक डीजल ट्रैक्टरों के बराबर होगी. स्टार्टअप ने अपनी स्वदेशी बैटरी तकनीक विकसित की है, जिससे लागत को नियंत्रण में रखा जा सके. रनिंग कॉस्ट और मेंटेनेंस के मामले में ये इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर काफी किफायती विकल्प साबित हो सकते हैं.
इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर क्यों बेहतर विकल्प हैं?
कम ऑपरेशनल खर्च: बिजली की लागत डीजल की तुलना में कम होती है, जिससे लंबे समय में किसानों की बचत होगी.
मिनिमल मेंटेनेंस: पारंपरिक डीजल ट्रैक्टरों में कई जटिल पार्ट्स होते हैं, जबकि इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर कम मेंटेनेंस और लंबी लाइफ प्रदान करते हैं.
पर्यावरण के अनुकूल: शून्य कार्बन उत्सर्जन के कारण ये ट्रैक्टर ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन को बढ़ावा देते हैं.
कम शोर, बेहतर अनुभव: पारंपरिक ट्रैक्टरों के मुकाबले इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर बेहद कम शोर करते हैं, जिससे किसानों के लिए काम करना आसान होता है.
हाई टॉर्क, बेहतर प्रदर्शन: इलेक्ट्रिक मोटर की तुरंत टॉर्क डिलीवरी क्षमता के कारण ये ट्रैक्टर भारी भार उठाने में बेहतर प्रदर्शन करते हैं.
सरकारी सब्सिडी: कई राज्य सरकारें इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी देती हैं, जिससे इन ट्रैक्टरों को खरीदना और भी किफायती हो सकता है.
भविष्य की ओर एक मजबूत कदम
मूनराइडर का यह कदम भारतीय कृषि क्षेत्र को डिजिटलीकरण और हरित ऊर्जा की ओर ले जाने में मदद कर सकता है. ये इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर तकनीकी नवाचार, लागत-कटौती और पर्यावरण संरक्षण के बेहतरीन उदाहरण हैं. आने वाले समय में इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर बाजार में नई क्रांति ला सकते हैं और किसानों के लिए सस्टेनेबल खेती का रास्ता खोल सकते हैं.
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