नई दिल्ली: भारत 24 के सीईओ और एडिटर इन चीफ डॉ. जगदीश चंद्र के 'The JC Show' का लाखों-करोड़ों दर्शकों को इंतजार रहता है. इस बार The JC Show प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की थाईलैंड-श्रीलंका यात्रा को लेकर रहा. इस शो का नाम 'मित्र विभूषण' मोदी' रखा गया...आइए जानते हैं इस शो में Man of Prediction कहे जाने वाले डॉ. जगदीश चंद्र का विश्लेषण.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी-अभी दो देशों के दौरे पर पहुंचे जहां पर एक तरफ थाईलैंड दूसरी तरफ श्रीलंका और इसके साथ ही इन दोनों देशों के दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को श्रीलंका में सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया. प्रधानमंत्री मोदी को मिला यह 22वां सर्वोच्च सम्मान था यानी कि वैश्विक सम्मानों की लिस्ट में प्रधानमंत्री मोदी ग्लोबल चैंपियन बन चुके हैं, लेकिन क्या यह सिर्फ सम्मान की बात है. यह बदलते वर्ल्ड ऑर्डर के बीच में भारत की भूमिका और प्रधानमंत्री मोदी की लीडरशिप की बात है. दुनिया बदल रही है जिओपॉलिटिकल स्ट्रेटजीस बदल रही हैं. फिर चाहे चीन और अमेरिका के बीच टकराहट हो रूस यूक्रेन युद्ध हो, पश्चिमी एशिया में संघर्ष हो या फिर ग्लोबल इकोनॉमिक चैलेंजेस हो, प्रधानमंत्री मोदी सेंटर में आ चुके हैं. इन तमाम बदलते जियोपॉलिटिकल ऑर्डर्स में एक महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए यानी कि बदलती हुई वैश्विक घटनाओं में भारत अब सिर्फ एक दर्शक नहीं है, बल्कि निर्णायक बन चुका है और इसी
भारत की भूमिका को और प्रधानमंत्री मोदी की लीडरशिप को डिस्कस करने के लिए 'द जेसी शो' की शुरुआत करते हैं.
सवाल- सर क्योंकि आज हमने हेडलाइन रखी है 'मित्र विभूषण मोदी' इसके मायने क्या हैं?
डॉ. जगदीश चंद्र का जवाब- कितना सुंदर नाम है 'मित्र विभूषण मोदी'. यह लंका में दिया गया प्रधानमंत्री को उस देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है. आपने ठीक कहा कि 22वां पुरस्कार है. मुझे फिर लगता है कि संसार के राष्ट्रों में मोदी को सम्मानित और अलंकृत करने की एक होड़ सी लगी हुई है लेकिन मोदी विनम्रता से इसका सारा श्रेय अपने देश की जनता को देते हैं. उन्होंने फिर कहा यह सम्मान मेरा नहीं भारत के 140 करोड़ लोगों का है. उनकी यह उदारता और उनकी विनम्रता राष्ट्र को प्रभावित करती है. इस पुरस्कार में एक धर्म चक्र भी लगा हुआ है जो साझा बौद्ध संस्कृति को दर्शाता है और इसके साथ ही दो देशों की जो सांस्कृतिक परंपराएं हैं उनको एक आकार देता है. इसके साथ ही इस पुरस्कार में अलग-अलग प्रकार के नौ लंकाई रत्न भी लगे हुए हैं जो दोनों देशों के बीच की अमूल्य और स्थाई मित्रता का प्रतिनिधित्व करते हैं. तो आप देखिए कितना खूबसूरत पुरस्कार और उसकी कितनी खूबसूरत व्याख्या. सो बेस्ट ऑफ लक एंड वंस अगेन प्रधानमंत्री जी को मुबारकबाद इस पुरस्कार के लिए देश का मान सम्मान बढ़ाने के लिए देश का गौरव बढ़ाने के लिए.
