नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की मुश्किलें एक बार फिर गहराती नजर आ रही हैं. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) – जो वैश्विक स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण की निगरानी करती है – पाकिस्तान को चौथी बार अपनी 'ग्रे लिस्ट' में शामिल करने की तैयारी में है. ताजा संकेतों के अनुसार, FATF जून 2025 के अंत या जुलाई की शुरुआत में एक विस्तृत रिपोर्ट के माध्यम से पाकिस्तान पर फैसला सुना सकती है.
इस कदम के पीछे प्रमुख वजह बना है भारत के कश्मीर क्षेत्र में हुआ हालिया पहलगाम आतंकी हमला, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई थी. भारत ने इस हमले के लिए सीधे तौर पर पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए FATF की बैठक में विस्तृत दस्तावेज और सबूत पेश किए हैं.
FATF क्या है और इसकी 'ग्रे लिस्ट' क्यों अहम है?
FATF एक अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था है, जिसकी स्थापना 1989 में G7 देशों द्वारा की गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद की फंडिंग और अन्य गैरकानूनी वित्तीय गतिविधियों को रोकना है.
जब कोई देश इन गतिविधियों को रोकने में असफल रहता है या ढीला रवैया अपनाता है, तो उसे 'ग्रे लिस्ट' में डाल दिया जाता है. इसका मतलब होता है कि उस देश की निगरानी की जाएगी, और उसे विदेशी निवेश, बैंकिंग और कर्ज प्राप्त करने में गंभीर अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है.
पाकिस्तान फिर निशाने पर क्यों है?
1. आतंकी संगठनों को वित्तीय संरक्षण
भारत ने FATF को यह जानकारी दी है कि पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठन अब भी सक्रिय हैं और उन्हें सीधे या परोक्ष रूप से समर्थन मिलता है. FATF को सौंपे गए दस्तावेजों में बताया गया है कि पाकिस्तान ने इन संगठनों की फंडिंग को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए.
2. 2022 की शर्तों का उल्लंघन
पाकिस्तान को 2022 में FATF की ग्रे लिस्ट से हटाया गया था, लेकिन यह हटाना कुछ सख्त शर्तों पर आधारित था. इनमें कानूनों में संशोधन, जांच और दोषियों को सजा दिलाने जैसे बिंदु शामिल थे. भारत का दावा है कि पाकिस्तान इन शर्तों को लागू करने में गंभीर विफल रहा है.
3. मनी लॉन्ड्रिंग रोकने में नाकामी
पाकिस्तान में मनी लॉन्ड्रिंग का ढांचा आज भी कमजोर बना हुआ है. FATF को भेजी गई जानकारी में भारत ने बताया कि पाकिस्तान के कानून और संस्थागत निगरानी प्रणाली आतंकी फंडिंग के विरुद्ध कारगर साबित नहीं हो रही हैं.
4. पहलगाम हमला: FATF की चेतावनी
फ्रांस में हुई हालिया FATF बैठक में भारत ने पहलगाम हमले को प्रमुख मुद्दा बनाते हुए कहा कि ऐसे हमलों के पीछे संगठित वित्तीय नेटवर्क होते हैं, जिन पर पाकिस्तान की भूमिका संदेह के घेरे में है. FATF ने हमले की निंदा की और कहा कि इस तरह की घटनाएं बिना वित्तीय सहायता के संभव नहीं हैं.
अगर पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में गया तो क्या होगा?
FATF की ग्रे लिस्ट में वापस जाना पाकिस्तान की पहले से जूझती अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका होगा.
1. विदेशी निवेश में गिरावट
पाकिस्तान पर निवेशकों का भरोसा डगमगाएगा. विदेशी कंपनियां और बैंकिंग संस्थाएं जोखिम महसूस करेंगी, जिससे निवेश घटेगा और आर्थिक गतिविधियां धीमी होंगी.
2. IMF और वर्ल्ड बैंक से कर्ज मिलना मुश्किल
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएं जैसे IMF, वर्ल्ड बैंक और एशियाई विकास बैंक FATF की ग्रे लिस्ट में मौजूद देशों को कर्ज देने में सतर्कता बरतती हैं. पाकिस्तान के लिए कर्ज पाना न केवल मुश्किल होगा, बल्कि कड़े शर्तों के साथ ही मिल सकेगा.
3. मुद्रा संकट और महंगाई में इजाफा
विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के चलते पाकिस्तान में आयात महंगा हो जाएगा, जिससे आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू सकती हैं. पहले से ही दबाव में चल रही अर्थव्यवस्था पर यह एक और करारा झटका होगा.
4. वैश्विक बैंकिंग व्यवस्था से अलगाव
पाकिस्तान की बैंकिंग प्रणाली पर सख्त नजर रखी जाएगी. हर अंतरराष्ट्रीय लेन-देन को बारीकी से परखा जाएगा, जिससे व्यापार और वित्तीय लेन-देन में देरी होगी और कई बार उन्हें रोक भी दिया जाएगा.
भारत ने FATF के सामने साक्ष्य रखे
भारत ने FATF के 200 से ज्यादा सदस्य देशों के सामने खुफिया रिपोर्टें, बैंकिंग लेनदेन के डेटा और आतंकी नेटवर्क की वित्तीय गतिविधियों का विस्तृत विवरण साझा किया है.
इसके अतिरिक्त, भारत ने अगस्त 2025 में होने वाली एशिया-पैसिफिक ग्रुप (APG) की बैठक और अक्टूबर 2025 की FATF बैठक के लिए पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में डालने की सिफारिश की है.
FATF का अगला कदम क्या होगा?
FATF ने कहा है कि वह अगले एक महीने के भीतर पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी रणनीति और मनी लॉन्ड्रिंग नियंत्रण पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित करेगा. अभी तक पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने को लेकर अंतिम फैसला नहीं आया है, लेकिन अब तक के घटनाक्रम इसे तय मानने की ओर इशारा कर रहे हैं.
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