कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जबरदस्त समर्थन मिल रहा है. हालांकि, चीन और तुर्की ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन बाकी दुनिया भारत के साथ खड़ी नजर आ रही है. इस बीच, रूस के कड़े रुख ने पाकिस्तान की चिंता बढ़ा दी है. हमले के बाद रूस ने न सिर्फ भारत के साथ खड़े होने का ऐलान किया, बल्कि वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता भी जताई.
भारत-रूस की बातचीत ने पाकिस्तान को बेचैन किया
हमले के कुछ दिन बाद भारत के रूस में राजदूत विनय कुमार और रूस के उप विदेश मंत्री एंड्रे रुदेंको के बीच महत्वपूर्ण बैठक हुई. इस बातचीत में भारत ने रूस को पहलगाम में हुए हमले और उसके बाद के हालात की जानकारी दी. रूस ने इस पर स्पष्ट संदेश दिया कि वह भारत के साथ मिलकर आतंकवाद से सख्ती से निपटने के लिए तैयार है.
रूस की इस सक्रियता से पाकिस्तान में हलचल तेज हो गई. पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तत्काल अपने राजदूत मोहम्मद खालिद जमाली को रूसी विदेश मंत्रालय भेजा. रूस ने पुष्टि की कि पाकिस्तानी राजदूत के अनुरोध पर बैठक हुई, जिसमें भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को लेकर बातचीत की गई.
रूस ने दी संयम बरतने की सलाह, किया शांतिपूर्ण संवाद का समर्थन
रूसी उप विदेश मंत्री ने दोनों देशों से संयम बरतने और तनाव को बातचीत से सुलझाने की अपील की. रूस का कहना है कि वह दक्षिण एशिया में स्थिरता बनाए रखने के पक्ष में है और चाहता है कि भारत-पाकिस्तान रचनात्मक संवाद करें.
पाकिस्तान ने की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग
हमले के बाद पाकिस्तान की ओर से बौखलाहट साफ झलक रही है. पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने रूसी मीडिया से कहा कि इस मामले की जांच में रूस, चीन या पश्चिमी देशों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि ‘यह पता चल सके कि भारत सच बोल रहा है या नहीं’. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी इस हमले की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है.
रूस-चीन बैठक ने बढ़ाई पाकिस्तान की चिंता
ऐसे समय में जब पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की मांग कर रहा है, रूस और चीन के वरिष्ठ अधिकारियों ने मास्को में एक उच्चस्तरीय बैठक की. इसमें आतंकवाद, कट्टरपंथ और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा हुई. इस बैठक को सामान्य "परामर्श" नहीं, बल्कि एक "विशेष बैठक" कहा गया, जिससे इसके महत्व का संकेत मिलता है.
एससीओ के लिए बना नई चुनौती
रूसी आर्थिक अखबार ‘कोमर्सेंट’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के लिए भी एक नई चुनौती खड़ी कर दी है. बीजिंग इस समय एससीओ की अध्यक्षता कर रहा है और यह टकराव संगठन की क्षेत्रीय परियोजनाओं को प्रभावित कर सकता है. रूस भी इस स्थिति में असहज है, क्योंकि भारत उससे स्पष्ट समर्थन की अपेक्षा कर रहा है.
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