सवाल- सर मैं चाइना के नजरिए से समझना चाहती हूं कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीलंका जाते हैं, थाईलैंड जाते हैं, अभूतपूर्व सम्मान मिलता है, अद्भुत तमाम तरीके का स्वागत होता है, फिर एग्रीमेंट्स होते हैं, तो चाइना यह देखकर क्या सोच रहा होता है?
जवाब- चाइना मस्ट बी अपसेट. चाइना ने समझ लिया था कि लंका उसकी एक कॉलोनी है और थाईलैंड उनके पूरे प्रभाव में है. खासतौर पे लंका की स्ट्रेटेजिक रेलेवेंस है क्योंकि चाइना का डिफेंस इक्विपमेंट वहां जाता है. चाइना का डिफेंस इंटरवेंशन एक तरह से लंका में काफी हो चुका है ऐसे हालात में नरेंद्र मोदी का जाना और उनका इस तरह से ढोल नगाड़ों के साथ वहां के लोगों का सरकार का स्वागत करना तो चाइना को निश्चित तौर से अपसेट करता होगा. स्वागत बहुत शानदार था. आधा दर्जन मंत्री बरसात के बावजूद उन्हें वहां लेने पहुंचे. थाईलैंड में बहुत शानदार स्वागत हुआ भारतीय समुदाय के लोगों से मिले उसके बाद लंका में देखिए स्वतंत्र चौक पर उनका सम्मान हुआ जो बहुत रेयर है. भारतीय समुदाय से मिले लंका में रहने वाले तमिल समुदाय से मिले और वहां जाकर कहा कि आप लोगों के बीच आकर मुझे बहुत खुशी होती है. तो कुल मिलाकर उनकी यात्रा और उनका स्वागत था अद्भुत था और चाइना के लिए उतना ही डिसपॉइंटिंग रहा होगा.
सवाल- सर प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को पड़ोसी देश में मोदी क्रांति की संज्ञा दी गई है, क्या मायने हैं इसके?
जवाब- बहुत समय से पिछड़े हुए थे, जिसे कहना चाहिए इग्नोर थे. कोई जाता नहीं था तो नरेंद्र मोदी ने नई पॉलिसी शुरू की है 'इमीडिएट नेबरहुड फर्स्ट'. अर्थात सबसे पहले मेरे पड़ोसी राष्ट्र हैं उनकी चिंता करूंगा, उनको गले लगाऊंगा, वहां जाऊंगा उसके बाद फिर मैं बड़े राष्ट्रों में जाऊंगा या दोनों में समकक्ष जाऊंगा समानांतर जाऊंगा. तो वो जो महत्व उन्होंने दिया और इतिहास के उस पन्नों से खोज के लाए पड़ोसी राष्ट्रों को वापस उनको महत्व दिया उनको गरिमा दी तो इससे यह कहा जाता है कि पड़ोसी राष्ट्रों में जो छह सात पड़ोसी राष्ट्र आप देखते हैं भारत है, लंका, भूटान है, नेपाल है, बांग्लादेश है, इनमें जाना आना इनको वापस से जोड़ना. तो इसीलिए कहा गया है कि एक क्रांति इस प्रकार की जो है नरेंद्र मोदी वहां पे लाए हैं जो लॉस्ट इमीडिएट नेबरहुड था उसको फिर से स्थापित करने का प्रयास प्रधानमंत्री कर रहे हैं और ये यात्रा जो है उसी का एक बड़ा हिस्सा थी.
सवाल- सर आपको क्या लगता है नरेंद्र मोदी से पहले की सरकारों ने छोटे-छोटे जो हमारे पड़ोसी देश हैं उनके साथ संबंध सुधारने पर ध्यान क्यों नहीं दिया?
