कीव/मॉस्को: यूक्रेन युद्ध में रूस ने एक बार फिर अपनी वायुसेना की रणनीतिक क्षमता का प्रदर्शन करते हुए पश्चिमी देशों से मिले आधुनिक लड़ाकू विमानों को कड़ी चुनौती दी है. अमेरिकी F-16 और फ्रांसीसी मिराज-2000 जैसे आधुनिक फाइटर जेट जहां यूक्रेनी पायलटों की उम्मीद थे, वहीं रूस की 'टैंडम स्ट्रैटजी' ने इन विमानों की ताकत को कमजोर कर दिया है.
रूसी सरकारी हथियार निर्माता रोस्टेक की हालिया टेलीग्राम पोस्ट के मुताबिक, रूस ने Su-34 और Su-35S फाइटर जेट्स की एक संयुक्त रणनीति के जरिए यूक्रेन के हवाई क्षेत्र में प्रभुत्व स्थापित करना शुरू कर दिया है. इसे रूस 'टैंडम ऑपरेशन' कह रहा है एक ऐसी रणनीति जिसमें दो अलग-अलग प्रकार के लड़ाकू विमान मिलकर एक-दूसरे की क्षमताओं को मजबूत करते हैं.
Su-34 और Su-35S: रूस की घातक जोड़ी
इस संयुक्त ऑपरेशन में Su-34 का मुख्य काम होता है दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमला करना. यह एक लड़ाकू-बमवर्षक विमान है, जिसे खास तौर पर लंबी दूरी तक घुसकर ज़मीनी ठिकानों पर हमला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. दूसरी ओर, Su-35S एक मल्टी-रोल फाइटर जेट है, जो हवा से हवा में मार करने वाली खतरनाक मिसाइलों और एडवांस रडार सिस्टम से लैस है. इसका काम Su-34 को हवाई हमलों से सुरक्षा देना और क्षेत्रीय वायु प्रभुत्व बनाए रखना है.
Su-35S में लगे R-77 और R-37M जैसे लॉन्ग-रेंज मिसाइल सिस्टम इसे किसी भी हवाई खतरे से निपटने में सक्षम बनाते हैं. इनमें से R-37M मिसाइल तो 300 किलोमीटर से भी ज्यादा की दूरी तक दुश्मन के विमानों को निशाना बना सकती है. इसके साथ ही, यह फाइटर जेट खिबनी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से भी लैस है, जो दुश्मन के रडार को जाम करने और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को ब्लॉक करने में मदद करता है.
यूक्रेन के F-16 और मिराज पड़ रहे कमजोर
यूक्रेन को हाल ही में अमेरिका और फ्रांस से F-16 फाइटर जेट्स और मिराज-2000 जैसे उन्नत लड़ाकू विमान मिले हैं. इन विमानों से उम्मीद की जा रही थी कि वे रूसी एयरफोर्स की बढ़त को रोक सकेंगे. लेकिन रूस की संयुक्त हवाई रणनीति और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताओं ने यूक्रेनी विमानों की प्रभावशीलता को सीमित कर दिया है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, यूक्रेन अब तक चार F-16 और एक मिराज-2000 के नुकसान की पुष्टि कर चुका है. हालांकि यूक्रेन ने इन विमानों के गिरने की वजह तकनीकी बताई है, लेकिन यह भी माना जा रहा है कि रूसी हवाई ताकत के आगे ये विमान टकराव से बच रहे हैं.
'टैंडम ऑपरेशन': एक स्मार्ट रणनीति
रूस की ‘टैंडम स्ट्रैटजी’ न सिर्फ तकनीकी दृष्टि से सशक्त है बल्कि यह मनोवैज्ञानिक दबाव भी बनाती है. जब Su-34 दुश्मन के पीछे के इलाकों में हमले करता है और Su-35S ऊपर से सुरक्षा देता है, तब दुश्मन के पास सीमित विकल्प रह जाते हैं. वह या तो हमले से खुद को बचाए या जवाबी हमला करने की कोशिश करे दोनों स्थिति में वह कमजोर पड़ता है.
यह रणनीति खास तौर पर उस वक्त प्रभावी मानी जाती है जब दुश्मन की वायुसेना में संख्या या तकनीकी रूप से उन्नत विमान होते हैं. ऐसे में संयुक्त ऑपरेशन और रडार जामिंग तकनीक उसे असहज कर देती है.
इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर: रूस की छिपी ताकत
रूस की इस नई रणनीति में इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (EW) की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. Su-35S के साथ आने वाले खिबनी पॉड्स दुश्मन के रडार, मिसाइल गाइडेंस और कम्युनिकेशन सिस्टम को बुरी तरह प्रभावित करते हैं. इससे पश्चिमी विमानों के लिए टारगेट लॉक करना मुश्किल हो जाता है और उनके रडार लगभग अंधे हो जाते हैं.
यह तकनीक अमेरिकी या नाटो देशों के विमानों के लिए नया अनुभव नहीं है, लेकिन यूक्रेनी पायलटों के पास इससे निपटने के लिए अनुभव और पर्याप्त संसाधन नहीं हैं.
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