रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जब गुरुवार रात भारत पहुंचे, तो दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर ऐसा पल देखने को मिला जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया. प्रोटोकॉल के तय नियमों को पीछे छोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं एयरपोर्ट पहुंचे और पुतिन का स्वागत किया. रनवे पर दोनों नेताओं का गर्मजोशी से गले मिलना सिर्फ औपचारिकता नहीं था—यह भारत और रूस के रिश्ते की मजबूती का सशक्त संदेश था.
गर्मजोशी भरे स्वागत के तुरंत बाद जो चीज सबसे ज्यादा चर्चा में रही, वह थी वह सादा-सी दिखने वाली सफेद टोयोटा फॉर्च्यूनर, जिसमें दोनों नेता एक साथ बैठे. अंतरराष्ट्रीय दौरों पर राष्ट्राध्यक्ष सामान्यतः बख़्तरबंद वाहनों और भारी सुरक्षा वाले काफिले का उपयोग करते हैं, लेकिन इस बार दोनों का एक साधारण SUV में बैठना लोगों के लिए आश्चर्य का विषय रहा.इस वाहन का नंबर MH01 EN 5795 बताया गया—टोयोटा फॉर्च्यूनर सिग्मा 4 एमटी मॉडल, जो अप्रैल 2024 में पंजीकृत हुआ था और जिसकी कीमत करीब 45 लाख रुपये है. यह कार VVIP मूवमेंट में एकदम से शामिल हुई, जो इसे और भी असामान्य बनाता है.
पुतिन की Aurus Senat कहां थी इस बार?
राष्ट्रपति पुतिन आमतौर पर विदेश यात्राओं में अपनी अत्यधिक सुरक्षित Aurus Senat कार साथ रखते हैं—एक ऐसी गाड़ी जिसे चलती-फिरती बख़्तरबंद दीवार कहा जाता है. उसके बावजूद भारत में उन्होंने उसका इस्तेमाल नहीं किया.कूटनीति विशेषज्ञों के अनुसार यह निर्णय दोनों नेताओं के बीच गहरे भरोसे को दर्शाता है. यह साफ संकेत है कि पुतिन स्वयं को भारत में उतना ही सुरक्षित महसूस करते हैं, जितना अपने देश में.
एक कार साझा करने का प्रतीकात्मक संदेश
किसी भी देश के दो शीर्ष नेता एक ही वाहन में सफर करें—ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है. सुरक्षा नियम इसकी अनुमति भी कम ही देते हैं. लेकिन मोदी और पुतिन का एक साथ फॉर्च्यूनर में बैठना दुनिया को बताता है कि उनके रिश्ते केवल रणनीतिक साझेदारी तक सीमित नहीं, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी घनिष्ठ हैं.अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसे इस दौरे का सबसे प्रतीकात्मक और प्रभावशाली क्षण कहा.
प्रधानमंत्री आवास पर की गई विशेष तैयारियाँ
जब कार काफिला लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास पहुंचा, तो पूरे क्षेत्र में दोनों देशों के झंडे लहरा रहे थे. सुरक्षा व्यवस्था को कई स्तरों पर बढ़ाया गया था और आसपास के मार्गों का यातायात बदला गया. यह साफ दिखा कि भारत इस यात्रा को कितनी प्राथमिकता दे रहा है.
रणनीतिक मुद्दों पर गहरी चर्चा
पुतिन की यह यात्रा केवल प्रतीकात्मक नहीं थी. इसका प्रमुख उद्देश्य रक्षा, ऊर्जा और व्यापार साझेदारी को नई दिशा देना है. दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों के बीच कई अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श तय है. जिसमें लड़ाकू विमान तकनीक, संयुक्त उत्पादन, कच्चे तेल का कारोबार और परमाणु ऊर्जा सहयोग शामिल है.वैश्विक राजनीति के इस जटिल दौर में भारत का यह संतुलित रुख—जहां वह अमेरिका, रूस और यूरोप सभी के साथ संबंधों को अलग-अलग आयाम देता है—दुनिया को एक बार फिर स्पष्ट रूप से दिखाई दिया.
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