चालाक पुतिन! पोलैंड बॉर्डर पर चली ऐसी चाल, जर्मनी भी हो गया शिकार; ट्रंप के सारे दांव फेल

    जब दुनिया की बड़ी ताकतें यूक्रेन युद्ध के समाधान की कोशिशों में जुटी हैं, उसी समय रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक ऐसी चुपचाप रणनीति पर काम शुरू कर दिया है, जो यूरोप और नाटो के लिए एक नई चुनौती बनकर उभरी है.

    Russia installed ear shaped antena in kaliningrad amid tention in ukraine
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    जब दुनिया की बड़ी ताकतें यूक्रेन युद्ध के समाधान की कोशिशों में जुटी हैं, उसी समय रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक ऐसी चुपचाप रणनीति पर काम शुरू कर दिया है, जो यूरोप और नाटो के लिए एक नई चुनौती बनकर उभरी है. रूस ने अपने कलिनिनग्राद इलाके में एक विशाल, कान जैसी संरचना वाले हाई-टेक एंटेना सिस्टम का निर्माण किया है, जिसे लेकर पश्चिमी खुफिया एजेंसियों में खलबली मच गई है.


    उपग्रह से मिली ताज़ा तस्वीरों में यह रहस्यमयी स्ट्रक्चर साफ नजर आ रहा है. करीब 1.6 किलोमीटर व्यास वाले इस एंटेना सिस्टम में सात सममित रिंग्स हैं, जो चारों ओर ऊंची सुरक्षा दीवारों से घिरा है. यह आकार और संरचना किसी सामान्य मौसम केंद्र या रेडियो स्टेशन जैसी नहीं लगती. पश्चिमी विशेषज्ञों का मानना है कि यह रूस की एक ‘सिग्नल इंटेलिजेंस फैसिलिटी’ है. यानी ऐसा सिस्टम जो सैन्य संचार, रेडियो ट्रैफिक, और इलेक्ट्रॉनिक डेटा को दूर से पकड़ने में सक्षम है. इसे अस्थायी नाम मिला है: "Super Ear".

    नाटो की गतिविधियों पर ‘डायरेक्ट सुनवाई’

    इस हाई-टेक जासूसी सिस्टम की लोकेशन बेहद संवेदनशील मानी जा रही है. पोलैंड की सीमा से मात्र 25 किलोमीटर दूर. रणनीतिक जानकारों का कहना है कि यह डिवाइस अब सीधे पोलैंड, जर्मनी और बाल्टिक देशों में मौजूद नाटो सेनाओं की गतिविधियों को सुन सकता है. रूस ने इससे पहले भी GPS सिग्नल्स को जाम करने, ड्रोन को भटकाने, और साइबर हमलों के ज़रिये इलेक्ट्रॉनिक युद्ध का चेहरा दिखाया है. यह नया जासूसी सिस्टम उसी रणनीति का एक और घातक अध्याय लगता है.

    कलिनिनग्राद: जियोपॉलिटिक्स का उबलता गढ़

    कलिनिनग्राद लंबे समय से रूस के लिए एक सैन्य चौकी के रूप में काम करता आया है. यहां पर Iskander मिसाइलों से लेकर एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम तक पहले से तैनात हैं. लेकिन अब इस नए एंटेना ने इसे एक इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर हब बना दिया है. युद्ध अब सिर्फ सीमा पर नहीं लड़े जा रहे आधुनिक जंग में डेटा, संचार और जानकारी की भूमिका निर्णायक होती जा रही है. और रूस इस मोर्चे पर भी पूरी तैयारी से उतरा है.

    एक मनोवैज्ञानिक दबाव का खेल

    कई रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल एक निगरानी परियोजना नहीं, बल्कि नाटो पर मानसिक दबाव बनाने की रणनीति है. संदेश साफ है — मॉस्को न केवल मिसाइलों से लैस है, बल्कि अब वह यूरोप की हर हलचल सुनने में भी सक्षम है. इस ‘सुपर कान’ के ज़रिये रूस और पश्चिम के बीच भरोसे की जो बची-खुची डोर थी, वो और कमजोर पड़ती नजर आ रही है. यह एंटेना सिर्फ एक संरचना नहीं, बल्कि मॉस्को की बढ़ती डिजिटल और साइबर निगरानी क्षमताओं का प्रतीक बनता जा रहा है.

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