जवाब- बेसिकली जिसे कहना चाहिए लैक ऑफ विजन, फेलियर ऑफ लीडरशिप इन फॉरेन मिनिस्ट्री, ब्यूरोक्रेटिक नेगलेक्ट और मन में एक सोच का होना कि पहले बड़े राष्ट्रों को देखते हैं. विदेश का मतलब ही माना जाता था ब्रिटेन फ्रांस अमेरिका रूस चाइना. विदेश की जो पॉलिसी थी जिसको नरेंद्र मोदी ने रीडिफाइन किया है, उसमें छोटे राष्ट्रों का वो स्थान नहीं था. ये राष्ट्र जो है अब इनको फिर से लाए हैं तो वह जो खोई हुई अपॉर्चुनिटी थी इन राष्ट्रों से फिर से अपने आप को कनेक्ट करने की उसको नरेंद्र मोदी लौटा के लाए हैं और पहले आपने कहा क्यों हुए बेसिकली विज़न के फेलर के कारण से और पुअर लीडरशिप के कारण से. यह राष्ट्र जो है छोटे देश उपेक्षित होते रहे जिन्हें फिर से नरेंद्र मोदी मुख्यधारा में जोड़ रहे हैं.
सवाल- सर ये BIMSTEC क्या है और थाईलैंड के शिखर सम्मेलन में क्या-क्या हुआ?
जवाब- BIMSTEC एक रीजनल संगठन है, यह कहना चाहिए कि एक प्लेटफार्म है जिसमें भारत की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है. बंगाल की खाड़ी से जुड़े हुए सात राष्ट्र जो हैं वो इसके मेंबर हैं. पांच इसमें साउथ एशियन कंट्रीज हैं, दो इसमें जो है साउथ ईस्टर्न कंट्रीज हैं थाईलैंड और माम्याार. बाकी पांच हैं जो भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान और नेपाल है. इसका मुख्य काम यह है कि साउथ एशियन और साउथ ईस्टर्न एशियन कंट्रीज के बीच में एक पुल का काम करना और कलेक्टिव देखना, सबके आर्थिक विकास को एक साथ देख के चलना, सबको एक कलेक्टिव डेवलपमेंट का प्लेटफार्म देना, क्योंकि आप आगे बढ़ेंगे तो हम आगे बढ़ेंगे.
सवाल- सर मैंने सुना है कि ट्रंप टेरिफ वॉर के चलते भारत सरकार चाइनीस इन्वेस्टमेंट पर जो प्रतिबंध लगे हुए थे उस पर विचार कर रही है क्या आपने भी ऐसा सुना है?
जवाब- सुना था, मैंने चेक किया लेकिन ऐसा नहीं है. अभी कोई ऐसा मूव नहीं है. गवर्नमेंट की तरफ से कि जो रेस्ट्रिकशंस लगे हुए हैं चाइना पे उनको रिलैक्स किया जाए या उनको थोड़ा सा हल्का किया जाए. प्राइवेट सेक्टर का दबाव है कि ऐसा करना जरूरी है वरना जो अमेरिका की टैरिफ के कारण से जो बिजनेस बाहर जाएगा वो बिजनेस दूसरे एशियन कंट्री में जाने के बजाय भारत में आए तो इसके लिए जरूरी है कि जो एफडीआई की जो नॉर्म्स हैं उनको रिलैक्स किया जाए, उनको रिव्यु किया जाए और जो पॉलिसी है भारत की चाइनीज़ इन्वेस्टमेंट के बारे में उसको नए सिरे से रिव्यु करके रिलैक्स किया जाए. लेकिन मुझे ऐसा लगता नहीं कि फिलहाल सरकार ऐसा करने जा रही है.
सवाल- सर इस समय जो ट्रंप ने ये बड़ा फैसला लिया टैरिफ को लेकर के क्या इससे अमेरिका में गृह युद्ध जैसे हालात बन सकते हैं और क्योंकि रिसेशन का खतरा भी रहता है तो क्या यह ग्लोबल रिसेशन की तरफ आगे बढ़ सकता है?
