नई दिल्ली: भारत ने बांग्लादेश के लिए दी जा रही ‘ट्रांसशिपमेंट सुविधा’ को रद्द करने का निर्णय लिया है, जिससे बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने चीन के प्रति झुकाव दिखाते हुए पूर्वोत्तर भारत को 'भूमि से घिरा हुआ' क्षेत्र बताया था. उनके इस बयान को रणनीतिक रूप से भारत के लिए संवेदनशील माना जा रहा है.
ट्रांसशिपमेंट सुविधा क्या थी?
‘ट्रांसशिपमेंट सुविधा’ के अंतर्गत बांग्लादेश को भारतीय भूमि, सीमा शुल्क स्टेशनों (LCS), हवाई अड्डों और बंदरगाहों का उपयोग कर अपने माल को तीसरे देशों तक पहुंचाने की अनुमति थी. यह सुविधा जून 2020 में शुरू की गई थी और इससे बांग्लादेश को नेपाल, भूटान और म्यांमार जैसे देशों में अपने निर्यात को बढ़ाने में मदद मिली थी. लेकिन अब इस फैसले से बांग्लादेश को अपने निर्यात मार्गों पर पुनर्विचार करना होगा.
भारत को होगा यह फायदा
भारत के इस कदम से कई घरेलू उद्योगों को लाभ मिलने की संभावना है, विशेष रूप से टेक्सटाइल, फुटवियर और जेम्स एंड ज्वैलरी जैसे क्षेत्रों में. इन उद्योगों में बांग्लादेश एक मजबूत प्रतिस्पर्धी था, लेकिन ट्रांसशिपमेंट सुविधा हटने के बाद भारतीय उद्योगों को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अधिक अवसर मिल सकते हैं.
CBIC ने जारी किया निर्देश
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने घोषणा की है कि 29 जून, 2020 के परिपत्र को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है. हालांकि, भारत में पहले से प्रवेश कर चुके माल को पुरानी प्रक्रिया के तहत निकासी की अनुमति दी जाएगी.
यूनुस के बयान पर विवाद
मुहम्मद यूनुस ने हाल ही में चीन यात्रा के दौरान भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को 'भूमि से घिरा हुआ' बताते हुए कहा था कि इस क्षेत्र की समुद्र तक कोई सीधी पहुंच नहीं है और बांग्लादेश इस क्षेत्र का प्रमुख समुद्री प्रवेशद्वार बन सकता है. उन्होंने चीन से बांग्लादेश में अपनी आर्थिक उपस्थिति बढ़ाने की अपील भी की थी.
भारत की प्रतिक्रिया
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूनुस की इस टिप्पणी को गलत बताते हुए कहा कि भारत की बंगाल की खाड़ी में 6,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा है और यह न केवल बिम्सटेक देशों से जुड़ा है, बल्कि आसियान क्षेत्र के साथ भी इसका गहरा संपर्क है. उन्होंने कहा कि भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और इसका कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर लगातार मजबूत किया जा रहा है.
भारत के इस कदम से दक्षिण एशिया में व्यापारिक समीकरण बदल सकते हैं और बांग्लादेश को अपनी व्यापारिक रणनीतियों पर दोबारा विचार करना पड़ सकता है.
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