चीनी सैनिकों को ताइवान पर हमला करने की ट्रेनिंग दे रहा रूस, देखते रह जाएंगे ट्रंप? जानें पूरा प्लान

    लीक रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने ताइवान पर संभावित सैन्य कार्रवाई की योजना को मूर्त रूप देने के लिए रूस से रणनीतिक सहयोग लेना शुरू कर दिया है.

    Russia is training Chinese soldiers to attack Taiwan
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    बीजिंग: ताइवान और चीन के बीच पहले से ही तनावपूर्ण हालात अब और भी गंभीर हो सकते हैं. नई लीक रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने ताइवान पर संभावित सैन्य कार्रवाई की योजना को मूर्त रूप देने के लिए रूस से रणनीतिक सहयोग लेना शुरू कर दिया है. दोनों देशों के बीच एक विशेष सैन्य साझेदारी उभर रही है, जिसमें रूस चीन को न केवल हथियारों की आपूर्ति कर रहा है, बल्कि एक पूर्ण सैन्य रणनीति भी सिखा रहा है, वही रणनीति जिसका उपयोग रूस ने 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र पर कब्जे के समय किया था.

    रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ये घटनाक्रम वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य को बदल सकते हैं, खासकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में. इस रिपोर्ट में हम विस्तार से जानेंगे कि चीन और रूस की यह साझेदारी किस दिशा में बढ़ रही है, क्या इसका उद्देश्य है, और यह दुनिया के लिए क्या संकेत देती है.

    ताइवान को लेकर चीन की आक्रामक मंशा

    चीन लंबे समय से ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है और बार-बार कह चुका है कि यदि ज़रूरत पड़ी तो सैन्य बल का प्रयोग करके भी वह "पुनःएकीकरण" करेगा. राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल के वर्षों में इस विषय को प्राथमिकता पर रखते हुए चीनी सेना, यानी पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि वर्ष 2027 तक ताइवान को कब्जे में लेने के लिए पूरी तैयारी कर ली जाए.

    यह कोई साधारण चेतावनी नहीं है, बल्कि अब जो संकेत मिल रहे हैं, वे बताते हैं कि चीन इस दिशा में सक्रिय रूप से कदम बढ़ा रहा है.

    रूस का गुरुमंत्र, क्रीमिया से ताइवान तक

    लीक हुए दस्तावेज़ों और पश्चिमी रक्षा विश्लेषकों की रिपोर्टों के अनुसार, चीन, रूस के क्रीमिया अधिग्रहण मॉडल को बारीकी से समझ रहा है और उसी पथ पर आगे बढ़ना चाहता है. रूस की 2014 की क्रीमिया कार्रवाई को दुनिया ने एक तेज़, योजनाबद्ध और हाइब्रिड वॉरफेयर का उदाहरण माना था, जिसमें साइबर हमले, दुष्प्रचार, सशस्त्र लड़ाके, और स्थानीय समर्थन का मिश्रण था.

    हालिया रिपोर्टों के अनुसार, रूस अब इस मॉडल को चीन को "सिखा" रहा है, वह भी चरणबद्ध सैन्य ट्रेनिंग, हथियारों की सप्लाई और विशेष युद्ध तकनीकों के माध्यम से.

    लीक दस्तावेज़ों से हुआ बड़ा खुलासा

    "ब्लैक मून हैक्टिविस्ट समूह" द्वारा लीक किए गए दस्तावेजों के अनुसार, चीन और रूस के बीच सैन्य सहयोग का यह सौदा करीब 584 मिलियन अमेरिकी डॉलर का है. दस्तावेज़ों की सत्यता की पुष्टि यूक्रेन के कियाव डिफेंस सूत्रों और ब्रिटिश रक्षा थिंक टैंक RUSI (रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट) द्वारा की गई है.

    इन दस्तावेजों के अनुसार:

    • चीन को बख्तरबंद वाहन, कमांड और नियंत्रण इकाइयाँ, और वर्चुअल हमले के उपकरण मिल रहे हैं.
    • इन हथियारों का उपयोग चीन के सैनिकों को तेज़ और सामंजस्यपूर्ण आक्रमण रणनीति सिखाने में किया जा रहा है.

    रूसी टैक्टिक्स से लैस होंगे PLA सैनिक

    रिपोर्ट में बताया गया है कि रूस ने चीन की एयरबोर्न बटालियन को एक खास ट्रेनिंग कार्यक्रम में शामिल किया है, जिसमें शामिल हैं:

    • हाई-एल्टिट्यूड पैराशूट जंप
    • गुप्त बख्तरबंद तैनाती तकनीकें
    • हाइब्रिड वॉरफेयर, निगरानी, और तोड़फोड़ की रणनीतियाँ
    • शहरी युद्ध, खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में लड़ाई की तैयारी
    • ड्रोन वॉरफेयर और मल्टी-परपज़ UAV सिस्टम का प्रशिक्षण

    इसके अलावा रूस चीन में तकनीकी रखरखाव केंद्र, विशेष पैराशूट निर्माण यूनिट, और स्थानीय उत्पादन इकाइयाँ स्थापित कर रहा है ताकि PLA भविष्य में अपने दम पर इन तकनीकों को दोहरा सके.

    प्रशिक्षण में शामिल उन्नत हथियार प्रणाली

    लीक रिपोर्ट के अनुसार, रूस चीन को जो सैन्य उपकरण ट्रेनिंग के लिए दे रहा है, उनमें शामिल हैं:

    • BMD-4M एयरबोर्न फाइटिंग व्हीकल
    • Sprut-SD एंटी-टैंक गन
    • कमांड और निगरानी वाहन
    • इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर यूनिट्स
    • साइबर-हैकिंग टूल्स और डेटा डिस्रप्शन तकनीक

    RUSI के विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि समझौते के तहत यह आवश्यक है कि सभी रूसी हथियारों को चीनी कम्युनिकेशन और कंट्रोल सिस्टम के साथ 100% संगत बनाया जाए. इससे दोनों देशों के बीच सैन्य तकनीक में समन्वय स्थापित हो रहा है.

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