जवाब- गृह युद्ध एक्सजेक्टली तो नहीं कह सकते लेकिन हां राष्ट्र में बड़े पैमाने पर ट्रंप के खिलाफ प्रदर्शनों की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता आप देखिए पहले दिन ही वहां के 50 राज्यों में 1400 रैलियां निकली. अलग-अलग जगह पर ट्रंप के खिलाफ और प्रदर्शनकारियों के हाथ में अमेरिका का झंडा उल्टा टंगा हुआ था. ये सब हुआ केवल 75 दिन में. ट्रंप के शासन को केवल 75 दिन हुए और आंदोलन करने वाले लोगों में सभी श्रेणियों के लोग शामिल थे तो एक तरह से क्रांति थी यह एक तरह से रिवोल्ट था या बड़े रिवोल्ट की झांकी थी और यह रिवोल्ट अगर थमा नहीं और ट्रंप ने समझदारी से कहना चाहिए या ट्रंप की नीतियां सक्सेस नहीं हुई तो फिर गृह युद्ध ऐसा तो हो नहीं सकता सिमोलिया जैसा लेकिन एक आप कह सकते हैं मोर और लेस एक डिग्निफाइड सिविल वार के हालात मतलब कहते हैं राष्ट्र में अनिश्चितता आ जाए.
सवाल- सर ट्रंप से निराश दूसरे नेताओं की तरह मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात करूंगी, उन्होंने अभी तक ट्रंप के टैरिफ को लेकर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या जानबूझकर डोनाल्ड ट्रंप को लॉन्ग रोप दे रहे हैं?
जवाब- मोदी स्मार्ट आदमी हैं. ऐसे मामलों में लूज स्टोक नहीं होती उनके वहां से तो उन्होंने बहुत तरीके से इसको हैंडल किया है और अभी तक ट्रंप चेयर हम पे लगा रहे हैं. टैरिफ पर कहते है ,'मोदी माय ग्रेट फ्रेंड' यह भी कम बात नहीं है. आज मैंने अखबार में पढ़ा इलेक्ट्रॉनिक्स और एक और सेक्टर है उसमें कह रहे हैं कि 2 लाख करोड़ का बेनिफिट इंडिया को आज भी है. इसके अलावा जो है 43 लाख करोड़ की जो ट्रेड डील की बात चल रही है अमेरिका के साथ में उसमें इंडिया को फायदा होने वाला है. तो मुझे ऐसा लगता है कि ट्रंप और मोदी के बीच में कोई साइलेंट सहमति हो गई है कि चलने दो हम आपका ख्याल रखेंगे और जो वर्कआउट करेंगे डीएस को तो भारत को उसका उतना नुकसान जो है नहीं होगा.
सवाल- सर पॉलिटिकल ऑब्जर्वर्स का ऐसा मानना है कि नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप दोनों की कार्यशैली में एक अंतर है तो वो डिफरेंस क्या है?
जवाब- वो डिफरेंस यह है कि देखिए ट्रंप बेसिकली जो स्ट्रक्चर ब्यूरोक्रेसी है उसको तोड़ते हैं, उसको एक्स्ट्रा कॉन्स्टिट्यूशनल पावर सेंटर जैसे मस्क है उससे रिप्लेस करते हैं, नए प्राइवेट लोगों को सत्ता सौंपते हैं, वहीं नरेंद्र मोदी स्ट्रक्चर ब्यूरोक्रेसी में भरोसा रखते हैं और उनकी नीति स्थाई है और उनकी नीति में जो स्ट्रक्चर में एक्स ब्यूरोक्रेट्स हैं उनको उन्होंने महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी हुई हैं. आप अश्विनी वैष्णव का केस देखिए. आज क्या है उनके पास में रेलवे है, उनके पास में आईटी है, आईएनबी मिनिस्ट्री है, आप हरदीप पूरी का केस देखिए. पेट्रोलियम है, तो पीएम मोदी की ब्यूरोक्रेसी कितना इफेक्टिवली काम करती है. तो दोनों के बीच में बेसिक अंतर क्या है कि शासन का ढांचा खड़ा करने का जो मॉडल है जो प्रक्रिया है उसमें नरेंद्र मोदी और ट्रंप एक दूसरे के विपरीत हैं. नरेंद्र मोदी की सोच जो है कंसिस्टेंट है ट्रंप की जो सोच है वो इररेशनल हो जाती है कभी-कभी और स्ट्रक्चर ब्यूरो किसी को वो उखाड़ के फेंकना चाहते हैं लेकिन यहां ऐसा नहीं है.
