इस्लामाबाद: पाकिस्तानी सेना ने एक बार फिर भारत के खिलाफ तीखा रुख अपनाया है. हाल ही में एक साक्षात्कार में पाकिस्तानी सैन्य प्रवक्ता मेजर जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने दावा किया कि भारत की सरकार, सेना और अन्य संस्थाएं अब पूरी तरह से "हिंदुत्ववादी सोच" के प्रभाव में हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस कथित वैचारिक बदलाव से क्षेत्रीय शांति को खतरा है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, खासकर अमेरिका को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए.
भारत पर धार्मिक कट्टरता का आरोप
यह आरोप ऐसे समय में सामने आया है जब पाकिस्तान की सेना स्वयं पर भी कट्टरपंथी तत्वों के प्रभाव का सामना कर रही है. पाकिस्तान के इतिहास में जनरल जियाउल हक का दौर ऐसा समय माना जाता है जब देश को सुनियोजित रूप से धार्मिक उग्रवाद की ओर धकेला गया. आज भी, पाकिस्तानी सेना के वर्तमान प्रमुख जनरल असीम मुनीर धार्मिक बयानों और विचारधाराओं का सार्वजनिक मंचों से उल्लेख करते रहे हैं.
जनरल मुनीर "दो राष्ट्र सिद्धांत" को खुलकर समर्थन देते हैं, जो कि भारतीय उपमहाद्वीप के विभाजन की बुनियाद रहा है. यही वजह है कि जब पाक सेना भारत की संस्थाओं पर "हिंदू चरमपंथ" का आरोप लगाती है, तो यह बयान खुद पाकिस्तानी सेना की भूमिका पर भी सवाल उठाता है.
भारत-पाक संघर्ष जारी रहने का दावा
साक्षात्कार में मेजर जनरल चौधरी ने दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष केवल कागजों पर रुका है. उन्होंने कहा कि "मई में युद्धविराम की घोषणा भले ही हुई हो, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि तनाव अब भी बरकरार है."
उन्होंने भारत पर आरोप लगाया कि वह पाकिस्तान के भीतर अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहा है, खासतौर पर बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे क्षेत्रों में. चौधरी ने कहा कि "हमारे पास सबूत हैं कि भारत पाकिस्तान में हो रही आतंकवादी घटनाओं में शामिल है और यह जानकारी हमने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ साझा भी की है."
भारत पर दुष्प्रचार का आरोप
जब उनसे यह सवाल किया गया कि पाकिस्तान के दावों को अब तक किसी भी पश्चिमी देश ने खुले तौर पर समर्थन क्यों नहीं दिया, तो चौधरी ने इसके लिए भारत के "सूचना और प्रचार तंत्र" को जिम्मेदार ठहराया. उनके अनुसार, भारत के पास एक शक्तिशाली मीडिया और कूटनीतिक नेटवर्क है जो अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रभाव डालता है.
उन्होंने कहा, "पश्चिमी देश भारत की छवि को लेकर भ्रमित हैं. वे भारत की आर्थिक ताकत और वैश्विक स्थिति को देखते हैं, लेकिन यह नहीं समझते कि वह एक ऐसा देश बन गया है जो आतंकवाद को समर्थन देता है."
कश्मीर और मानवाधिकारों का मुद्दा उठाया
पाकिस्तानी सैन्य प्रवक्ता ने कश्मीर को लेकर भी गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने दावा किया कि वहां भारतीय सुरक्षा बलों की भारी तैनाती है और नागरिक स्वतंत्रता सीमित कर दी गई है. चौधरी ने कहा, "कश्मीर में लगभग 10 लाख भारतीय सैनिक तैनात हैं. वहां के लोगों को रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भारी नियंत्रण और डर का सामना करना पड़ता है. कभी भी किसी भी घर की तलाशी ली जा सकती है."
उन्होंने यह भी कहा कि भारत में मुस्लिम समुदाय सहित अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी हैं. "भारत में मुसलमानों की स्थिति चिंताजनक है, और यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा," उन्होंने जोड़ा.
अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग
पाकिस्तानी सेना की ओर से यह भी मांग की गई है कि अमेरिका और अन्य वैश्विक ताकतें भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करें. उनका मानना है कि "भारत का वर्तमान नेतृत्व किसी संवाद या शांति प्रक्रिया में रुचि नहीं दिखा रहा. यह रवैया क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है."
चौधरी के अनुसार, "अगर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने हस्तक्षेप नहीं किया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं. भारत को यह समझाने की ज़रूरत है कि एकतरफा फैसले और अड़ियल रुख समाधान नहीं हैं."
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