जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद देश की राजधानी में राजनीतिक और सैन्य हलचलों में तेज़ी आई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते सप्ताह अपने आधिकारिक निवास पर कई अहम बैठकें की हैं, जिनमें देश के रक्षा ढांचे के शीर्ष अधिकारी शामिल रहे. इन बैठकों को संभावित जवाबी कार्रवाई की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है.
लगातार चल रहा बैठकों का दौर
आतंकी हमले में 26 लोगों की जान जाने के बाद देशभर में आक्रोश है और कड़ी प्रतिक्रिया की मांग उठ रही है. इसी बीच, 29 अप्रैल को हुई उच्चस्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS), राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ गहन विचार-विमर्श किया. सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में सेनाओं को "ऑपरेशनल फ्रीडम" दी गई है, यानी वे जवाबी कार्रवाई के तौर, समय और स्थान का चुनाव स्वयं कर सकते हैं.
इसके बाद भी यह सिलसिला रुका नहीं. प्रधानमंत्री ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों से अलग-अलग मुलाकातें कीं. 30 अप्रैल को थलसेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी राष्ट्रपति भवन पहुंचे और राष्ट्रपति से एक घंटे से अधिक समय तक बातचीत की. 3 मई को नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके त्रिपाठी और 4 मई को वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की.
'अब वैसा ही होगा जैसा आप चाहते हैं'
इन बंद दरवाज़ों के पीछे हुई बैठकों की आधिकारिक जानकारी तो सामने नहीं आई है, लेकिन सूत्रों का मानना है कि "ऑपरेशनल प्रिपेयरनेस" और मौजूदा खुफिया जानकारियों की समीक्षा इनमें प्रमुख विषय रहे.
इस बीच, पाकिस्तान द्वारा संभावित सैन्य प्रतिक्रिया को लेकर परमाणु धमकियां दी जा रही हैं, जबकि भारत के नागरिकों में यह उम्मीद है कि सरकार निर्णायक कदम उठाएगी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हालिया बयान ने इन अटकलों को और बल दिया है. उन्होंने कहा, "जो हमारी तरफ बुरी नज़र डालता है, उसे जवाब देना मेरा कर्तव्य है... आप हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को जानते हैं. वो जोखिम उठाने का साहस रखते हैं. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में अब वैसा ही होगा जैसा आप चाहते हैं."
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