S-300 नहीं रोक पाया B2 बॉम्बर का वार, अमेरिकी हमले में रूसी गुरूर भी हुआ ढेर; ईरान को घर में घुसकर मारा

    ईरान पर हमले को अंजाम देने के लिए अमेरिका ने अपने सबसे उन्नत और गुप्त लड़ाकू विमान B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया.

    S-300 could not stop B2 bomber Russia American attack Iran
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    मध्य पूर्व में चल रहे भू-राजनीतिक संकट के बीच अमेरिका ने बड़ा कदम उठाते हुए ईरान के तीन अहम परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—पर सटीक और घातक हमला किया है. यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब ईरान और इजरायल के बीच तनाव तेजी से सैन्य टकराव में बदल रहा है, और अमेरिका अब खुले तौर पर इस संघर्ष में कूदता नजर आ रहा है.

    खास मिशन के लिए तैनात किए गए B-2 स्टील्थ बॉम्बर

    इस हमले को अंजाम देने के लिए अमेरिका ने अपने सबसे उन्नत और गुप्त लड़ाकू विमान B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया. इन विमानों ने रडार को चकमा देते हुए ईरान की कड़ी सुरक्षा वाले परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 6 B-2 बॉम्बर्स ने मिलकर 12 'बंकर बस्टर बम' गिराए, जो खासतौर पर मजबूत और गहरे भूमिगत संरचनाओं को तबाह करने के लिए डिजाइन किए गए हैं.

    फोर्डो – ईरान का सबसे सुरक्षित लेकिन अब निशाना बना ठिकाना

    तेहरान से लगभग 100 किमी दूर स्थित फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी ईरान का सबसे संवेदनशील और सुरक्षित माना जाने वाला परमाणु स्थल है. यह केंद्र पहाड़ के भीतर स्थित है और रूस निर्मित S-300 एयर डिफेंस सिस्टम से लैस था. बावजूद इसके, अमेरिकी हमले के दौरान यह सुरक्षा प्रणाली निष्क्रिय साबित हुई — B-2 बमवर्षक इतने गुप्त हैं कि वे रडार पर किसी छोटे पक्षी की तरह नजर आते हैं. नतीजतन, ईरान की कोई भी मिसाइल इन विमानों को रोक नहीं पाई.

    B-2 बॉम्बर: दुश्मन की नींद उड़ाने वाली तकनीक

    अमेरिका के B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स को दुनिया के सबसे खतरनाक और महंगे सैन्य विमानों में गिना जाता है. लगभग 2 बिलियन डॉलर प्रति यूनिट की कीमत वाले ये विमान रडार की पकड़ में नहीं आते और 11,000 किमी तक बिना रुके उड़ सकते हैं. हवा में ही ईंधन भरकर ये विमान किसी भी कोने में पहुंचकर हमला कर सकते हैं. इनकी सबसे घातक विशेषता है MOP (Massive Ordnance Penetrator) — एक ऐसा बम जो 13,600 किलोग्राम वजनी होता है और सैकड़ों फीट गहरी reinforced कंक्रीट को भेद सकता है.

    राजनीतिक संकेत: इजरायल का समर्थन या साझा रणनीति?

    यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब कुछ ही दिन पहले इजरायल ने ईरान के मिसाइल और एयर डिफेंस ठिकानों पर हमले किए थे. अमेरिका की यह कार्रवाई अब इस दिशा में स्पष्ट संकेत देती है कि वह इजरायल की सुरक्षा रणनीति के साथ सक्रिय रूप से खड़ा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमले के बाद सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि करते हुए कहा, “हमारे सभी विमान सुरक्षित लौट आए हैं और तीनों ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया गया.”

    तनाव का नया दौर शुरू

    इस हमले के बाद से हालात और भी गंभीर हो गए हैं. ईरान और इजरायल के बीच फिर से बमबारी की घटनाएं तेज हो गई हैं, और क्षेत्र में व्यापक युद्ध की आशंका गहराने लगी है. जहां एक ओर अमेरिका ने अपनी सैन्य ताकत और तकनीकी श्रेष्ठता का प्रदर्शन किया है, वहीं ईरान अब पलटवार की तैयारी में दिख रहा है.

    ये भी पढ़ेंः दो मुस्लिम देश चोरी-छिपे कर रहे नेतन्याहू की मदद, ईरान पर हमले में सीक्रेट साजिश का एंगल; इजरायल के साथ कौन-कौन?