वैश्विक मंच पर रूस और अमेरिका के बीच टकराव एक नए मोड़ पर पहुंच गया है. बीते दो दिनों में घटनाएं जिस तरह से सामने आई हैं, उनसे साफ हो रहा है कि दोनों महाशक्तियां अब सिर्फ बयानों तक सीमित नहीं रहना चाहतीं. पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को जवाब देने के लिए दो परमाणु-सक्षम पनडुब्बियां तैनात करने का आदेश दिया, और अब रूस ने अमेरिका के चिर-प्रतिद्वंद्वी देश वेनेजुएला में अपनी घातक ओरेशनिक हाइपरसोनिक मिसाइल तैनात करने की तैयारी शुरू कर दी है.
रूस की यह रणनीति अचानक सामने नहीं आई. कुछ ही दिन पहले राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सार्वजनिक रूप से ऐलान किया था कि ओरेशनिक मिसाइल प्रणाली अब आधिकारिक रूप से रूसी सेना को सौंप दी गई है. यह मिसाइल प्रणाली बेहद खतरनाक मानी जाती है, जिसकी रेंज 550 किलोमीटर से अधिक है और जो मैक 11 की रफ्तार से लक्ष्य को भेदने की क्षमता रखती है.
वेनेजुएला में रूस की 'मिसाइल चाल'
ईरान की मेहर न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, रूस इन मिसाइलों का बड़े पैमाने पर निर्माण कर रहा है. हालांकि वेनेजुएला में इनकी तैनाती को लेकर कोई औपचारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह योजना अब अंतिम चरण में है. अगर ऐसा होता है तो यह अमेरिका और नाटो के लिए एक गंभीर भूराजनैतिक चुनौती बन सकती है.
अमेरिका की सरहद के पास खतरे की दस्तक
ओरेशनिक मिसाइलों की तैनाती यदि वास्तव में वेनेजुएला में होती है, तो यह दक्षिण अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्रों के बड़े हिस्से को अपनी मारक क्षमता में ले आएगी. यह अमेरिका की "बैकयार्ड" कही जाने वाली भौगोलिक सीमा में सीधा खतरा पैदा करेगा. सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अमेरिका के रणनीतिक संतुलन को बिगाड़ सकता है और नाटो देशों की नींद उड़ा सकता है. वहीं अमेरिका को यह डर भी सताने लगा है कि रूस की यह पहल क्षेत्रीय तनाव को भड़काने के साथ-साथ सामरिक समीकरणों को भी पलट सकती है.
क्या है ओरेशनिक मिसाइल की खासियत?
ओरेशनिक हाइपरसोनिक मिसाइल को रूस ने पहली बार पिछले साल परीक्षण के तौर पर इस्तेमाल किया था. उस समय यह मिसाइल एक यूक्रेनी सैन्य ठिकाने पर दागी गई थी. इसकी सबसे बड़ी ताकत है इसकी गति और उड़ान की दिशा में लचीलापन, जो इसे इंटरसेप्ट करना बेहद मुश्किल बना देता है. यह प्रणाली मोबाइल लॉन्चर से भी दागी जा सकती है, जिससे इसका पता लगाना और भी मुश्किल हो जाता है. खासतौर पर मध्यम दूरी की यह मिसाइल दुश्मन के रडार से बच निकलने में सक्षम है और एक बार लक्ष्य तय हो जाए तो उसे चूकना लगभग नामुमकिन होता है.
अमेरिका के लिए वेनेजुएला क्यों है बड़ी चिंता?
वेनेजुएला और अमेरिका के बीच का तनाव नया नहीं है. यह दुश्मनी 1999 में शुरू हुई जब ह्यूगो शावेज देश के राष्ट्रपति बने और उन्होंने अमेरिका की आर्थिक नीतियों की खुलकर आलोचना की. इसके बाद 2002 में शावेज ने अमेरिका पर उनके खिलाफ तख्तापलट की साजिश का आरोप लगाया. जब निकोलस मादुरो सत्ता में आए, तो संबंध और अधिक बिगड़ गए. विशेषकर 2018 के चुनाव के बाद जब अमेरिका ने विपक्षी नेता जुआन गुआइडो को वैध राष्ट्रपति मान लिया और वेनेजुएला पर आर्थिक प्रतिबंध थोप दिए. तब से दोनों देशों के रिश्ते सुधरने की बजाय लगातार और तल्ख होते गए.
रणनीतिक संतुलन की नई बिसात
विश्लेषकों की मानें तो रूस यदि वेनेजुएला में ओरेशनिक मिसाइलें तैनात करता है, तो यह अमेरिका की वैश्विक पकड़ को सीधे चुनौती देने जैसा होगा. यह कदम न केवल सैन्य स्तर पर बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी अमेरिका के लिए सिरदर्द बन सकता है. वेनेजुएला के जरिए रूस को अमेरिका के प्रभाव वाले क्षेत्रों में एक मजबूत ठिकाना मिल जाएगा और यह पश्चिमी देशों के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश होगा कि रूस अब आक्रामक नीति अपनाने को तैयार है.
यह भी पढ़ें: 'दूसरों को उपदेश देने से पहले खुद पर भी एक नजर...' ट्रंप की धमकी के कुछ मिनट बाद ही भारत का पलटवार