अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी (DIA) की वार्षिक रिपोर्ट ‘2025 विश्वव्यापी खतरा आकलन’ ने पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति पर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे हैं. यह रिपोर्ट अमेरिकी संसद की सशस्त्र सेवा उपसमिति के लिए तैयार की गई है, जिसमें पाकिस्तान की सैन्य रणनीतियों, आतंकवाद की चुनौती और परमाणु हथियारों के आधुनिकीकरण पर गहराई से विश्लेषण किया गया है.
2025 में पाकिस्तान की प्राथमिकताएं और सुरक्षा चुनौतियां
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के लिए आने वाला साल कई सुरक्षा चुनौतियों से भरा होगा. उसकी सेना की मुख्य फोकस सीमा विवादों, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और बलूच उग्रवादियों द्वारा बढ़ते हमलों पर रहेगा. पिछले साल आतंकवादी गतिविधियों ने स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया है, जब 2024 में आतंकवाद के कारण 2,500 से अधिक लोग मारे गए. लगातार चल रही सैन्य कार्रवाइयों के बावजूद आतंकी हमलों में कमी नहीं आई है, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा पर गहरा संकट मंडरा रहा है.
भारत को सबसे बड़ा खतरा मानता है पाकिस्तान
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पाकिस्तान अपनी सबसे बड़ी सैन्य चुनौती भारत को ही मानता है. भारत से मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान अपनी सेना को आधुनिक तकनीकों से लैस कर रहा है, जिसमें युद्धक्षेत्र के लिए उपयुक्त परमाणु हथियारों का विकास भी शामिल है. पाकिस्तानी नेतृत्व अपने परमाणु शस्त्रागार को मजबूत करने के साथ-साथ इसके संचालन और सुरक्षा तंत्रों को भी उन्नत करने में लगा है. इसके लिए वह चीन जैसे देशों से जन विनाश हथियारों से जुड़ी सामग्री का बड़े पैमाने पर आयात करता है, जो हॉन्ग कॉन्ग, सिंगापुर, तुर्की और यूएई के रास्तों से आता है.
चीन-पाक सैन्य और आर्थिक रिश्तों में उतार-चढ़ाव
रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग मजबूत हो रहा है. दोनों देशों ने 2024 में कई संयुक्त सैन्य अभ्यास किए, जिनमें नवंबर में एक नया हवाई अभ्यास भी शामिल था. हालांकि, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) परियोजनाओं में काम करने वाले चीनी नागरिकों पर हमलों ने दोनों देशों के रिश्तों में तनाव पैदा किया है. 2024 में सात चीनी नागरिकों की हत्या ने इस गठजोड़ को कमजोर करने की कोशिश की.
पाकिस्तान की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा पर खतरे
पाकिस्तान अपनी परमाणु ताकत को बढ़ाकर क्षेत्रीय प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन आतंकी हमलों और सीमा संघर्ष के चलते उसकी आंतरिक और बाहरी सुरक्षा गंभीर संकट में है. यह न केवल पाकिस्तान के लिए खतरा है, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए भी चुनौती बन गया है.
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