सवाल- सर थाईलैंड यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को दो टूक सलाह दी आप उसे किस तरह से देखते हैं?
जवाब- नरेंद्र मोदी बेसिकली यूनुस से नाराज हैं उन्हें मन में लगता होगा कि कैसे बना यह मुखिया या प्राइम मिनिस्टर या राष्ट्रपति कुछ भी कहो ही इज़ हाइली इरिस्पांसिबल. जिस तरह के बयान से तो वो दो टू सलाह उन्होंने दी पहला तो उन्होंने कहा कि देखो हिंदुओं पे और खास करके दूसरी जो माइनॉरिटीज हैं उनपर अत्याचार को रोको और ना केवल रोको इनको इन्वेस्टिगेट करो और कौन दोषी हैं उनको दंडित करो. यह दो बातें साफ तौर पर उन्होंने उसको कही है. हालांकि यूनुस ने ये कहा बताया कि साहब ये इनफ्लेटेड है मीडिया रिपोर्ट्स हैं आप चाहे तो अपने मीडिया को मेरे यहां भेज सकते हैं. लेकिन क्या इनफ्लेटेड है तो प्रूफ आते किस तरह से मंदिर तोड़े जा रहे हैं कैसे हिंदुओं पे पिटाई हो रही है. अब देखने की बात यह है कि सलाह उन पे कितना असर करती है, वो कितना इसको मानते हैं और कितना विज़डम दिखाते हैं.
सवाल- सर इस मीटिंग के दौरान जो भारत में अवैध घुसपैठी है बांग्लादेश से आए हुए उसको लेकर दोनों के बीच में कोई चर्चा हुई?
जवाब- हां मैंने पढ़ा. नरेंद्र मोदी ने स्ट्रोंगली अपनी बात को रखा कि बॉर्डर जो क्रॉस करते हैं इसको रोकना चाहिए. इफेक्टिवली नियम बना हुआ है और इसके लिए जो एनफोर्समेंट का जो सिस्टम बना हुआ है जो एनफोर्समेंट का मैकेनिज्म है उसको इंप्लीमेंट करना चाहिए ताकि सिक्योरिटी और स्टेबिलिटी यानी इस रीजन की इस बॉर्डर की बनी रहे तो आई एम श्योर कि यह बात तो पूरे तौर पे नरेंद्र मोदी ने पुख्ता ढंग से कही है.
सवाल- सर क्या भारत शेख हसीना का प्रत्यार्पण कर उन्हें वापस बांग्लादेश लौटाने पर सहमत होगा?
जवाब- ऐसा मुझे नहीं लगता. और इस बैठक में इस मीटिंग जो हुई है थाईलैंड में दोनों के बीच इसमें कोई चर्चा हुई इस बारे में अधिकृत जानकारी इस बारे में नहीं है लेकिन अनौपचारिक लोगों का कहना है कि कुछ हल्कीफुल्की बातचीत शायद हुई है. बातचीत हुई है या नहीं हुई है लेकिन नरेंद्र मोदी का स्टैंड बिल्कुल क्लियर है, उन्होंने कहा हमारी दोस्ती हमारे फैक्ट हमारी अंडरस्टैंडिंग बांग्लादेश सरकार के साथ है, किसी व्यक्ति विशेष या राजनीतिक दल के साथ नहीं है. हमारी दोस्ती हमारे जो हैं, वो गवर्नमेंट के साथ है, गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट है. ऐसा नहीं है कि हसीना चली गई तो वो पैक्ट खत्म हो गया. इसका मतलब यह है कहने का तो मुझे नहीं लगता कि भारत उसकी किसी भी मांग पर विचार करने को तैयार हो.