रूस और यूक्रेन के बीच दो साल से चल रहे संघर्ष में एक नई उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की है कि वह 15 मई को इस्तांबुल में यूक्रेन के साथ बिना किसी पूर्व शर्त के सीधी वार्ता के लिए तैयार हैं. यह प्रस्ताव ऐसे समय पर सामने आया है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर यूरोपीय देश और अमेरिका, युद्धविराम के लिए रूस पर दबाव बढ़ा रहे हैं.
क्रेमलिन में पुतिन की पहल
रविवार को मास्को में क्रेमलिन में पत्रकारों से बात करते हुए पुतिन ने 2022 की असफल शांति वार्ता को फिर से शुरू करने का संकेत दिया. उन्होंने यह प्रस्ताव ऐसे समय में रखा जब फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और पोलैंड जैसे देशों ने रूस पर 30 दिन के युद्धविराम को न मानने की स्थिति में और कड़े प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है.
जेलेंस्की की सख्त शर्तें और पश्चिमी समर्थन
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी 30 दिन के बिना शर्त युद्धविराम की मांग करते हुए रूस को चेताया है कि अगर यह प्रस्ताव ठुकराया गया, तो रूस पर ऊर्जा और वित्तीय प्रतिबंधों का नया दौर शुरू किया जाएगा. जेलेंस्की ने यह बयान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़, ब्रिटेन के पीएम कीयर स्टारमर, पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से विचार-विमर्श के बाद दिया.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं और अगली रणनीति
सूत्रों की मानें तो डोनाल्ड ट्रंप ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है, जबकि व्हाइट हाउस की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी आनी बाकी है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यह बैठक सफल होती है, तो यह युद्धविराम की दिशा में एक ठोस पहल हो सकती है.
अब सबकी निगाहें 15 मई पर टिकी हैं
15 मई को इस्तांबुल में प्रस्तावित यह सीधी वार्ता क्या वाकई शांति की ओर पहला ठोस कदम बनेगी या फिर यह भी सिर्फ कूटनीतिक बयानबाज़ी बनकर रह जाएगी—इसका जवाब कुछ ही दिनों में सामने आ जाएगा.
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