भारत अब सिर्फ अपनी सीमाओं की सुरक्षा तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि वह आधुनिक युद्ध तकनीकों में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी तेजी से कदम बढ़ा रहा है. हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" के जरिए न सिर्फ आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया, बल्कि पाकिस्तान और उसके समर्थकों—जैसे चीन और तुर्की—को भी स्पष्ट संदेश दे दिया है कि अब भारत किसी भी सूरत में चुप बैठने वाला नहीं है. इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान में खलबली मच गई है और चीन भी भारत की सैन्य तैयारियों से बुरी तरह घबराया हुआ है.
इसी बीच, भारत ने डिफेंस सेक्टर में एक और बड़ा कदम उठाया है—AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) प्रोजेक्ट. इस प्रोजेक्ट के तहत दो अत्याधुनिक फाइटर जेट तैयार किए जा रहे हैं—AMCA मार्क-1 और AMCA मार्क-2. जहां मार्क-1 मौजूदा लड़ाकू विमानों की संख्या में कमी को पूरा करेगा, वहीं मार्क-2 भारत का पहला 6th जनरेशन तकनीक से लैस फाइटर जेट बनने की ओर अग्रसर है. सबसे खास बात यह है कि मार्क-2 पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित होगा.
क्यों जरूरी है AMCA प्रोजेक्ट?
फिलहाल भारतीय वायुसेना 4.5 जनरेशन फाइटर जेट्स जैसे राफेल और Su-30MKI पर निर्भर है, लेकिन चीन द्वारा J-20 जैसे स्टेल्थ विमानों की सीमा पर तैनाती ने भारत को भी अब अगली पीढ़ी के विमानों की ओर देखने पर मजबूर कर दिया है. मौजूदा जरूरतों के अनुसार भारतीय वायुसेना को 42–43 स्क्वाड्रन की आवश्यकता है, जबकि अभी महज 30 स्क्वाड्रन ही उपलब्ध हैं. ऐसे में 200–300 नए लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है, जिसे AMCA प्रोजेक्ट के जरिए पूरा किया जाएगा.
AMCA मार्क-1 बनाम AMCA मार्क-2
AMCA मार्क-2 की अहम खूबियां
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और बाजार
AMCA मार्क-2 के डेवलपमेंट के साथ भारत अब उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जो छठवीं पीढ़ी के फाइटर जेट बना पाने की क्षमता रखते हैं. अमेरिका, रूस और चीन पहले ही इस तकनीक की ओर कदम बढ़ा चुके हैं, और अब भारत इस दौड़ में मजबूती से शामिल हो रहा है. इससे भारत को वैश्विक डिफेंस मार्केट में भी नई पहचान और अवसर मिलेंगे.
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