ढाका/इस्लामाबाद: दक्षिण एशिया के दो देशों पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच रिश्तों में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है. हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने बांग्लादेश की दो दिवसीय यात्रा के दौरान एक महत्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा की, जिसका नाम है- पाकिस्तान-बांग्लादेश नॉलेज कॉरिडोर. इस पहल का उद्देश्य दोनों देशों के बीच शिक्षा, प्रशासनिक प्रशिक्षण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना है.
इस परियोजना की खास बात यह है कि इसके तहत बांग्लादेशी छात्रों को पाकिस्तान में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कॉलरशिप दी जाएगी, और बांग्लादेश के सरकारी अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा. यह पहल ऐसे समय में सामने आई है जब बांग्लादेश में राजनीतिक बदलाव के बाद एक अंतरिम सरकार कार्यरत है, और पाकिस्तान उस सरकार के साथ कई स्तरों पर सहयोग बढ़ा रहा है.
पाकिस्तान-बांग्लादेश नॉलेज कॉरिडोर क्या है?
"नॉलेज कॉरिडोर" एक ऐसा ढांचा है जिसमें दो देशों के बीच शिक्षा, रिसर्च, अकादमिक एक्सचेंज और ट्रेनिंग प्रोग्राम को बढ़ावा दिया जाता है. पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बन रहा यह कॉरिडोर इन सभी पहलुओं को कवर करेगा.
मुख्य उद्देश्य:
500 स्कॉलरशिप और ट्रेनिंग प्रोग्राम की योजना
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, अगले पांच वर्षों में 500 बांग्लादेशी छात्रों को पाकिस्तान की यूनिवर्सिटी और शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप प्रदान की जाएगी. इनमें से लगभग 25% स्कॉलरशिप मेडिकल छात्रों के लिए आरक्षित होंगी.
सिर्फ इतना ही नहीं, पाकिस्तान सरकार ने यह भी कहा है कि वह अगले पांच वर्षों में 100 बांग्लादेशी प्रशासनिक अधिकारियों को ट्रेनिंग के लिए आमंत्रित करेगी. यह ट्रेनिंग विभिन्न सरकारी नीतियों, प्रबंधन, और सार्वजनिक सेवा से जुड़े पहलुओं को लेकर होगी.
इसके अलावा, पाकिस्तान ने अपने तकनीकी सहायता कार्यक्रम (Technical Assistance Program) के तहत दी जाने वाली स्कॉलरशिप की संख्या भी बढ़ा दी है — पहले यह संख्या केवल 5 थी, जिसे अब बढ़ाकर 25 कर दिया गया है.
दोनों देशों के बीच छह समझौते हुए
इशाक डार की ढाका यात्रा के दौरान पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच कुल 6 द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. इनमें शामिल हैं:
इन समझौतों का मकसद दोनों देशों के बीच आपसी समझ, शैक्षिक आदान-प्रदान और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देना है.
पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति और आलोचना
हालांकि पाकिस्तान ने यह शैक्षणिक सहायता और ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू करके एक सकारात्मक कूटनीतिक पहल की है, लेकिन देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति को लेकर कई विशेषज्ञ और विरोधी आलोचना भी कर रहे हैं.
पाकिस्तान खुद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से कर्ज लेकर अपनी आर्थिक व्यवस्था को संभालने की कोशिश कर रहा है. हाल ही में IMF ने पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर के कर्ज कार्यक्रम के तहत कुछ शर्तें पूरी करने के लिए कहा है, जैसे:
ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि जब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खुद डगमगा रही है, तो वह बांग्लादेश को स्कॉलरशिप और ट्रेनिंग जैसी सुविधाएं कैसे दे रहा है? क्या यह एक कूटनीतिक रणनीति है या दिखावे की पहल?
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