बिहार में साल के अंत तक संभावित विधानसभा चुनावों की सरगर्मियों के बीच सियासी गतिविधियां तेज़ होती जा रही हैं. हर पार्टी अपने स्तर पर तैयारी में जुटी है, और इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर बिहार का दौरा करने वाले हैं. 18 जुलाई को पीएम मोदी पूर्वी चंपारण के ऐतिहासिक गांधी मैदान, मोतिहारी में एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे.
यह जनसभा केवल एक चुनावी आयोजन भर नहीं, बल्कि ऐतिहासिक चंपारण की धरती से जनता से सीधा संवाद स्थापित करने का अवसर भी होगा. आयोजन को लेकर स्थानीय प्रशासन से लेकर राज्य सरकार तक पूरी तरह सक्रिय हो चुकी है.
जनता को मिल सकती हैं कई बड़ी सौगातें
सूत्रों के हवाले से यह जानकारी मिली है कि प्रधानमंत्री अपने संबोधन में राज्य को कई अहम परियोजनाओं की सौगात देंगे. चंपारण के ऐतिहासिक महत्व, क्षेत्रीय विकास और भावी योजनाओं पर उनका विशेष फोकस रहेगा. राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि यह दौरा बीजेपी के लिए चुनावी बिगुल के तौर पर काम कर सकता है.
गौरतलब है कि महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह की यह भूमि हमेशा से ही भारतीय राजनीति और सामाजिक चेतना का केंद्र रही है. पीएम मोदी भी अपने पूर्व भाषणों में चंपारण को विशेष सम्मान देते रहे हैं, जिससे यह कार्यक्रम जनभावनाओं को जोड़ने का माध्यम भी बनेगा.
तैयारियों में जुटा प्रशासन, डिप्टी सीएम करेंगे समीक्षा
प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां युद्धस्तर पर शुरू हो चुकी हैं. सुरक्षा व्यवस्था, ट्रैफिक कंट्रोल, सभा स्थल की लॉजिस्टिक व्यवस्था और भीड़ प्रबंधन को लेकर संबंधित विभाग लगातार बैठकें कर रहे हैं.
आज बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी स्वयं मोतिहारी पहुंच रहे हैं, जहां वे ज़िले के डीएम, एसपी और अन्य वरीय अधिकारियों के साथ तैयारियों की समीक्षा करेंगे. इस दौरान वे सुरक्षा इंतज़ामों से लेकर जनसभा स्थल की व्यवस्थाओं पर गहन चर्चा करेंगे.
लाखों की भीड़ की उम्मीद, सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
इस मेगा इवेंट में लाखों लोगों के जुटने की संभावना है, जिसे देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. स्थानीय प्रशासन भीड़ नियंत्रण, पार्किंग व्यवस्था, चिकित्सा सुविधा और आपात स्थिति से निपटने के लिए विशेष योजनाएं तैयार कर रहा है. ऐसे में यह जनसभा सिर्फ एक भाषण नहीं, बल्कि चुनावी मौसम में बीजेपी के लिए एक बड़ा जनसंपर्क अभियान साबित हो सकती है, जिसका असर पूरे बिहार की सियासत पर देखा जा सकता है.
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