नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौते पर चर्चा अंतिम चरण में पहुंच गई है. भारतीय वार्ताकारों की टीम हाल ही में वाशिंगटन से बातचीत पूरी कर लौट आई है. दोनों देशों के बीच चल रही यह वार्ता इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि अमेरिका द्वारा लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ की अस्थायी छूट की समयसीमा 9 जुलाई को समाप्त हो रही है.
वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव और मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिका के साथ इस समझौते के पहले चरण पर व्यापक चर्चा की है. हालांकि, कृषि और ऑटोमोबाइल सेक्टर में अभी भी कुछ प्रमुख मुद्दे अटके हुए हैं, जिन पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बननी बाकी है.
वाहन क्षेत्र पर 25% शुल्क भारत के लिए चिंता
वार्ता के केंद्र में प्रमुख रूप से अमेरिकी बाजार में भारत से निर्यात होने वाले वाहनों और कलपुर्जों पर 25% आयात शुल्क की बात रही है. भारत ने इसे विश्व व्यापार संगठन (WTO) में एक संवेदनशील मुद्दे के रूप में उठाया है.
भारत की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि वह इस्पात और एल्युमीनियम पर अमेरिका के टैरिफ के जवाब में प्रतिस्पर्धात्मक शुल्क लगाने का अधिकार अपने पास रखता है. भारत चाहता है कि अमेरिकी शुल्कों से उसकी अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हो रहा है, उसकी भरपाई द्विपक्षीय समझौते के ज़रिए की जाए.
'भारत अपनी शर्तों पर करता है समझौते'- गोयल
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाया है. उन्होंने कहा, "भारत कभी भी समयसीमा के दबाव में सौदे नहीं करता. जब समझौता दोनों पक्षों के लिए लाभकारी हो और भारत के हित पूरी तरह सुरक्षित हों, तभी हम उसे स्वीकार करते हैं."
उन्होंने यह भी बताया कि भारत वर्तमान में अमेरिका के साथ ही नहीं, बल्कि यूरोपीय यूनियन, न्यूजीलैंड, ओमान, चिली और पेरू जैसे देशों के साथ भी व्यापार समझौतों पर बातचीत कर रहा है.
26% अतिरिक्त शुल्क पर भारत की आपत्ति
2 अप्रैल 2025 को अमेरिका ने भारत से आयात की जा रही कुछ वस्तुओं पर 26% अतिरिक्त शुल्क लागू कर दिया था. हालांकि, इसे 90 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया. भारत का उद्देश्य है कि यह अतिरिक्त शुल्क पूरी तरह हटाया जाए, ताकि द्विपक्षीय व्यापार संतुलित रूप से आगे बढ़ सके.
इसके अलावा, अमेरिका द्वारा लगाए गए 10% मौलिक शुल्क अब भी प्रभावी है, जिसे भारत लगातार कम करने की मांग कर रहा है.
द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य
भारत और अमेरिका, सितंबर-अक्टूबर 2025 तक इस अंतरिम समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देना चाहते हैं. इसका उद्देश्य वर्तमान 191 अरब डॉलर के व्यापार को 2030 तक 500 अरब डॉलर तक ले जाना है.
इसके लिए दोनों देशों के बीच बौद्धिक संपदा अधिकार, कृषि व्यापार, ऑटोमोबाइल और डिजिटल व्यापार जैसे क्षेत्रों में सहमति बनाना जरूरी होगा.
क्या कहता है वैश्विक परिप्रेक्ष्य?
अमेरिका ने 2024-25 में लगभग 89 अरब डॉलर के ऑटो पार्ट्स आयात किए, जिसमें भारत का हिस्सा केवल 2.2 अरब डॉलर रहा, जबकि मेक्सिको और चीन जैसे देशों का हिस्सा कहीं अधिक है.
इसलिए भारत की मांग है कि अमेरिका अपने बाज़ार में भारतीय वस्तुओं के लिए अधिक प्रतिस्पर्धात्मक अवसर प्रदान करे, खासकर उन क्षेत्रों में जहां भारत वैश्विक स्तर पर गुणवत्ता और लागत दोनों में प्रतिस्पर्धी है.
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